‘कल्याण सिंह नगर’ क्यों है UP के नए नक्शे की सबसे अहम घोषणा? जानिए सब कुछ

Published : Oct 31, 2025, 12:48 PM IST
kalyan singh nagar new district in uttar pradesh

सार

उत्तर प्रदेश में एक नया जिला ‘कल्याण सिंह नगर’ बनने जा रहा है। अलीगढ़ और बुलंदशहर के हिस्सों को मिलाकर बनने वाले इस जिले का नाम पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के सम्मान में रखा जाएगा। जानिए पूरी प्रक्रिया, खर्च और इसके असर के बारे में।

उत्तर प्रदेश के सरकारी नक्शे में एक नया रंग भरने की तैयारी शुरू हो चुकी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने घोषणा की है कि राज्य में जल्द ही एक नया जिला बनाया जाएगा, जिसका नाम होगा ‘कल्याण सिंह नगर’। यह सिर्फ एक प्रशासनिक निर्णय नहीं, बल्कि पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के योगदान और स्मृतियों को सहेजने की एक भावनात्मक पहल भी है। यह जिला अलीगढ़ और बुलंदशहर के कुछ हिस्सों को मिलाकर बनाया जाएगा वही इलाका जहां से कल्याण सिंह ने अपनी राजनीतिक यात्रा की शुरुआत की थी।

कल्याण सिंह का नाम क्यों खास है

कल्याण सिंह का नाम आते ही उत्तर प्रदेश की राजनीति का एक ऐसा अध्याय सामने आता है, जिसने राम मंदिर आंदोलन से लेकर भाजपा की सत्ता संरचना तक गहरी छाप छोड़ी। उनका जीवन संघर्ष, संकल्प और जनता के प्रति समर्पण का प्रतीक था। ऐसे में उनके नाम पर जिले का गठन स्थानीय लोगों के लिए मानो एक स्थायी सम्मान जैसा होगा।

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भारत में कितने जिले हैं और कैसे बढ़ी संख्या

आजादी के समय 1947 में देश में करीब 230 जिले थे। आज भारत के 28 राज्यों और 8 केंद्र शासित प्रदेशों में मिलाकर 797 जिले हैं। उत्तर प्रदेश में तब 35 से 38 जिले थे, लेकिन विकास और जनसंख्या वृद्धि के साथ नए जिलों की जरूरत बढ़ती गई। पिछले दस सालों में राजस्थान और आंध्र प्रदेश में सबसे ज्यादा जिले बने — दोनों राज्यों में लगभग 19-19 नए जिले गठित किए गए हैं। मध्य प्रदेश में 10 और पश्चिम बंगाल में 7 नए जिलों का गठन हाल के वर्षों में हुआ। कुल मिलाकर, देशभर में पिछले एक दशक में 40 से अधिक नए जिले बन चुके हैं।

नया जिला बनाने की प्रक्रिया क्या होती है

जिला बनाने की शक्ति पूरी तरह से राज्य सरकार के पास होती है। यह या तो विधानसभा में विधेयक पारित करके या सरकारी अधिसूचना जारी करके किया जा सकता है।

प्रक्रिया इस प्रकार होती है:

  • सीमाओं का निर्धारण किया जाता है
  • बजट और संसाधनों का बंटवारा तय होता है
  • सबसे पहले जिलाधिकारी (डीएम) और पुलिस अधीक्षक (एसपी) की नियुक्ति होती है
  • प्रशासनिक ढांचा आकार लेने लगता है

यदि किसी जिले या शहर का नाम बदलना हो, तो केंद्र सरकार और गृह मंत्रालय से अनुमति (NOC) लेना आवश्यक होता है।

कल्याण सिंह नगर का राजनीतिक और सामाजिक संदेश

यह फैसला सिर्फ प्रशासनिक सुधार नहीं बल्कि भाजपा के सामाजिक आधार और स्मृति राजनीति का विस्तार भी है। कल्याण सिंह नगर की घोषणा भाजपा की उस रणनीति को मजबूत करती है, जो क्षेत्रीय पहचान और पार्टी के ऐतिहासिक नेताओं को जोड़कर भावनात्मक जुड़ाव बनाती है।

लोगों के जीवन में क्या बदलेगा

अलीगढ़ और बुलंदशहर के जिन इलाकों को मिलाकर यह जिला बनेगा, वहां के लोगों को जिला मुख्यालय तक पहुंचने में लंबी दूरी तय करनी पड़ती है। अब नया जिला बनने के बाद —

  • सरकारी योजनाओं का लाभ तेजी से और सीधे मिलेगा
  • भूमि, राजस्व और प्रशासनिक कार्यों में समय की बचत होगी
  • पुलिस और कानून-व्यवस्था और मजबूत बनेगी
  • नए व्यवसाय, बाजार और निवेश को बढ़ावा मिलेगा

हालांकि यह परिवर्तन धीरे-धीरे दिखेगा, पर दिशा निश्चित रूप से विकास की ओर होगी।

एक नया जिला बनाने में कितना खर्च आता है

एक नया जिला बनाने में औसतन 2000 करोड़ रुपये से अधिक का खर्च आता है।

  • केवल सरकारी भवनों और संसाधनों के निर्माण में ही 500 करोड़ रुपये तक का खर्च होता है।
  • सड़क, बिजली, पानी, सफाई और अन्य इन्फ्रास्ट्रक्चर पर 1500 करोड़ रुपये तक की जरूरत पड़ती है। उदाहरण के तौर पर, राजस्थान में जब नए जिले बने, तो सरकार ने करीब 1000 करोड़ रुपये के बजट की घोषणा की थी।

नए जिले से जुड़ी जरूरी बातें

  • अधिसूचना जारी होने के 6 महीने के भीतर जिला काम करना शुरू कर देता है
  • न्यूनतम आबादी लगभग 2 लाख के करीब होनी चाहिए (इलाके के अनुसार बदल सकता है)
  • आवश्यक सुविधाएं: जिला मुख्यालय, पुलिस थाना, न्यायालय, शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, सड़क और जल व्यवस्था
  • पहले चरण में डीएम और एसपी की नियुक्ति होती है

‘कल्याण सिंह नगर’ का गठन केवल एक नया जिला बनाना नहीं है, बल्कि यह एक राजनीतिक, भावनात्मक और विकासशील पहल है। यह उत्तर प्रदेश के नक्शे पर सिर्फ एक नई रेखा नहीं खींचेगा, बल्कि लाखों लोगों के जीवन में नई उम्मीदें और अवसर भी जोड़ेगा।

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