
उत्तर प्रदेश के सरकारी नक्शे में एक नया रंग भरने की तैयारी शुरू हो चुकी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने घोषणा की है कि राज्य में जल्द ही एक नया जिला बनाया जाएगा, जिसका नाम होगा ‘कल्याण सिंह नगर’। यह सिर्फ एक प्रशासनिक निर्णय नहीं, बल्कि पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के योगदान और स्मृतियों को सहेजने की एक भावनात्मक पहल भी है। यह जिला अलीगढ़ और बुलंदशहर के कुछ हिस्सों को मिलाकर बनाया जाएगा वही इलाका जहां से कल्याण सिंह ने अपनी राजनीतिक यात्रा की शुरुआत की थी।
कल्याण सिंह का नाम आते ही उत्तर प्रदेश की राजनीति का एक ऐसा अध्याय सामने आता है, जिसने राम मंदिर आंदोलन से लेकर भाजपा की सत्ता संरचना तक गहरी छाप छोड़ी। उनका जीवन संघर्ष, संकल्प और जनता के प्रति समर्पण का प्रतीक था। ऐसे में उनके नाम पर जिले का गठन स्थानीय लोगों के लिए मानो एक स्थायी सम्मान जैसा होगा।
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आजादी के समय 1947 में देश में करीब 230 जिले थे। आज भारत के 28 राज्यों और 8 केंद्र शासित प्रदेशों में मिलाकर 797 जिले हैं। उत्तर प्रदेश में तब 35 से 38 जिले थे, लेकिन विकास और जनसंख्या वृद्धि के साथ नए जिलों की जरूरत बढ़ती गई। पिछले दस सालों में राजस्थान और आंध्र प्रदेश में सबसे ज्यादा जिले बने — दोनों राज्यों में लगभग 19-19 नए जिले गठित किए गए हैं। मध्य प्रदेश में 10 और पश्चिम बंगाल में 7 नए जिलों का गठन हाल के वर्षों में हुआ। कुल मिलाकर, देशभर में पिछले एक दशक में 40 से अधिक नए जिले बन चुके हैं।
जिला बनाने की शक्ति पूरी तरह से राज्य सरकार के पास होती है। यह या तो विधानसभा में विधेयक पारित करके या सरकारी अधिसूचना जारी करके किया जा सकता है।
प्रक्रिया इस प्रकार होती है:
यदि किसी जिले या शहर का नाम बदलना हो, तो केंद्र सरकार और गृह मंत्रालय से अनुमति (NOC) लेना आवश्यक होता है।
यह फैसला सिर्फ प्रशासनिक सुधार नहीं बल्कि भाजपा के सामाजिक आधार और स्मृति राजनीति का विस्तार भी है। कल्याण सिंह नगर की घोषणा भाजपा की उस रणनीति को मजबूत करती है, जो क्षेत्रीय पहचान और पार्टी के ऐतिहासिक नेताओं को जोड़कर भावनात्मक जुड़ाव बनाती है।
अलीगढ़ और बुलंदशहर के जिन इलाकों को मिलाकर यह जिला बनेगा, वहां के लोगों को जिला मुख्यालय तक पहुंचने में लंबी दूरी तय करनी पड़ती है। अब नया जिला बनने के बाद —
हालांकि यह परिवर्तन धीरे-धीरे दिखेगा, पर दिशा निश्चित रूप से विकास की ओर होगी।
एक नया जिला बनाने में औसतन 2000 करोड़ रुपये से अधिक का खर्च आता है।
‘कल्याण सिंह नगर’ का गठन केवल एक नया जिला बनाना नहीं है, बल्कि यह एक राजनीतिक, भावनात्मक और विकासशील पहल है। यह उत्तर प्रदेश के नक्शे पर सिर्फ एक नई रेखा नहीं खींचेगा, बल्कि लाखों लोगों के जीवन में नई उम्मीदें और अवसर भी जोड़ेगा।
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