गोरखनाथ मंदिर में हमला करने के मामले में मुर्तजा दोषी करार, NIA कोर्ट ने सुनाई फांसी की सजा

Published : Jan 30, 2023, 05:13 PM IST
Abbasi Murtaza

सार

गोरखनाथ मंदिर में सुरक्षाकर्मियों पर हमले के मामले में आरोपी मुर्तजा को एनआईए कोर्ट ने दोषी करार दिया। कोर्ट की ओऱ से उसे फांसी की सजा सुनाई गई है। तकरीबन दस माह बाद इस मामले में यह फैसला हुआ है।

लखनऊ: एटीएस-एनआईए कोर्ट ने मुर्तजा अब्बासी को फांसी की सजा सुनाई है। उस पर 4 अप्रैल 2022 को गोरखपुर के गोरखनाथ मंदिर में सुरक्षाकर्मियों पर जानलेवा हमले के मामले में रिपोर्ट दर्ज हुई थी। इसी मामले में स्पेशल कोर्ट की ओर से उसे फांसी की सजा सुनाई गई है।

जानलेवा हमले के साथ हथियार छीनने का हुआ था प्रयास

मुर्तजा के द्वारा गोरक्षनाथ पीठ में सुरक्षाकर्मियों पर हमला किया गया था। पड़ताल के बाद उस पर यूएपीए के तहत केस दर्ज किया गया था और उसे आतंकी माना गया था। इस मामले में सुनवाई को लेकर ही आज उसे लखनऊ की एनआईए/एटीएस की अदालत में लाया गया था। इस केस में 10 माह के बाद सोमवार को अदालत में फैसला सुनाया गया। मुर्तजा ने पीएसी जवानों पर धारदार हथियार से न सिर्फ हमला किया था बल्कि उनके हथियार छीनने की भी कोशिश की थी।

हमले के बाद आरोपी ने लगाया था धार्मिक नारा

जांच के दौरान सामने आया कि गोरखनाथ मंदिर के पास सुरक्षाकर्मियों पर हमले से पहले हमलावर नेपाल भी गया था। पुलिस को कई संदिग्ध दस्तावेज भी बरामद हुए हैं। उसने हमलाकर पुलिसकर्मियों को जख्मी कर दिया था और मंदिर के पास लोगों को धारदार हथियार से डराने की कोशिश भी की थी। इसी के साथ उसने हमले के दौरान अल्लाह-हू-अकबर का नारा भी लगाया था।

कुल 27 गवाह किए गए पेश

आपको बता दें कि 4 अप्रैल 2022 को गोरखनाथ चौकी के मुख्य प्रभारी विनय कुमार मिश्र के द्वारा दर्ज कराई गई रिपोर्ट में कहा गया था कि वह मंदिर के गेट नंबर एक का सुरक्षा प्रभारी था। इसी बीच अचानक आरोपी ने बांके से पीएसी के सिपाही अनिल कुमार पासवान पर हमला कर उसके हथियार छीनने की कोशिश की। इस बीच अन्य सुरक्षाकर्मी भी वहां पर आ गए। आरोपी ने सिपाही गोपाल गौड़ को भी घायल कर दिया। इसके बाद बांका लहराते हुए धार्मिक नारा लगाया। उसके पास से बांका, लैपटॉप और उर्दू लिखी हुई सामग्री भी मिली। केंद्र सरकार के खर्च पर मुर्तजा को वकील दिया गया था। वहीं अभियोजन की ओर से 27 गवाह पेश किए गए। आरोपी खुद को मानसिक तौर पर बीमार बताता रहा। लेकिन इस संबंध में कोई सबूत न होने पर उसे दोषी ठहराया गया।

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