यूपी के इस मुस्लिम लड़के ने संस्कृत में टॉप करके चौंकाया, अब PHD करके शास्त्री बनना चाहता है

Published : May 08, 2023, 10:21 AM ISTUpdated : May 08, 2023, 10:23 AM IST
,Story of Irfan of Chandauli

सार

कथित तौर पर उर्दू पर मुस्लिमों की भाषा और संस्कृत पर ब्राह्मणों की भाषा का ठप्पा लगा दिया गया है। लेकिन उत्तर प्रदेश के चंदौली के रहने वाले इरफान ने लीक से हटकर काम किया है। यही वजह है कि वे इन दिनों मीडिया की सुर्खियों में है।

चंदौली.कथित तौर पर उर्दू पर मुस्लिमों की भाषा और संस्कृत पर ब्राह्मणों की भाषा का ठप्पा लगा दिया गया है। लेकिन उत्तर प्रदेश के चंदौली के रहने वाले इरफान ने लीक से हटकर काम किया है। यही वजह है कि वे इन दिनों मीडिया की सुर्खियों में है। इरफान ने हाल में जारी हुए यूपी संस्कृत माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के रिजल्ट में पूरे प्रदेश में संस्कृत में टॉप किया है। वे संस्कृत में पीएचडी करके शास्त्री बनना चाहते हैं।

इरफान ने संपूर्णानंद संस्कृत विद्यालय से टॉप किया है। यहां से बीते 4 साल में 100 से ज्यादा मुस्लिम लड़के पढ़ाई कर चुके हैं। इरफान के ड्रीम को पूरा करने उसके पिता सलाउद्दीन भी पूरी मदद कर रहे हैं। वे अपने बेटे की उपलब्धि से बहुत खुश हैं। सलाउद्दीन खेतीबाड़ी करते हैं। जबकि मां दूसरों के घरों में काम करती है।

बता दें कि 4 मई को रिजल्ट घोषित किया गया था। इसमें इरफान को संस्कृत बोर्ड में 82.71% अंक मिले। इरफान ने आठवीं तक की पढ़ाई उर्दू से की है। इरफान कहते हैं कि वे शुरू से ही संस्कृत में रुचि रखते थे। लिहाजा इंटर की पढ़ाई के लिए संस्कृत स्कूल में एडमिशन लिया।

सलाउद्दीन बेहिचक कहते हैं कि संस्कृत भारत की प्राचीन भाषा है, इसलिए इसे सबको पढ़ना चाहिए। वे मानते हैं कि संस्कृत की पढ़ाई करने वालों को नौकरी में भी ज्यादा अवसर मिलते हैं।

चंदौली जिले के दीनदासपुर गांव के रहने वाल इरफान एक गरीब परिवार से ताल्लुक रखते हैं। जब उनके मां-बाप को उनकी उपलब्धि का पता चला, तो वे भावुक हो उठे। उनकी अम्मी असगरी बानो ने बेटे को गुड़ खिलाकर मुंह मीठा कराया।

परिजनों ने खुलासा किया कि इरफान के आठवीं मं उर्दू में अच्छे नंबर नहीं आए थे। जब उसने संस्कृत में पढ़ाई करने की बात कही, तब हैरानी हुई। हालांकि जब उसने स्कूल में एडमिशन लिया, तो टीचर के अलावा हिंदू बच्चों ने भी उसका पूरा सहयोग किया।

इरफान का परिवार हिंदू-मुस्लिम के भेद में नहीं पड़ता। दीनदासपुर में करीब 2400 लोग निवास करते हैं। गांव में ज्यादातर आबादी हिंदुओं की है। 8-10 घर ही मुसलमानों के होंगे। लेकिन यहां कभी किसी ने एक-दूसरे को हीन भावना से नहीं देखा। इरफान के परिवार ने मीडिया से कहा कि उन्हें यहां कोई दिक्कत नहीं है। स्कूल के प्रवक्ता अजय त्रिपाठी कहते हैं कि इरफान की लिखावट सुंदर है। इसी वजह से वो पूरे स्कूल का चहेता छात्र है।

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