गजब! नेपाल से साइकिल पर महाकुंभ पहुंचे यह बाबा, हैरान कर देगी इनकी कहानी!

नेपाल के संत बाबा विधुर दास 12 दिनों की साइकिल यात्रा कर महाकुंभ 2025 में पहुंचे। वे संगम पर साधना करेंगे और समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का संदेश देंगे।

प्रयागराज | महाकुंभ 2025 का भव्य आयोजन प्रयागराज में शुरू हो चुका है, और इस पवित्र अवसर पर संगम नगरी में साधु-संतों, श्रद्धालुओं और कल्पवासियों का आना जारी है। इस महाकुंभ में एक खास व्यक्तित्व ने सभी का ध्यान आकर्षित किया है, जो हैं नेपाल के संत बाबा विधुर दास,उन्होंने नेपाल के हिमरतपुर स्थित राधाकृष्ण मंदिर से साइकिल पर 12 दिनों में एक लंबा सफर तय किया, और अब वे संगम पर अपनी साधना करने के लिए पहुंचे हैं।

बाबा विधुर दास की यह यात्रा केवल भौतिक नहीं, बल्कि एक गहरी आध्यात्मिक यात्रा थी। वे मानते हैं कि यह समय युग परिवर्तन का है और उनका यह प्रयास उस दिशा में एक कदम है। उनके अनुसार, समाज में बदलाव की आवश्यकता है, और साधु-संत समाज को सही दिशा में मार्गदर्शन देने के लिए तैयार हैं।

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महाकुंभ में पहली बार: बाबा विधुर दास

महाकुंभ 2025 के इस आयोजन में बाबा विधुर दास का यह पहला अनुभव है। उनका संकल्प है कि वे इस पूरी अवधि के दौरान साधना करेंगे, भले ही उन्हें कल्पवास की परंपराओं के बारे में पूरी जानकारी नहीं है। बाबा का विश्वास है कि राधा कृष्ण और सीता राम के नाम का जाप न केवल उन्हें आत्मिक शांति प्रदान करेगा, बल्कि उनके साथ-साथ अन्य श्रद्धालुओं को भी सकारात्मक दिशा में प्रेरित करेगा।

बाबा विधुर दास ने कहा, "मेरा उद्देश्य समाज में शांति और स्थिरता लाना है। लोग एक साथ मिलकर एक बेहतर दुनिया की रचना कर सकते हैं,"।

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संगम पर बाबा विधुर दास विशेष तप

बाबा विधुर दास ने संगम पर अपनी साधना करने के लिए विशेष योजना बनाई है। उनका मानना है कि गंगा, यमुना और सरस्वती का संगम एक पवित्र स्थान है, जहां पर साधना और तप से आत्मिक ऊर्जा को मजबूत किया जा सकता है। वे यहां न केवल अपनी साधना करेंगे, बल्कि अन्य श्रद्धालुओं और संतों को भी प्रेरित करेंगे।

बाबा ने कहा "गंगा-यमुना-सरस्वती के संगम पर ध्यान और साधना से आत्मिक उन्नति होती है, और यहां की विशेष ऊर्जा से समाज में सकारात्मक बदलाव लाया जा सकता है,"।

समाज में खोते हुए मूल्यों को पुनः स्थापित किया जाए

बाबा विधुर दास का मानना है कि वर्तमान समय समाज में जागरूकता फैलाने का है। उनका संदेश यह है कि समाज में खोते हुए मूल्यों को पुनः स्थापित किया जाए। बाबा का यह भी कहना है कि समाज में शांति और स्थिरता लाने के लिए हर व्यक्ति को अपना योगदान देना चाहिए, और यह कार्य केवल भक्ति और साधना से ही संभव है।

बाबा ने अपने संदेश में कहा, “समाज में सकारात्मकता लाने के लिए हमें अपने जीवन में शांति और संतुलन बनाए रखना चाहिए,”

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