
लखनऊ, 16 सितम्बर। योगी सरकार का ‘समर्थ उत्तर प्रदेश-विकसित उत्तर प्रदेश @2047’ अभियान तेजी से आगे बढ़ रहा है। इस अभियान में सभी 75 जिलों में नोडल अधिकारी और प्रबुद्धजन जनता से संवाद कर रहे हैं। उन्होंने छात्रों, शिक्षकों, व्यावसायियों, उद्यमियों, किसानों, स्वयंसेवी संगठनों, श्रमिक संगठनों, मीडिया और आम लोगों से मुलाकात की। इसमें न केवल पिछले आठ वर्षों की विकास यात्रा साझा की गई, बल्कि आने वाले समय का रोडमैप तय करने के लिए फीडबैक भी लिया गया।
अभियान के लिए बनाए गए पोर्टल samarthuttarpradesh.up.gov.in पर अब तक दो लाख से ज्यादा फीडबैक दर्ज हो चुके हैं। इनमें से 1.35 लाख ग्रामीण क्षेत्रों से और 65 हजार नगरीय क्षेत्रों से मिले हैं। आयु वर्ग के अनुसार, 75 हजार सुझाव 31 वर्ष से कम उम्र के युवाओं से आए हैं। करीब 1 लाख सुझाव 31 से 60 वर्ष आयु वर्ग से और 25 हजार से ज्यादा सुझाव 60 वर्ष से ऊपर के लोगों से प्राप्त हुए हैं।
जनता के सुझावों में शिक्षा मुख्य विषय बनकर सामने आया है। अब तक 70 हजार से अधिक राय शिक्षा क्षेत्र से जुड़ी हैं। इसके अलावा, ग्रामीण व नगरीय विकास से जुड़े 40 हजार, स्वास्थ्य से संबंधित 15 हजार, समाज कल्याण से 16 हजार और कृषि से जुड़े 27 हजार सुझाव दर्ज हुए हैं।
देवरिया, कानपुर देहात, हरदोई, जौनपुर, लखीमपुर खीरी, महराजगंज, प्रतापगढ़ और गोरखपुर से सबसे अधिक फीडबैक मिले हैं। इन जिलों से कुल 69,670 सुझाव दर्ज हुए हैं, जो इस अभियान के प्रति जनता की गंभीरता को दर्शाते हैं।
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आगरा की चित्रा पारिख और सचिन भारद्वाज ने समाज कल्याण क्षेत्र में सुधार का सुझाव दिया। उनका कहना है कि विधायकों के लिए न्यूनतम शैक्षिक योग्यता स्नातक होनी चाहिए। गौशाला समितियों में 50% महिलाओं की भागीदारी जरूरी की जाए। छात्रावासों में स्वच्छता, पौष्टिक भोजन, स्वास्थ्य सुविधाएं और खेल-कूद के लिए मंच उपलब्ध कराया जाए।
लखनऊ के कुंवर उर्जस्वित सिंह ने सुझाव दिया कि उत्तर प्रदेश में एक वितरित डेटा सेंटर ग्रिड और लखनऊ में फिनटेक एवं एनालिटिक्स सिटी विकसित होनी चाहिए। इससे राज्य की वैश्विक सेवा क्षमता और डेटा सुरक्षा मजबूत होगी। उन्होंने स्थानीय शासन में AI को-पायलट और एकीकृत नागरिक पोर्टल लागू करने की बात कही, ताकि सेवाएं और निर्णय प्रक्रिया तेज हो सके। इसके अलावा, उन्होंने स्पेस-टेक नीति और रक्षा क्षेत्र से जुड़ी अंतरिक्ष तकनीक में स्वायत्तता के लिए उच्च स्तरीय शैक्षणिक व शोध संस्थानों की स्थापना का सुझाव दिया।
किसानों ने बताया कि पशु आहार में मिलावट बढ़ रही है, जिससे पशुओं का स्वास्थ्य प्रभावित हो रहा है। इस समस्या को रोकने के लिए उन्होंने एक स्कैनर ऐप बनाने का सुझाव दिया। यह ऐप न केवल आहार की शुद्धता बताए, बल्कि पशु को स्कैन करने पर उसकी नस्ल, दूध उत्पादन और स्वास्थ्य की जानकारी भी दे। साथ ही, पशुपालन, मत्स्य पालन और मधुमक्खी पालन को बीमा योजना में शामिल करने की मांग की गई है। क्योंकि मधुमक्खी पालकों को बॉक्स चोरी और मछली पालकों को तालाब में जहर डालने जैसी घटनाओं से नुकसान होता है।
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