
Who is Shalini Yadav : सिगरा इलाके में स्पा सेंटर की आड़ में चल रहे सेक्स रैकेट का पर्दाफाश होने के बाद शहर में सियासी हलचल मच गई है। कार्रवाई के दौरान एक फ्लैट का संबंध बीजेपी नेत्री शालिनी यादव के परिवार से जोड़े जाने पर मामला और गर्म हो गया। 2019 में पीएम नरेंद्र मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ चुकीं शालिनी यादव ने अब पूरे मामले पर चुप्पी तोड़ दी है और इसे राजनीतिक साजिश बताया है।
मेलोडी स्पा सेंटर के नाम पर पंजीकृत दो फ्लैटों पर वाराणसी पुलिस कमिश्नरेट ने 2 दिसंबर को छापेमारी की। देहव्यापार की सूचना पर हुई इस कार्रवाई में पुलिस ने 9 महिलाओं सहित कुल 13 लोगों को हिरासत में लिया। दोनों स्थानों से मिले मोबाइल चैट, लेन-देन और गतिविधियों की जांच अभी जारी है।
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छापेमारी के दौरान तीन महिलाओं के बरामद होने वाले फ्लैट का स्वामित्व शालिनी यादव के पति अरुण यादव के नाम पर बताया गया। यही से मामला राजनीतिक मोड़ लेता है और सोशल मीडिया पर शालिनी यादव को लेकर कई भ्रामक पोस्ट वायरल होने लगीं। कई लोग इस मामले को राजनीतिक रंग देने लगे।
विवाद बढ़ने के बाद शालिनी यादव ने एक बयान जारी कर कहा कि जिस फ्लैट से लड़कियां मिलीं, उस पर उनकी कोई स्वामित्व या साझेदारी नहीं है। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ दिनों से “चंद व्यूज” के लिए उनका नाम गलत तरीके से जोड़कर सोशल मीडिया पर चलाया जा रहा है। उन्होंने इसे एक महिला के सम्मान के खिलाफ बताते हुए कहा कि उनकी लीगल टीम इस मामले में मानहानि की तैयारी कर रही है।
शालिनी यादव के पति अरुण यादव ने मीडिया से बातचीत में बताया कि शक्ति शिखा बिल्डिंग का फ्लैट 1999 से उनके नाम पर है और वह इसे पिछले 26 वर्षों से किराये पर देते आ रहे हैं। हाल ही में यह फ्लैट ब्रोकर के माध्यम से अश्विनी त्रिपाठी नामक व्यक्ति को विधिवत एग्रीमेंट और नोटरी के साथ किराये पर दिया गया था। उन्होंने कहा कि FIR में उनका कोई नाम नहीं है, फिर भी राजनीतिक द्वेष के कारण गलत खबरें चलाई जा रही हैं।
शालिनी यादव ने अपने बयान में कहा कि उनके खिलाफ फैल रही झूठी खबरें और वीडियो पूरी तरह तथ्यहीन हैं। उन्होंने बताया कि उनकी लीगल टीम सभी सबूत जुटा चुकी है और जल्द ही मानहानि व आईटी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया जाएगा। उन्होंने इसे “सोची-समझी राजनीतिक रणनीति” बताया।
शालिनी यादव वाराणसी की जानी-मानी राजनीतिक हस्तियों में गिनी जाती हैं।
उनके ससुर उत्तर प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री भी रह चुके हैं, जिससे उनका राजनीतिक प्रभाव और बढ़ता है।
पुलिस इस पूरे मामले में किरायेदारी एग्रीमेंट, बैंक ट्रांजैक्शन, मोबाइल रिकॉर्ड्स, और अन्य डिजिटल एविडेंस की जांच कर रही है। दूसरी ओर, राजनीतिक हलकों में यह मामला लगातार चर्चा में है और आने वाले दिनों में कई नए खुलासे होने की संभावना भी जताई जा रही है।
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