
गाजीपुर: कल्पना कीजिए, आपके घर में एक तिजोरी हो और आपको पता ही न हो कि उसमें 10 साल से करोड़ों रुपये बंद पड़े हैं. गाजीपुर जिले में ऐसा ही कुछ सामने आया है. 25 बैंकों की 327 शाखाओं में 175 करोड़ रुपये बिना किसी लेनदेन के एक दशक से यूं ही सोए पड़े हैं. न कोई निकासी, न कोई जमा, और न ही कोई दावा. बैंक ने इन्हें ‘स्लीपिंग अकाउंट’ मानकर आरबीआई को रिपोर्ट कर दिया है. अब रिजर्व बैंक इन रकम के असली वारिसों को खोजने के अभियान में जुट गया है.
गाजीपुर में यूनियन बैंक ऑफ इंडिया सहित कुल 25 बैंकों की शाखाएं संचालित हैं. इन शाखाओं में 175 करोड़ रुपये ऐसे खातों में जमा हैं जिनमें पिछले 10 वर्षों से कोई गतिविधि नहीं हुई. लेनदेन न होने की वजह से ये खाते निष्क्रिय हो चुके हैं और इन पर ब्याज जोड़ना भी बंद कर दिया गया है.
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वित्त मंत्रालय के निर्देश पर आरबीआई ने एक विशेष अभियान शुरू किया है, जिसमें निष्क्रिय खातों के असली मालिकों और उनके वारिसों की पहचान की जाएगी. बैंकों को गांव-गांव जाकर लोगों को जागरूक करने का निर्देश मिला है ताकि असली लाभार्थी सामने आ सकें. अभियान के तहत खाताधारक या उनके नामिनी बैंक पहुंचकर दस्तावेज जमा कर खाते को फिर से सक्रिय करा सकते हैं. जिन खातों के सही दावेदार मिल जाएंगे, उन्हें पिछले वर्षों का ब्याज जोड़कर राशि वापस उपलब्ध कराई जाएगी.
बैंक अधिकारियों के मुताबिक निष्क्रिय खाते को फिर से सक्रिय करने के लिए खाता धारक या उसका नामिनी निम्न दस्तावेज जमा करेगा:
इन औपचारिकताओं के बाद बैंक आरबीआई से अनक्लेम्ड राशि की मंजूरी मांगेगा. प्रक्रिया पूरी होते ही रकम दोबारा खाते में जमा कर दी जाएगी.
लीड बैंक के क्षेत्रीय प्रमुख संजय सिन्हा ने बताया कि जिले में लोगों को जागरूक करने का अभियान शुरू हो चुका है. बैंकों का लक्ष्य है कि अधिक से अधिक खाताधारक आगे आएं और अपनी निष्क्रिय पूंजी को फिर से उपयोग में ला सकें.
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