सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (CSE) की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत ने अप्रैल-मई 2021 के महीने में कोविड -19 से संबंधित बायोमेडिकल कचरे में बहुत ज्यादा वृद्धि हुई है।
नई दिल्ली. कोरोना महामारी की दूसरी लहर में बायोमेडिकल वेस्ट को लेकर एक चौंकाने वाली रिपोर्ट सामने आई है। हाल ही में जारी की गई रिपोर्ट 'स्टेट ऑफ इंडियाज एनवायरनमेंट इन फिगर्स 2021' महामारी की दूसरी लहर के दौरान कोविड-19 से संबंधित बायोमेडिकल वेस्ट (बीएमडब्ल्यू) में वृद्धि हुई है।
अप्रैल 2021 में प्रति दिन 139 टन बायोमेडिकल कचरा निकला
रिपोर्ट के मुताबिक, भारत ने अप्रैल 2021 में प्रति दिन 139 टन कोविड -19 से जुड़ा बायोमेडिकल कचरा निकला है। मई 2021 में यह आंकड़ा बढ़कर 203 टन प्रति दिन हो गया, जिसमें प्रति दिन 46 की वृद्धि हुई।
सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (सीएसई) ने विश्व पर्यावरण दिवस पर ये आंकड़ा जारी किया। सीएसई की डीजी सुनीता नारायण ने कहा, ये नंबर एक ट्रेंड बताते हैं, जिनसे पता चलता है कि स्थिति अच्छी हो रही है या फिर खराब। अगर इस ट्रेंड को समझते हैं तो स्थिति को संभालने में मदद मिलेगी।
उन्होंने कहा, ये आंकड़े तभी सही होंगे जब हम इसका इस्तेमाल पॉलिसी में करें। जरा सोचिए। हमने पिछले साल कितना नुकसान उठाया है, क्योंकि हमारे पास टेस्ट के लिए पर्याप्त या सटीक डेटा नहीं है।
बायोमेडिकल वेस्ट का उत्पादन 559 टन प्रति दिन से बढ़कर 619 हुआ
2017 और 2019 के बीच भारत में बायोमेडिकल वेस्ट का उत्पादन 559 टन प्रति दिन से बढ़कर 619 टन प्रति दिन हो गया है। इसके अलावा ट्रिटेड बायोमेडिकल कचरे का प्रतिशत 92.8 प्रतिशत से घटकर 88 प्रतिशत हो गया।
बिहार में 69 फीसदी बायोमेडिकल कचरे को ऐसे ही छोड़ दिया गया था। कर्नाटक में इसका प्रतिशत 47 फीसदी है।