Demonetisation : इन देशों में भी इस वजह से हो चुकी है नोटबंदी, भारत नहीं है अकेला

दुनिया के कई देशों में दशकों पहले डिमॉनेटाइजेशन या विमुद्रीकरण (Demonetisation) जैसे कदम उठाए जा चुके हैं।

ट्रेंडिंग डेस्क. नोटबंदी को आज पूरे 6 साल हो रहे हैं। 8 नवंबर 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कालेधन पर रोकथाम के लिए ये ऐतिहासिक कदम उठाया था पर क्या आप जानते हैं कि भारत अकेला ऐसा देश नहीं है जहां नोटबंदी की गई थी। दुनिया के कई देशों में दशकों पहले अर्थव्यवस्था में सुधार, कालेधन पर रोक जैसे कई कारणों से डिमॉनेटाइजेशन या विमुद्रीकरण (Demonetisation) जैसे कदम उठाए जा चुके हैं। डिमॉनेटाइजेशन सबसे पहले अमेरिका में 149 वर्ष पूर्व हुआ था। 

अमेरिका का डिमॉनेटाइजेशन 1873

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इसे इतिहास का पहला डिमॉनेटाइजेशन कहा जाता है। उस दौर में अमेरिका में नोट की जगह चांदी के सिक्के चला करते थे, पर डिमॉनेटाइजेशन के जरिए चांदी के सिक्कों को बंद कर सोने के सिक्कों को लीगल टेंडर बना दिया गया। इससे अमेरिका की अर्थव्यवस्था में मनी सप्लाई प्रभावित हुई थी। बाद में दबाव के चलते Bland Allison Act 1878 लाया गया, जिससे चांदी के सिक्कों को मुद्रा का दर्जा वापस मिल गया।

भारत की पहली नोटबंदी 1978

2016 में हुई नोटबंदी भारत की पहली नोटबंदी नहीं थी। इसके पहले सन 1978 में भी नोटबंदी का फैसला लिया गया था। उस दौर में भी कालेधन पर लगाम कसने के लिए 500, 1000 व दस हजार के नोट बंद करने का फैसला लिया गया था। लेकिन रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के तत्कालीन गर्वनर आईजी पटेल इस फैसले के पक्ष में नहीं थे। उस दौर में लोगों को बड़े नोटों को बदलने के लिए 1 हफ्ते का वक्त दिया गया था। हालांकि, बड़े नोटों का कम प्रचलन होने के कारण अर्थव्यवस्था पर इसका ज्यादा असर नहीं पड़ा।

अमेरिका की नोटबंदी 1969

ये अमेरिका की दूसरी और सबसे असरदार नोटबंदी मानी जाती है। तत्कालीन राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन ने 100 डॉलर के ऊपर की सभी करेंसी को अवैध घोषित कर दिया था।  ये फैसला भी कालेधन पर लगाम लगाने के लिए था, जिससे अमेरिका को काफी फायदा मिला। यही अमेरिका के मजबूत बैंकिंग सिस्टम के विकास की शुरुआत माना जाता है।

घाना (Ghana) की नोटबंदी 1982

घाना में टैक्स चोरी व ज्यादा नगदी रखने जैसी समस्याओं से निपटने के लिए 50 घानियन सेडी (50 cedi) को बंद कर दिया गया था। हालांकि, ये एक बेहद नाकामयाब कोशिश रही और इसके विपरीत प्रभाव पड़े। घाना के लोगों का झुकाव विदेशी मुद्रा की ओर बढ़ गया, साथ ही लोगों का अपने बैंकिंग सिस्टम से भरोसा उठ गया। इसकी वजह से एक और करेंसी का ब्लैक मार्केट पनप गया।

ऑस्ट्रेलिया की नोटबंदी 1996

ऑस्ट्रेलिया ने भी कालेधन पर रोक लगाने और अर्थव्यवस्था को सही दिश देने के लिए 1996 में अपने सभी तरह के पेपर नोट बंद कर दिए थे। इसके साथ ऑस्ट्रेलिया ने नए तरह के नोट छापने शुरू किए। ये पेपर की जगह पॉलीमर से बनाए जाने लगे, जिससे नोटों की उम्र भी काफी ज्यादा बढ़ गई। इसी के साथ ऑस्ट्रेलिया को बिजनेस फ्रेंडली देश भी कहा जाने लगा।

नाइजीरिया की नोटबंदी 1984

नाइजीरिया की सरकार ने अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए पुराने नोट बंद कर नए नोट जारी करने का फैसला लिया था। इसके लिए सरकार ने पुरानी मुद्रा को नए रंग के साथ छापना शुरू कर दिया था। हालांकि, सरकार इसमें फेल रही।

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