Pegasus Spyware आपके फोन में है या नहीं...कैसे पता करें? एक्सपर्ट ने बताया इससे बचने का शानदार तरीका

पेगासस सबसे पहले साल 2016 में सुर्खियों में आया था। तब UAE के मानवाधिकार कार्यकर्ता अहमद मंसूर को कई अनजान नंबर से मैसेज आ रहे थे। उसमें कई लिंक भी थे। अहमद को इस मैसेज पर संदेह हुआ। उन्होंने साइबर एक्सपर्ट से जांच करवाई। पता चला कि उनके पास भेजे गए मैसेज लिंक पर क्लिक करते ही उनके फोन में पेगासस डाउनलोड हो जाता है। 

नई दिल्ली. पेगासस स्पायवेयर (Pegasus spyware)। ये नाम सुर्खियों में है। इसपर भारतीय पत्रकारों के फोन की जासूसी का आरोप लगा है। ऐसे में आपके मन सवाल होगा कि आखिर पेगासस स्पायवेयर क्या चीज है। ये आपके फोन में जासूसी कैसे कर सकता है? क्या आपका फोन सुरक्षित है या वो भी इस पेगासस स्पायवेयर के चंगुल में आ सकता है? इन सवालों के जवाब जानने के लिए एशियानेट न्यूज ने साइबर फोरेंसिक एक्सपर्ट और केरल पुलिस महानिदेशक के चीफ टेक्नोलॉजी एडवाइजर विनोद भट्टाथिरिपाद बात की। उन्होंने आसान भाषा में सभी सवालों के जवाब दिए।

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पेगासस क्या है, किसने बनाया है?
"पेगासस एक ऐप है, जिसे आसानी से डाउनलोड किया जा सकता है। कई बार किसी लिंक के जरिए भी ये ऐप गुप्त तरीके से मोबाइल में डाउनलोड किया जा सकता है। ये इजराइली कंपनी NSO ग्रुप ने बनाया है।" 
 
पेगासस मोबाइल में कैसे पहुंचता है? 
"मैसेज, व्हाट्सएप या किसी भी मैसेजिंग प्लेटफॉर्म के जरिए पेगासस का लिंक आप तक पहुंच सकता है। अगर आपने लिंक पर क्लिक किया तो ऑटोमैटिक ये ऐप आपके मोबाइल या डिवाइस में इन्स्टॉल हो जाएगा।"  

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पेगासस से क्या-क्या खतरा है?
"अगर पेगासस आपके मोबाइल में आ गया तो ये आपके पूरे मैसेज पढ़ सकता है। इतना ही नहीं, कॉल की रिकॉर्डिंग कर सकता है। फोन के माइक और कैमरे को भी कंट्रोल कर सकता है। ये सब ऑटोमैटिक होगा और आपको पता भी नहीं चलेगा। इसके बाद आपका पूरा डेटा पेगासस के मेन सर्वर में पहुंच जाएगा।" 

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फोन में है या नहीं कैसे चेक करें?
"अगर आपको पता करना है कि आपके मोबाइल में पेगासस है या नहीं तो इसका आसान तरीका है। जैसे मान लीजिए कि आपके पास एड्रॉयड फोन है। तब उसकी सेटिंग में जाइए। वहां जाकर देखिए कि आपने किन ऐप को SMS की परमीशन दी है। ऐसे में कोई दूसरा ऐप तो आपके SMS पर कंट्रोल नहीं कर सकता है लेकिन पेगासस ऐप कंट्रोल कर सकता है। ऐप लिस्ट मे पेगासस दिखे तो उसे हटा दें।" 

पेगासस से कैसे बच सकते हैं?
"पेगासस आपके मोबाइल में किसी लिंक या मैसेज के जरिए ही आ सकता है। ऐसे में इससे बचने के लिए किसी भी ऐसे लिंक पर क्लिक न करें, जिसके बारे में आप जानते न हो। कई बार तो ये लिंक दो या तीन शब्दों के होते हैं। वो शब्द भी बड़े आकर्षित करने वाले होते हैं, जिन्हें देखकर कोई भी क्लिक कर सकता है, लेकिन ऐसे मैसेज देखकर सावधान रहने की जरूरत है।" 

पेगासस आ गया तो कैसे हटाए?
"अगर आपने किसी ऐसे लिंक पर क्लिक कर दिया है तो उसका तरीका है कि आप अपने फोन की पूरी मेमोरी को फॉर्मेट कर दें। यहां फॉर्मेट करने का मतलब है कि आप अपने पर्सनल डाटा भी डिलीट कर दें। पर्सनल डाटा में आपके फोटो और वीडियो भी शामिल हैं। उसे भी हटाना पड़ेगा।"

पूरा विवाद कहां से शुरू हुआ?
पेरिस की संस्था फॉरबिडन स्टोरीज और एमनेस्टी इंटरनेशनल के पास करीब 50 हजार फोन नंबर्स की एक लिस्ट है। संस्था का दावा है कि ये नंबर पेगासस स्पायवेयर के जरिए हैक किए गए हैं। दोनों संस्थानों ने इस लिस्ट को दुनिया के 16 मीडिया संस्थानों के साथ शेयर किया। इसमें भारत भी शामिल था। द वायर नाम के न्यूज पोर्टल ने खुलासा किया कि जिन लोगों की जासूसी की गई, उनमें 300 भारतीय हैं, जिसमें 40 पत्रकार शामिल हैं। यही से विवाद शुरू हो गया। वहीं भारत सरकार ने उन दावों को खारिज किया है, जिसमें कहा जा रहा है कि स्टेट प्रायोजित खास लोगों की निगरानी की जा रही है। सरकार ने कहा है कि इसका कोई ठोस आधार या इससे जुड़ा कोई सच नहीं है।

सरकार ने कहा, डेटा का जासूसी से कोई संबंध नहीं 
लोकसभा में केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने जासूसी के दावों को पूरी तरह से खारिज कर दिया। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि डाटा का जासूसी से कोई संबंध नहीं है। संसद के मानसून सत्र की शुरुआत के एक दिन पहले इस स्टोरी को लाया गया। यह सब संयोग नहीं हो सकता। पहले भी वॉट्सएप पर पेगासस के इस्तेमाल को लेकर इसी तरह के दावे किए गए थे। उन रिपोर्ट्स में भी कोई फैक्ट नहीं थे और उन्हें सभी ने नकार दिया था। इस मामले को तर्क के चश्मे से देखने पर पचा चलता है कि इसका कोई आधार नहीं है।

यहां देखें एक्सपर्ट से बातचीत का पूरा वीडियो

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