एक अनुमान के मुताबिक, दुनिया की अफीम पोस्त का लगभग 95% अफगानिस्तान, मैक्सिको और म्यांमार में उगाया जाता है।
काबुल. अफगानिस्तान पर कब्जा करने के बाद डर है कि तालिबान मैक्सिकन ड्रग कार्टेल के साथ दोस्ती न कर ले। ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि ये दोनों आर्थिक रूप से ड्रग तस्करी पर ही निर्भर हैं। दोनों अपने ताकत बढ़ाने के लिए क्रूर हिंसा का इस्तेमाल करते हैं।
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95% अफीम अफगानिस्तान, मैक्सिको और म्यांमार में उगाई जाती है
साल 2009 में ही एक्सपर्ट्स ने इस बात पर चिंता जाहिर की थी कि तालिबान और मैक्सिकों के कार्टेल वैश्किक खतरा बन सकते हैं। एक अनुमान के मुताबिक, दुनिया की अफीम पोस्त का लगभग 95% अफगानिस्तान, मैक्सिको और म्यांमार में उगाया जाता है।
अफगानिस्तान की अर्थव्यवस्था में ड्रग्स का कितना योगदान है?
अब जब तालिबान ने अफगानिस्तान पर फिर से कब्जा कर लिया है तो एक्सपर्ट्स को डर है कि वे अफीम पोस्त की खेती पर अपनी पकड़ और मजबूत करेंगे, जिसका विश्व में नशीले पदार्थों और खासकर मैक्सिको के कार्टेल पर प्रभाव पड़ेगा। मैक्सिको में हेरोइन की तस्करी के लिए कार्टेल जिम्मेदार हैं, जबकि अफगानिस्तान में इसके प्रोडक्शन पर अब सीधे तौर पर तालिबान का कब्जा हो चुका है। एक अनुमान के मुताबिक, अफगानिस्तान की 50% अर्थव्यवस्था का अवैध नशीली दवाओं के व्यापार से है।
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अमेरिका की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि अफगानिस्तान में अफीम का अधिकांश उत्पादन उन क्षेत्रों में हो रहा है जो पहले से ही तालिबान के नियंत्रण में हैं। इंटरनेशनल ड्रग्स के बिजनेस ने मेक्सिको में कई अलग-अलग कार्टेल के लिए रास्ते खोले हैं। सिनालोआ कार्टेल सबसे तेजी से बढ़ते ग्रुप्स में से एक है।
DW की एक रिपोर्ट के मुताबिक, मैक्सिकन कार्टेल और तालिबान एक दूसरे के कम्पटीटर हैं। लेकिन कई क्षेत्रों में ये एक दूसरे की तारीफ करते रहे हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2019 और 2020 के बीच अफगानिस्तान में अफीम की खेती में बड़ी वृद्धि हुई है।
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