अवॉर्ड न मिलने पर छलका था रामायण के 'राम' का दर्द, अब बोले- दर्शकों के प्यार से बड़ा कुछ नहीं

'रामायण' के राम यानी अरुण गोविल ने हाल ही में अवॉर्ड्स को लेकर अपना दर्द बयां किया था। सोशल मीडिया पर जब यह मामला काफी बढ़ गया तो उन्होंने अपनी बात पर सफाई दी है। अरुण गोविल ने अपनी बात रखते हुए कहा- "मेरा मंतव्य प्रश्न का उत्तर देना था। कोई अवॉर्ड पाने की आकांक्षा नहीं थी। हालांकि, राजकीय सम्मान का अपना अस्तित्व होता है, पर दर्शकों के प्यार से बड़ा कोई अवॉर्ड नहीं होता, जो मुझे भरपूर मिला है। आप सभी के असीम प्रेम के लिए सप्रेम धन्यवाद।"

मुंबई। 'रामायण' के राम यानी अरुण गोविल ने हाल ही में अवॉर्ड्स को लेकर अपना दर्द बयां किया था। सोशल मीडिया पर जब यह मामला काफी बढ़ गया तो उन्होंने अपनी बात पर सफाई दी है। अरुण गोविल ने अपनी बात रखते हुए कहा- "मेरा मंतव्य प्रश्न का उत्तर देना था। कोई अवॉर्ड पाने की आकांक्षा नहीं थी। हालांकि, राजकीय सम्मान का अपना अस्तित्व होता है, पर दर्शकों के प्यार से बड़ा कोई अवॉर्ड नहीं होता, जो मुझे भरपूर मिला है। आप सभी के असीम प्रेम के लिए सप्रेम धन्यवाद।"

इससे पहले शनिवार को ट्विटर पर फिल्मफेयर से हुई बातचीत में कुछ सवालों के जवाब देते हुए अरुण गोविल का दर्द छलक उठा था। उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा था, "चाहे कोई राज्य सरकार हो या केंद्र सरकार, मुझे आज तक किसी सरकार ने कोई सम्मान नहीं दिया है। मैं उत्तर प्रदेश से हूं, लेकिन उस सरकार ने भी मुझे आज तक कोई सम्मान नहीं दिया। और यहां तक कि मैं पचास साल से मुंबई में हूं। लेकिन महाराष्ट्र की सरकार ने भी कोई सम्मान नहीं दिया।" 

आप घर-घर में पूजे जाते हैं : 
इसके बाद अरुण गोविल के फैन्स ने उनसे कहा था कि देश की जनता ने आपको राम के रूप में जो सम्मान दिया है, वह किसी भी तरह के पुरस्कार से कहीं ज्यादा है। एक शख्स ने लिखा था, "आपको कोई सम्मान दे या न दे, आप घर-घर में राम के रूप में पूजे जाते हैं।" एक अन्य यूजर का कमेंट था, "करोड़ों लोग आप में भगवान राम की छवि देखते हैं। ऐसा सम्मान किसी को भी नसीब नहीं है? 

रामायण के एक एपिसोड में लगे थे 9 लाख रुपए : 
बता दें कि 'रामायण' का पहला प्रसारण 25 जनवरी, 1987 में शुरू हुआ था और यह 31 जुलाई, 1988 तक दूरदर्शन पर दिखाई गई। इसके बाद इसका पुन: प्रसारण कोरोना लॉकडाउन के बीच दूरदर्शन पर दोबारा शुरू हुआ। रामायण के सभी एपिसोड उम्बरगांव में शूट किए गए थे। रामानंद सागर के बेटे प्रेम सागर के मुताबिक, विक्रम बेताल का एक एपिसोड 1 लाख में बना था। हालांकि रामायण का हर एक एपिसोड बनने में 9 लाख के आसपास लगे थे।

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