किस ग्रह दशाओं और योग में मिलती है नौकरी, बिजनेस या राजनीति में सफलता, जानिए खास बातें

बिजनेस (Business) या नौकरी (Job) शुरू करने के बाद सबसे बड़ी चिंता उसमें सफलता (success) मिलने या प्रमोशन (Promotion) हासिल करने की होती है। कई बार कड़ी मेहनत के बाद भी उचित फल नहीं मिल पाता तो कुछ लोग थोड़े प्रयासों से ही सफलता के शिखर पर पहुंच जाते हैं।

Asianet News Hindi | Published : Nov 28, 2021 4:35 PM IST

उज्जैन. अचानक किसी बड़े पद पर पहुंचने की वजह कुंडली (Kundli) में बनने वाले योग और कुछ खास ग्रहों की दशाएं होती हैं। इसीलिए, कुंडली को देखकर जीवन में सफलता के समय का अनुमान भी लगाया जा सकता है। कुंडली में कई बार ऐसे योग बनते हैं, जिनके चलते अचानक सफलता और बड़े पद मिल जाते हैं। ये योग ग्रहों की विशेष स्थिति के कारण बनते हैं। जो भी इन परिस्थितियों को समझकर फायदा उठा लेता है, उसे जीवन की हर सुख-सुविधा प्राप्त हो जाती है। हम यहां कुछ ग्रहों की दशाओं का उल्लेख कर रहे हैं, जो नौकरी, बिजनेस या राजनीति में सफलता सुनिश्चित करती हैं...

लग्नेश, दशमेश और उच्च के ग्रह
जीवन में उत्थान के लिए लग्नेश, दशमेश और उच्च के ग्रहों की दशाएं महत्वपूर्ण होती हैं। इन दशाओं में प्रमोशन मिलते हैं, कमाई बढ़ती है और कारोबारियों को सफलता हासिल होती है। अगर इन दशानाथों का संबंध सप्तम भाव या सप्तमेश से बन जाए तो सफलता मिलने की संभावनाएं खासी मजबूत हो जाती हैं।

अमात्यकारक की दशा
चर दशा में राहु-केतु को छोड़कर जो ग्रह अंशों (कला, विकला सहित) के आधार पर दूसरे नंबर पर आता है, उसे अमात्यकारक ग्रह कहा जाता है। आजीविका हासिल करने और उन्नति में अमात्यकारक और उससे प्रभावित ग्रहों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।

उचित गोचर
ऊपर बताई गई दशाएं तो महत्वपूर्ण हैं, लेकिन सफलता प्राप्त करने के लिए गोचर का सहयोग भी जरूरी है। सबसे बड़ी बात यह है कि दशानाथों पर गोचर का प्रभाव महत्वपूर्ण होता है। व्यवसायिक सफलता के लिए गोचर के दशानाथ का कुंडली के महत्वपूर्ण स्थानों जैसे दशम भाव या दशमेश, षष्ठ भाव या षष्ठेश और लग्न या लग्नेश को अवश्य प्रभावित करना चाहिए। इससे दशा विशेष में इच्छित फल प्राप्त की संभावनाएं बढ़ जाती हैं।

वर्ग कुंडलियों का अध्ययन
कुंडली देखने से प्रथम दृष्टि से मोटी-मोटी जानकारियां हासिल हो जाती हैं, लेकिन सूक्ष्म जानकारियों के लिए वर्ग कुंडलियों का अध्ययन अहम है। इसलिए जन्म कुंडली, नवांश और दशमांश का अध्ययन किया जाना चाहिए। इसके बिना अक्सर अनुमान गलत हो जाते हैं।

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