कुंडली में गुरु और चंद्रमा की युति से बनता है गजकेसरी नाम का शुभ योग, इससे मिलते हैं शुभ फल

ज्योतिष शास्त्र में कई शुभ योग बताए गए हैं। ऐसा ही एक शुभ योग है गजकेसरी। जिस व्यक्ति की कुंडली में ये योग होता है उसे उसे धन-सम्पदा, स्त्री सुख, सन्तान सुख, घर, वाहन, पद-प्रतिष्ठा, सेवक सभी प्राप्त होते हैं।

Asianet News Hindi | Published : Jan 9, 2021 4:10 AM IST

उज्जैन. ज्योतिष शास्त्र में कई शुभ योग बताए गए हैं। ऐसा ही एक शुभ योग है गजकेसरी। जिस व्यक्ति की कुंडली में ये योग होता है उसे उसे धन-सम्पदा, स्त्री सुख, सन्तान सुख, घर, वाहन, पद-प्रतिष्ठा, सेवक सभी प्राप्त होते हैं। जानिए जन्म पत्रिका में किन ग्रहों की युति से बनता है ये शुभ योग और क्या फल देता है…

गुरु और चंद्रमा बनाते हैं गजकेसरी योग

जब किसी व्यक्ति की जन्मपत्रिका में गुरु व चन्द्र एक दूसरे से केन्द्र में स्थित हों तब गजकेसरी योग बनता है। यदि गुरु व चन्द्र गजकेसरी योग बनाते हुए जन्मपत्रिका के भी केन्द्र स्थानों में स्थित हों एवं इन दोनों ग्रहों पर कोई पाप ग्रह या क्रूर ग्रह का प्रभाव ना हो तो गजकेसरी योग की शुभता में कई गुना वृद्धि होती है।

जानिए किस भाव में क्या फल देता है ये योग
 

1. यदि कुंडली के लग्न अर्थात् प्रथम भाव में गजकेसरी योग बन रहा हो तो व्यक्ति कोई राजनेता या अभिनेता बन सकता है। यह योग व्यक्ति को अच्छी बुद्धि देता है जिससे वह ईश्वर में आस्था रखता है और गलत रास्ते पर नहीं जाता।
2. गजकेसरी योग कुंडली के दूसरे भाव में बनता है तो व्यक्ति को अपने जीवन  में सभी सुख-सुविधाएं मिलती हैं। ऐसा व्यक्ति अपने परिवार और कुल का नाम रोशन करता है।
3. कुंडली के तीसरे भाव में यदि गजकेसरी योग बन रहा हो तो ऐसा व्यक्ति पराक्रमी होता है और अपने दम पर नाम कमाता है।
4. चौथे भाव में जब गजकेसरी योग बनता है तो व्यक्ति को माता का असीम सुख मिलता है और माता के सहयोग से व्यक्ति जीवन में आगे बढ़ता है। उसे चल और अचल संपत्ति का प्रबल लाभ मिलता है।
5. कुंडली के पंचम भाव से गजकेसरी योग का निर्माण होना उत्तम संतान का योग भी बनाता है और व्यक्ति अपनी बुद्धि, विवेक और ज्ञान के बल पर जीवन में यश कमाता है।
6. कुंडली का छठा भाव शत्रुओं का और रोग वृद्धि का होता है। यदि इस भाव में गजकेसरी योग बन रहा हो तो ज्यादा मजबूत नहीं होता। यह कुंडली का अच्छा भाव नहीं माना जाता इसलिए इसमें शुभ ग्रह बृहस्पति और चंद्रमा की स्थिति ज्यादा अच्छी नहीं होती।
7. सातवें भाव में बनने वाला गजकेसरी योग उत्तम जीवन साथी प्रदान करता है। ऐसे व्यक्ति का समाज में विशेष मान-सम्मान होता है और दांपत्य जीवन में भी प्रबल सुख प्राप्त होता है।
8. यदि गजकेसरी योग कुंडली के आठवें भाव में बनता है तो व्यक्ति की सोच आध्यात्मिक होती है। इस भाव का गजकेसरी योग व्यक्ति को अनपेक्षित धन प्रदान करता है और गुप्त धन की ओर भी इशारा करता है, लेकिन जीवन में समस्याएं भी आती रहती हैं।
9. कुंडली के नौवें भाव में गजकेसरी योग व्यक्ति के भाग्य में कई गुना बढ़ोतरी कर देता है और व्यक्ति को कर्म से ज्यादा भाग्य से फायदा मिलता है। ऐसा व्यक्ति धार्मिक होता है और समाज में अच्छे कार्य करने वाला होता है। समाज के परोपकार के कार्यों से उसे जीवन में मान-सम्मान और धन संपदा की प्राप्ति होती है।
10. दशम भाव मजबूत केंद्र भाव है जो आपके व्यवसाय का भाव भी है। यदि इस भाव में व्यक्ति के गजकेसरी योग का संबंध बन रहा हो तो व्यक्ति अपने करियर में ऊँचाइयों पर पहुंच जाता है।
11. यदि गजकेसरी योग का संबंध कुंडली के एकादश भाव से हो तो व्यक्ति के पास एक से अधिक माध्यमों से धन की प्राप्ति के योग बनते हैं। अक्सर ऐसे लोग ब्याज पर पैसा देकर धन कमाते हैं और शारीरिक मेहनत कम करके भी उन्हें अतुलनीय धन संपदा प्राप्त होती है।
12. बारहवें भाव का गजकेसरी योग व्यक्ति को धर्म-कर्म के कामों में आगे बढ़ाता है। ऐसा व्यक्ति जन्म स्थान से दूर रहकर ही तरक्की प्राप्त कर पाता है।

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