कैसे हुई बटुक भैरव की उत्पत्ति, कैसा है इनका स्वरूप? इनकी पूजा से दूर होते हैं Rahu-Ketu के दोष

Published : Sep 07, 2021, 11:39 AM IST
कैसे हुई बटुक भैरव की उत्पत्ति, कैसा है इनका स्वरूप? इनकी पूजा से दूर होते हैं Rahu-Ketu के दोष

सार

हिंदू धर्म में विभिन्न देवी-देवताओं की पूजा का विधान है। इनमें से कुछ देवताओं की पूजा वाम तंत्र से भी की जाती है यानी इनकी पूजा में मांस, मदिरा आदि चीजों का भोग लगाया जाता है। ऐसे ही देवता है भैरव।

उज्जैन. रुद्रयामल तंत्र में 64 भैरव (Bhairav) का उल्लेख मिलता है लेकिन अमूमन लोग भैरव के दो स्वरूप की ज्यादा पूजा करते हैं, जिनमें से एक हैं बटुक भैरव और दूसरे कालभैरव। ग्रंथों में भगवान भैरव की उत्पत्ति भगवान शिव से मानी गई है, जिनकी पूजा करने वाले साधक को जीवन में कभी भी कोई भय नहीं सताता है। कालभैरव की पूजा तामसिक पद्धति से और बटुक भैरव (Batuk Bhairav) की पूजा सात्विक विधि से की जाती है।

कैसा है बटुक भैरव (Batuk Bhairav) का स्वरूप?
बटुक भैरव स्फटिक के समान शुभ्र वर्ण वाले हैं। उन्होंने अपने कानों में कुण्डल धारण किया हुआ है और दिव्य मणियों से सुशोभित हैं। बटुक भैरव प्रसन्न मुख वाले और अपनी भुजाओं में अस्त्र-शस्त्र धारण किये होते हैं। उनके गले में माला शोभायमान हैं।

कैसे हुई बटुक भैरव (Batuk Bhairav) की उत्पत्ति
मान्यता है कि प्राचीन काल में एक आपद् नामक राक्षस था। जिसने कठोर तपस्या करके यह वर प्राप्त कर लिया कि उसकी मृत्यु केवल पाँच वर्ष के बालक से ही हो सकती है और वह किसी अन्य प्राणी से नहीं मारा जा सकता है। इसके बाद उसने तीनों लोकों में आतंक फैला दिया। ऐसे में जब सभी देवता इस समस्या का समाधान खोजने का विचार कर रहे थे तभी उन देवताओं के शरीर से एक-एक तेजोधारा निकली और उससे एक पंचवर्षीय बटुक की उत्पत्ति हुई, जिसमें अद्भुत तेज था। इसी बटुक ने फिर बाद में आपद् नामक राक्षस का वध किया और बाद में आपदुद्धारक बटुक भैरव के नाम से जाने गये।

बटुक भैरव (Batuk Bhairav) के उपाय
1.
ज्योतिष के अनुसार राहु-केतु से संबंधी समस्याओं को दूर करने के लिए बटुक की साधना अत्यंत फलदायी है।
2. रविवार को भगवान बटुक भैरव (Batuk Bhairav) की साधना करने पर साधक को बल, बुद्धि, विद्या, मान-सम्मान आदि की प्राप्ति होती है।
3. भगवान बटुक भैरव को दही बड़े का भोग लगाना चाहिए। वैसे तो ये सात्विक होता है, लेकिन ग्रंथों में इसे तामसिक भोजन कहा गया है।
4. बटुक भैरव को इमरती का भोग लगाएं और बाद इसे कुत्तों को खिला दें। कुत्ते भैरव का वाहन है।
5. किसी ऐसे भैरव की पूजा करें जहां कोई नहीं जाता हो। इससे आपकी हर परेशानी दूर हो सकती है।

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