भगवान श्रीराम के गुरु विश्वामित्र ने स्थापित की थी इस मंदिर में देवी प्रतिमा, यहां तांत्रिक विधि से होती है पूजा

गुजरात के पंचमहल जिले में पावागढ़ पहाड़ी पर बना देवी मंदिर बहुत प्रसिद्ध है। यहां दक्षिणमुखी काली मां की मूर्ति स्थापित है। यह मंदिर पावागढ़ की ऊँची पहाड़ियों के बीच लगभग 550 मीटर की ऊंचाई पर है।

Asianet News Hindi | Published : Oct 4, 2019 3:52 AM IST / Updated: Oct 04 2019, 09:24 AM IST

प्राचीन काल में इस दुर्गम पर्वत पर चढ़ाई लगभग असंभव थी। चारों तरफ खाइयों से घिरे होने से यहां हवा का वेग भी बहुत ज्यादा रहता है, इसलिए इसे पावागढ़ कहते हैं यानी ऐसी जगह जहां पवन (हवा) का वास हमेशा एक जैसा हो। 

ये हैं मंदिर का महत्व
देवी पुराण के अनुसार प्रजापति दक्ष के यज्ञ में शिव का अपमान सहन न कर पाने के कारण माता सती ने योग बल द्वारा अपने प्राण त्याग दिए थे। सती की मृत्यु से व्यथित शिवशंकर उनके मृत शरीर को लेकर तांडव नृत्य करते हुए सम्पूर्ण ब्रह्मांड में भटकते रहे। सृष्टि को बचाने के लिए भगवान विष्णु ने चक्र से सती के मृत शरीर के टुकड़े कर दिये। उस समय माता सती के अंग, वस्त्र तथा आभूषण जहां गिरे, वहां शक्तिपीठ बन गए। पावागढ़ पर सती का वक्षस्थल गिरा था। जगतजननी के स्तन गिरने के कारण इस जगह को बेहद पूजनीय और पवित्र माना जाता है। यहां दक्षिण मुखी काली देवी की मूर्ति है, जिसकी दक्षिण रीति यानि तांत्रिक पूजा की जाती है।

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मंदिर का ऐतिहासिक महत्व
पावागढ़ का ऐतिहासिक महत्त्व भी है। यह मंदिर श्रीराम के समय का है। इसको शत्रुंजय मंदिर कहा जाता था। यह भी माना जाता हैं कि मां काली की मूर्ति विश्वामित्र ने ही स्थापित की थी। यहां बहने वाली उन्हीं के नाम पर है विश्वामित्री पड़ा। ऐसी मान्यता है कि भगवान राम, उनके बेटे लव और कुश के अलावा बहुत से बौद्ध भिक्षुओं ने यहां मोक्ष प्राप्त किया था।

रोपवे की सुविधा भी
पावागढ़ की पहाड़ियों के नीचे चंपानेर नगरी है, जिसे महाराज वनराज चावड़ा ने अपने बुद्धिमान मंत्री के नाम पर बसाया था। पावागढ़ पहाड़ी की शुरुआत प्राचीन गुजरात की राजधानी चंपानेर से होती है। यहां 1,471 फुट की ऊंचाई पर 'माची हवेली' स्थित है। मंदिर तक जाने के लिए माची हवेली से रोपवे की सुविधा है। यहां से पैदल मंदिर तक पहुंचने लिए लगभग 250 सीढ़ियां चढ़नी होती हैं।

कैसे पहुचें?
- यहां से सबसे नजदीक अहमदाबाद का एयरपोर्ट है, जिसकी दूरी यहां से करीब 190 किलोमीटर और वडोदरा से 50 किलोमीटर है।
- पावागढ़ पहुंचने के लिए नजदीकी रेलवे स्टेशन वडोदरा है, जो कि दिल्ली और अहमदाबाद से सीधी रेल लाइनों से जुड़ा हुआ है। वडोदरा पहुंचने के बाद सड़क यातायात के सुलभ साधन उपलब्ध हैं।
 

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