UP पंचायत चुनावः HC का बड़ा फैसला-1995 नहीं, अब 2015 के आधार पर जारी करें आरक्षण की लिस्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने उत्तर प्रदेश के त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में 2015 को आधार वर्ष मानकर आरक्षण पूरा करने का आदेश राज्य सरकार और चुनाव आयोग को दिया है। इससे पहले राज्य सरकार ने अदालत में स्वयं कहा कि वह 2015 को आधार वर्ष मानकर त्रिस्तरीय चुनाव में आरक्षण की व्यवस्था लागू करने के लिए स्वयं तत्पर है। 
 

Asianet News Hindi | Published : Mar 15, 2021 7:03 AM IST / Updated: Mar 15 2021, 04:13 PM IST

लखनऊ (Uttar Pradesh) । पंचायत चुनाव कराने के लिए जारी आरक्षण सूची को लेकर बड़ी खबर आ रही है। सरकार की ओर से महाधिवक्ता राघवेंद्र सिंह ने माना कि सरकार से आरक्षण प्रक्रिया लागू करने में गलती हुई। यह तथ्य सामने आने के बाद अदालत ने पंचायत चुनाव को 25 मई तक पूरा करने के आदेश दिए हैं। साथ ही 27 मार्च तक संशोधित आरक्षण सूची जारी करने का निर्देश भी दिया है। प्रदेश सरकार इससे पहले 17 मार्च को ही आरक्षण की संशोधित सूचित जारी करने की तैयारी में थी।

कोर्ट ने दिया ये आदेश
इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने उत्तर प्रदेश के त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में 2015 को आधार वर्ष मानकर आरक्षण पूरा करने का आदेश राज्य सरकार और चुनाव आयोग को दिया है। इससे पहले राज्य सरकार ने अदालत में स्वयं कहा कि वह 2015 को आधार वर्ष मानकर त्रिस्तरीय चुनाव में आरक्षण की व्यवस्था लागू करने के लिए स्वयं तत्पर है। 

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शासनादेश को दी थी चुनौती 
न्यायमूर्ति रितुराज अवस्थी व न्यायमूर्ति मनीष माथुर की खंडपीठ ने अजय कुमार की जनहित याचिका पर आरक्षण सीटों के आवंटन पर स्टे दिया था। याचिका में 11 फरवरी 2021 के शासनादेश को चुनौती दी गई है। 

याचिका में कही थी ये बातें 
याचिका में कहा गया था कि पंचायत चुनाव में आरक्षण लागू किए जाने सम्बंधी नियमावली के नियम 4 के तहत जिला पंचायत, सत्र पंचायत व ग्राम पंचायत की सीटों पर आरक्षण लागू किया जाता है।

साल 2015 को बनाया गया है आधार
आरक्षण लागू किए जाने के संबंध में वर्ष 1995 को मूल वर्ष मानते हुए 1995, 2000, 2005 व 2010 के चुनाव सम्पन्न कराए गए। 16 सितम्बर 2015 को एक शासनादेश जारी करते हुए वर्ष 1995 के बजाय वर्ष 2015 को मूल वर्ष मानते हुए आरक्षण लागू किए जाने को कहा गया। 

इस शासनादेश को किया गया नजरंदाज
16 सितम्बर 2015 के इस शासनादेश को नजरंदाज करते हुए, 11 फरवरी 2021 का शासनादेश लागू कर दिया गया था। जिसमें वर्ष 1995 को ही मूल वर्ष माना गया है। यह भी कहा गया कि वर्ष 2015 के पंचायत चुनाव भी 16 सितम्बर 2015 के शासनादेश के ही अनुसार सम्पन्न हुए थे।

(फाइल फोटो)

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