Lakhimpur में मारे गए BJP कार्यकर्ताओं की फैमिली से मिलना चाहती हैं प्रियंका, लेकिन परिवार ने किया मना

Published : Oct 07, 2021, 03:07 PM ISTUpdated : Oct 07, 2021, 03:09 PM IST
Lakhimpur में मारे गए BJP कार्यकर्ताओं की फैमिली से मिलना चाहती हैं प्रियंका, लेकिन परिवार ने किया मना

सार

राहुल और प्रियंका गरुवार को लखीमपुर हिंसा में मारे गए किसान नछत्र सिंह के घर गांव रामनगर लहबडी पहुंचे। जहां उन्होंने परिजनों से मुलाकत की और परिजनों को गले लगाकर कहा कि अंत तक, अंजाम तक हम न्याय के लिए लड़ेंगे।

लखीमपुर. उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी (akhmipur violence) में रविवार को हुई हिंसा पर सियासत थमती नजर नहीं आ रही। आलम यह हो गया है कि अब यह  राजनीतिक अखाड़ा बन गया है।  कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी (Rahul Gandhi) और महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा (Priyanka Gandhi Vadra) इस घटना में मारे गए पीड़ित परिवारों से मिल रहे हैं। इस दौरान प्रियंका ने मीडिया से बात की और कहा कि वह बीजेपी के मारे गए कार्यकर्ताओं के परिजनों से भी मिलना चाहती हैं, लेकिन वह हमसे मिलने के लिए तैयार नहीं है। फिर हमारी संवेदनाएं उनके साथ हैं, कांग्रेस उनके लिए हर कदम पर खड़ी है। 

मैंने आईजी तो उन्होंने कहा-वह नहीं मिलना चाहते...
दरअसल कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी लखीमपुर की हिंसा में मारे गए पत्रकार रमेश कश्यप के परिवार को सांत्वना देने के लिए उनके पहुंची हुई थीं।इस दौरान प्रियंका गांधी ने कहा कि वह किसानों के अलावा मारे गए बीजेपी कार्यकर्ताओं के घर भी जाना चाहती थीं। परिजनों के पास जाकर उनके दुखों को बांटना चाहती थीं। इसके लिए मैंने आईजी और पुलिस से बात भी की। लेकिन आईजी ने कहा कि वह मुझसे नहीं मिलना चाहते हैं।

'अंत तक, अंजाम तक हम न्याय के लिए लड़ेंगे'
बता दें कि राहुल और प्रियंका गरुवार को लखीमपुर हिंसा में मारे गए किसान नछत्र सिंह के घर गांव रामनगर लहबडी पहुंचे। जहां उन्होंने परिजनों से मुलाकत की और परिजनों को गले लगाकर कहा कि अंत तक, अंजाम तक हम न्याय के लिए लड़ेंगे। सभी पीड़ित परिवारों का कहना है कि उन्हें न्याय तब मिलेगा जब केंद्रीय गृह राज्य मंत्री की बर्खास्तगी होगी और हत्यारों की गिरफ़्तारी होगी।

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सभी 8 लोगों को 45-45 लाख मुआवजा मिला
यूपी सरकार ने हिंसा में मारे गए सभी 8 लोगों को 45-45 लाख रुपए का मुआवजे दिया है। दरअसल, सरकार और किसानों के बीच समझौता हुआ था, इसमें मरने वालों को 45-45 लाख रुपए आर्थिक सहायता, घायलों को 10-10 लाख की मदद और मृतक किसानों के परिवार से एक-एक शख्स को योग्यता के अनुसार सरकारी नौकरी की शर्त रखी गई थी।

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