नेपाल सीमा से लगे गैर मान्यता प्राप्त मदरसों के आय स्रोतों की होगी जांच, जानिए क्या है इसके पीछे की बड़ी वजह

यूपी के नेपाल सीमा से लगे गैर मान्यता प्राप्त मदरसों के आय स्रोतों की जांच होगी। ऐसा इसलिए क्योंकि सर्वे के दौरान कई मदरसे जकात के जरिए चलते है तो सरकार की मंशा जानने है कि जकात का जरिया भी पता होना चाहिए।

Asianet News Hindi | Published : Nov 21, 2022 5:47 AM IST

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में योगी सरकार के आदेशानुसार गैर मान्यता प्राप्त मदरसों का सर्वे पूरा हो गया है लेकिन नेपाल सीमा पर स्थित राज्य के जिलों के गैर मान्यता प्राप्त मदरसों में आय के स्रोत की जांच होगी। दरअसल सर्वे में ज्यादातर सीमावर्ती मदरसों ने अपनी आय का स्रोत जकात बताया है। अब इसी का पता लगाया जाएगा कि बॉर्डर के गैर मान्यता प्राप्त डेढ़ हजार से ज्यादा मदरसों को यह जकात कहां से मिल रही है। इसके लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में बैठक होने जा रही है।

राज्य के इन जिलों में होगी जकात को लेकर जांच
प्रदेश के गैर मान्यता प्राप्त मदरसों के सर्वे सामने आया है कि करीब साढ़े आठ हजार मदरसे ऐसे हैं जिन्होंने मान्यता नहीं ली है। उसमें 7.64 लाख से ज्यादा बच्चे पढ़ रहे हैं। इस सर्वे में ज्यादातर मदरसों ने आय का स्त्रोत जकात को बताया है। सरकार इसको मान रही है लेकिन सरकार की मंशा है कि जकात का जरिया भी पता होना चाहिए। नेपाल बॉर्डर के जिलों में इस पर खासतौर पर फोकस करने को कहा गया है। जिसमें से बलरामपुर में 400 से ज्यादा, महराजगंज में 60, सिद्धार्थनगर में 500 से ज्यादा, लखीमपुर खीरी में 200, बहराइच तथा श्रावस्ती में 400 से ज्यादा मदरसे गैर मान्यता प्राप्त मिले हैं। इन सब मदरसों में देखा जाएगा कि उन्हें जकात कहां से मिल रही है। 

दुबई, नेपाल, दिल्ली से मिलती है मदरसों को जकात
हालांकि कई मदरसों ने मौखिक बताया है कि उन्हें चेन्नई, मुंबई, दिल्ली, कोलकाता, हैदराबाद सहित कई महानगरों से जकात मिलती है। वहीं कुछ मदरसों को दुबई व नेपाल के भी सहयोग राशि देते हैं इसके दस्तावेज लिखित में खंगाले जाएंगे कि कहां-कहां से कितना पैसा आया। इसको लेकर अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री धर्मपाल सिंह ने बताया कि इसके लिए सीएम की अध्यक्षता में बैठक होगी और उनसे इस पर मंजूरी ली जाएगी ताकि इस पर पूरी गंभीरता से काम हो सके। मंत्री के अनुसार यूपी सरकार की मंशा है कि मदरसों में पढ़ रहे छात्र ऐसी संस्थाओं में पढ़ें जहां उनका भविष्य संवर सके और वे मुख्य धारा से जुड़ें। 

रमजाने के महीने में ज्यादातर लोग करते हैं जकात
इमाम खालिद रशीद फरंगी महल का कहना है कि इस्लाम में हर उस मुसलमान को जकात देनी चाहिए जिसके पास 52.5 तोले चांदी के बराबर चल या अचल संपत्ति है। उसमें से निजी मकान और गाड़ी को छोड़ा गया है। ऐसे व्यक्ति को अपनी सालाना बचत का 2.5 प्रतिशत हिस्सा गरीबों को दान या जकात देना चाहिए। उन्होंने आगे बताया कि वैसे तो जकात का फर्ज तभी हो जाता है जब व्यक्ति उस काबिल हो जाता है लेकिन लोग रमजान के पाक महीने में ज्यादा जकात करते हैं। 

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