यूपी की मैनपुरी लोकसभा सीट से सांसद मुलायम सिंह यादव के निधन बाद कौन चुनाव लड़ेगा, इसे लेकर तमाम नामों पर चर्चाएं होने के बाद डिंपल यादव का नाम कंफर्म हो गया है। इसके पीछे के पांच मुख्य वजह मानी जा रही है।
लखनऊ: उत्तर प्रदेश की मैनपुरी लोकसभा सीट से समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव के निधन बाद कौन चुनाव लड़ेगा, इसे लेकर तमाम नामों पर चर्चा रही। हालांकि अब तय हो चुका है कि यहां होने वाले उपचुनाव में नेताजी की बड़ी बहू और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव चुनाव मैदान में उतर रही हैं। दूसरी ओर ऐसी चर्चा हो रही है कि बीजेपी मुलायम की छोटी बहू अपर्णा यादव को मैनपुरी से लोकसभा उपचुनाव लड़ा सकती है। डिंपल के नाम का ऐलान होने के बाद अपर्णा ने भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी से मुलाकात की। इस वजह से सियासी गलियारे में उनकी मुलाकात को मैनपुरी उपचुनाव से जोड़कर देखा जा रहा है।
साल 1992 में समाजवादी पार्टी का हुआ था गठन
मैनपुरी सीट पर नेताजी मुलायम सिंह यादव का हमेशा दबदबा रहा है। चार अक्टूबर 1992 को मुलायम सिंह यादव ने समाजवादी का गठन किया। जिसके बाद उन्होंने मैनपुरी लोकसभा सीट पर साल 1996 में चुनाव लड़ा और जीता। नेताजी ने सैफई को जन्मस्थली तो वहीं मैनपुरी को हमेशा कर्मस्थली माना। कई मंचों पर उन्होंने इसका ऐलान भी किया है, इस वजहसे जनता हमेशा अपने नेता के साथ रही। वहीं नेताजी के निधन के बाद समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश याादव ने पत्नी डिंपल यादव का नाम तय किया है। इसके पीछे के प्रमुख पांच कारण माने जा रहे हैं, तो चलिए जानते हैं आखिर क्या है वो वजह।
1. परिवार को एकजुट करने की कोशिश: सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने पत्नी डिंपल यादव को टिकट देकर परिवार में किसी भी सदस्य को बोलने से पहले सोचने की स्थिति में लाकर खड़ा कर दिया है। उन्होंने ऐसा इसलिए किया कि परिवार में एकता की पहले करते हुए लोकसभा के चुनाव मैदान में घर के दूसरे सबसे बड़े सदस्य को जिम्मेदारी दी है। यह वजह राजनीतिक जानकारों का कहना है। सपा अध्यक्ष के इस कदम से परिवार को एकजुट करने की कोशिश की गई है।
2. मैनपुरी के लिए नया चेहरा, कोई विरोध नहीं: पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने मैनपुरी सीट पर डिंपल यादव को चुनाव मैदान में उतारकर आगे होने वाले लोकसभा चुनाव में परिवार की सबसे सुरक्षित सीट सौंपने की जिम्मेदारी भी दी है। इसके साथ ही यह सेफ सीट भी हैं और अन्य लोगों से बेहतर प्रत्याशी भी रहेंगी। डिंपल यादव कन्नौज में सुब्रत पाठक से दूसरी बार चुनाव मैदान में हारीं, इस वजहसे 2024 के लोकसभा चुनाव में उनका कन्नौज जीतना बहुत ज्यादा कठिन हो गया है। वहीं दूसरी ओर अभी तक कभी भाजपा मैनपुरी सीट जीत नहीं पाई है, ऐसे में नेताजी की सीट पर बहू को फायदा सबसे ज्यादा मिल सकता है।
3. नेताजी के परिवार में तनाव: अखिलेश यादव ने दो दिनों तक मैनपुरी लोकसभा चुनाव मैदान में अपने छोटे भाइयों को उतारने को लेकर मंथन किया। नेताजी की सीट पर तेज प्रताप यादव सबसे मजबूत दावेदार माने जा रहे थे। मुलायम सिंह यादव के वह दामाद हैं। इतना ही नहीं मुलायम सिंह यादव ने जब मैनपुरी सीट से चुनाव न लड़कर दूसरी सीट पर चुनाव लड़ा तो तेज प्रताप यादव को उन्होंने मौका दिया था। ऐसे में तेज प्रताप यादव को मैदान में न उतारकर अखिलेश के सामने परिवार में कई बड़ी चुनौतियां खड़ी हो जाती हैं। इसके अलावा राजनीतिक जानकार भी कहते हैं कि डिंपल मुलायम की सीट पर आगे भी चुनाव लड़ती रहेंगी।
4. शिवपाल बेटे के लिए चाहते थे मैनपुरी का टिकट: समाजवादी पार्टी के विश्वस्त सूत्रों की मानें तो शिवपाल यादव ने खुद को अलग कर दिया था। प्रसपा अध्यक्ष शिवपाल सिंह ने दबी जुबान में यहां तक कहा कि एक मौका मेरे बेटे आदित्य यादव को भी दिया जा सकता है। दूसरी ओर अखिलेश यादव ने प्रोफेसर रामगोपाल यादव के साथ मैनपुरी लोकसभा सीट पर प्रत्याशी बनाए जाने को लेकर जब चर्चा की तो उन्होंने भी किसी भी भाई को टिकट न दिए जाने की सहमति जताई। डिंपल यादव को उम्मीदवार बनाकर मुलायम की विरासत का इकलौता वारिश होने का संदेश भी दिया है।
5. पार्टी में महिलाओं की जिम्मेदारी को आगे है बढ़ाना: साल 2022 के आम विधानसभा चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की पत्नी व नेताजी की बड़ी बहू डिंपल यादव ने कुछ प्रमुख महिलाओं की सीट पर ही चुनाव प्रचार किया था। उन्होंने सिराथू पर पल्लवी पटेल, प्रयागराज में पूजा यादव, जौनपुर जैसी विधानसभा सीट पर सिर्फ प्रचार किया था। समाजवादी पार्टी में महिला की बड़ी जिम्मेदारी निभाने की भूमिका डिंपल यादव हर चुनाव में रहती है। जया बच्चन डिंपल यादव की संसद में भी जोड़ी बहुत ही चर्चा में रहती है। इसके अलावा समाजवादी पार्टी के लिए मैनपुरी आज भी सबसे सुरक्षित सीट है।