Inside Story: वाराणसी में नहीं चला प्रियंका-राहुल का जादू, बड़े उम्मीदवार भी नहीं जीत पाए जनता का विश्वास

इस विधानसभा चुनाव में कांग्रेस तीसरे एवं चौथे नंबर की पार्टी बनकर उभरी तो वहीं दूसरी ओर पार्टी ने बड़े चेहरे भी चुनाव में उतरे थे। उनके प्रचार प्रसार के लिए खुद प्रियंका गांधी और राहुल गांधी वाराणसी पहुंचे। वहां पहुंचकर उन्होंने जनसभाएं और रैलियां की लेकिन उसके बाद भी कांग्रेस पार्टी को हार का सामना करना पड़ा। 

Asianet News Hindi | Published : Mar 13, 2022 12:39 PM IST

अनुज तिवारी
वाराणसी:
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में बीजेपी पुनः पूर्ण बहुमत से सरकार बनाने में सफल रही। इस चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी ने कई इतिहास को दोहराया और बनारस में भारतीय जनता पार्टी ने पुनः आठों विधानसभा सीटों पर विजय प्राप्त की हैं।

इस विधानसभा चुनाव में कांग्रेस तीसरे एवं चौथे नंबर की पार्टी बनकर उभरी तो वहीं दूसरी ओर पार्टी ने बड़े चेहरे भी चुनाव में उतरे थे। उनके प्रचार प्रसार के लिए खुद प्रियंका गांधी और राहुल गांधी वाराणसी पहुंचे। वहां पहुंचकर उन्होंने जनसभाएं और रैलियां की लेकिन उसके बाद भी कांग्रेस पार्टी को हार का सामना करना पड़ा। बनारस की कुछ सीटें ऐसी भी हैं जहां कभी कांग्रेस का कब्जा हुआ करता था। लेकिन इस विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को तीसरे नंबर पर लाकर खड़ा कर दिया और कहीं कहीं तो कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशी चौथे नंबर पर पहुंच गए। 

कांग्रेस के दिग्गज उम्मीदवार भी थे मैदान में
कांग्रेस पार्टी के दो दिग्गज उम्मीदवार चुनाव मैदान में थे। यह माना जा रहा था कि इस बार दोनों वाराणसी में खेला करेंगे लेकिन परिणाम ठीक उल्टा रहा। पार्टी ने वाराणसी के पिंडरा विधानसभा सीट के उम्मीदवार के रूप में अजय राय को टिकट दिया। अजय राय ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ दो बार चुनाव लड़ चुके हैं। इस बार विधानसभा चुनाव में प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ें। इनके समर्थन में खुद प्रियंका गांधी और राहुल गांधी ने जनसभाएं की लेकिन परिणाम देख कर ऐसा लगा कि यूपी में और खासकर वाराणसी में प्रियंका और राहुल का जादू नहीं चल पाया। अजय राय 48284 वोट पर ही सिमट गए।

कैंट विधानसभा के प्रदेश उपाध्यक्ष को मिली हार 
वाराणसी के कैंट विधानसभा सीट पर कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष राजेश मिश्रा जो गांधी परिवार के करीबी माने जाते हैं, उनको टिकट मिला। लेकिन इन्होंने भी कांग्रेस पार्टी को निराश किया। इन्हें कैंट विधानसभा क्षेत्र से 23807 वोट मिले। अगर वाराणसी में कांग्रेस पार्टी के प्रदर्शन की बात करें तो आठों विधानसभा सीटों पर कांग्रेस पार्टी पूरी तरह से खोखले संगठन के तौर पर उभर के निकली है।  

कार्यकर्ताओं की नाराजगी बनी वजह 
बनारस के आठों विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी संघर्ष करते नजर आई और तीसरे-चौथे नंबर की पार्टी बनी। कांग्रेस पार्टी के प्रदर्शन की वजह कहीं ना कहीं कार्यकर्ताओं के अंदर नाराजगी भी हो सकती है। जिस तरह से कांग्रेस पार्टी के टिकट बंटवारे के बाद जगह-जगह प्रदर्शन और नाराजगी देखने को मिली थी। यही वजह है कि प्रियंका राहुल के जनसभा और रैलियों का प्रभाव वोटरों पर नहीं पड़ा और कांग्रेस पार्टी वाराणसी के आठ विधानसभा में से किसी भी सीट पर जीत का परचम नहीं फहरा सकी। 

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