विधानसभा अध्यक्ष पद के लिए सतीश महाना ने दाखिल किया नामांकन पत्र, जानिए क्यों तय मानी जा रही जीत

यूपी चुनाव में विधायकों के शपथग्रहण के साथ ही सतीश महाना ने विधानसभा अध्यक्ष के तौर पर अपना नामांकन दाखिल किया। इस दौरान सीएम योगी आदित्यनाथ और बीजेपी के विधायकों के साथ ही रघुराज प्रताप सिंह राजा भैया भी वहां मौजूद रहें। 

Asianet News Hindi | Published : Mar 28, 2022 9:10 AM IST

लखनऊ: यूपी में योगी सरकार की वापसी के साथ ही सतीश महाना का विधानसभा अध्यक्ष भी बनना लगभग तय हो गया है। उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष के तौर पर नामांकन किया है। उन्होंने प्रमुख सचिव विधानसभा प्रदीप दुबे को अपना नामांकन पत्र सौंपा। आपको बता दें कि विधानसभा अध्यक्ष के लिए चुनाव मंगलवार दोपहर 3 बजे विधानसभा के मंडप में होगा। इसको लेकर ही बीजपी की ओर से सतीश महाना को उम्मीदवार बनाया गया है। 

सपा की ओर से नहीं उतारा जाएगा उम्मीदवार 
विधानसभा अध्यक्ष के लिए समाजवादी पार्टी की ओर से कोई भी उम्मीदवार नहीं उतारा जाएगा। पार्टी की ओर से यह फैसला पहले ही कर लिया गया था। सोमवार को सभी विधायकों ने जाकर शपथ ली। 

रघुराज प्रताप सिंह की भी रही मौजूदगी 
सतीश महाना की ओर से जिस समय नामांकन दाखिल किया गया उस दौरान जनसत्ता दल के रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया की मौजूदगी भी वहां पर देखी गई। 

तय मानी जा रही सतीश महाना की जीत 
विधानसभा अध्यक्ष के तौर पर सतीश महाना की जीत तय मानी जा रही है। दरअसल यूपी चुनाव में भाजपा को बहुमत मिला है। वहीं सपा की ओर से कोई उम्मीदवार भी नहीं उतारा जा रहा है। जिसके बाद यह लगभग तय माना जा रहा है कि इसमें सतीश महाना की ही जीत होगी। 

8 बार से हैं विधायक
यूपी सरकार 2.0 के शपथग्रहण के दौरान जब मंत्रियों की लिस्ट में सतीश महाना का नाम नहीं था उसके बाद से ही कयास लगाए जा रहे थे कि उन्हें विधानसभा अध्यक्ष बनाया जाएगा। इसके बाद बीजेपी की ओर से उनका नामांकन भी करवाया गया। सतीश महाना 8 बार से विधायक हैं। सतीश महाना पहले 5 बार कानपुर कैंट से विधायक रह चुके हैं। इसके बाद वह कानपुर की महाराजपुर विधानसभा सीट से 2012 से विधायक है। 

योगी कैबिनेट में 52 मंत्रियों ने ली थी शपथ 
योगी कैबिनेट में कुल 52 मंत्रियों ने शपथ ली है। इसमें 20 मंत्री ओबीसी समुदाय से आते हैं। 8 मंत्री दलित, 7 ब्राह्मण, 6 ठाकुर, 4 बनिया, 2 भूमिहार समुदाय आते हैं। जबकि कायस्थ, मुस्लिम, सिख, आदिवासी और पंजाबी खत्री समुदाय से आने वाले मंत्रियों की संख्या 1-1 है। 
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