मालिक का शव देख बंदर ने त्यागा प्राण, एक चिता पर हुआ अंतिम संस्कार


सेवानिवृत्त शिक्षक ने कई साल से एक बंदर को पाल रखा था। वो भतीजे के परिवार के साथ रहते थे। उनकी पत्नी की तीन साल पहले मौत हो गई थी। बच्चे नहीं थे। इसलिए वो बंदर को बच्चे की तरह प्यार करते थे।

Ankur Shukla | Published : Feb 13, 2020 2:04 PM IST / Updated: Feb 13 2020, 08:39 PM IST

फतेहपुर (Uttar Pradesh) । ये खबर किसी फिल्म या किताब की कहानी जैसी है, लेकिन है सच। जी हां किशनपुर थाना क्षेत्र के पाखरतर मोहल्ले में सेवानिवृत्त शिक्षक शिवराज सिंह (75) की मौत की सूचना पर पहुंचे उनके पालतू बंदर ने शव के बगल पहुंचकर प्राण त्याग दिया। जिसे देख लोग सोचने को मजबूर हो गए। जिसके बाद गांव वालों की सलाह पर परिजनों न एक ही चिता पर दोनों का अंतिम संस्कार कर दिया।

बंदर को बेटा मानते थे शिवराज
सेवानिवृत्त शिक्षक शिवराज सिंह ने कई साल से एक बंदर को पाल रखा था। वो भतीजे देवपाल के परिवार के साथ रहते थे। उनकी पत्नी की तीन साल पहले मौत हो गई थी। बच्चे नहीं थे। इसलिए वो बंदर को बच्चे की तरह प्यार करते थे।

पांच साल बाद लौटा था बंदर
बढ़ती उम्र के कारण बीमार रहने लगे थे। इससे उन्हें चलने फिरने में दिक्कत होने लगी थी। इसके कारण बंदर की देखरेख नहीं कर पा रहे थे। इधर-उधर घूमने पर बंदर को मोहल्ले के लोग छेड़ने लगे थे। वह लोगों को काटने के लिए दौड़ता था। इस पर भतीजों ने उसे पांच साल पहले खागा में छोड़ दिया था। एक हफ्ते पहले बंदर वापस किशनपुर मालिक के घर लौट आया था। वह शिक्षक के पास रहने लगा था।

इस तरह त्याग दिया प्राण
शिवराज सिंह का एक दिन पहले देर शाम देहांत हो गया। घर की महिलाओं का रोना बिलखना चालू हो गया। यह सब देख छत पर बैठा बंदर शव के पास पहुंचा। कुछ देर बैठा रहा उसके बाद जमीन में ही लेट गया। इसके बाद वह निढाल हो गया, उसकी सांसें थम गईं। परिजनों व ग्रामीणों ने दोनों शवों का एक चिता पर अंतिम संस्कार किया।

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