सीएमओ ने कहा कि मामला संज्ञान में आया है। अस्पताल के दस्तावेज देखने के बाद बच्ची का डीएनए टेस्ट कराया जाएगा। डीएनए रिपोर्ट आने के बाद ही सही बात पता चलेगी।
कानपुर (Uttar Pradesh) । स्वास्थ्य कर्मियों की गलती या खेल के कारण नवजात बच्ची को अपनाने से एक परिवार पशोपेश में हैं, क्योंकि जन्म के बाद उन्हें नवजात के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई और उन्हें दूध पिलाने के लिए बच्ची को दी गई, लेकिन उन्होंने दस्तावेज (बीएचटी) देखा तो उसमें मेल चाइल्ड (बेटा) लिखा हुआ था। अस्पताल में परिवार वालों के हंगामा करने के बाद अफसरों ने डीएनए जांच के बाद ही सच सामाने आने की बात कही है। डीएनए रिपोर्ट ही दंपति की शंका को दूर करेगी।
एनआइसीयू में रखा गया था नवजात
20 जनवरी की दोपहर जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज संबद्ध जच्चा बच्चा अस्पताल में डॉ. गरिमा गुप्ता की देखरेख में महिला भर्ती हुईं। उसी दिन शाम चार बजे पत्नी को प्रसव हुआ। डिलीवरी नार्मल थी, लेकिन बच्चे की गंभीर हालत को देखते हुए उसे एनआइसीयू में भेज दिया गया।
रात को बच्ची को पिलाया दूध
22 जनवरी की रात ढाई बजे महिला ने अपने नवजात को दूध पिलाया तो बच्ची होने का पता चला। जन्म के तुरंत बाद उन्हें नवजात के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई थी।
बीएचटी में बेटा देख बच्ची लेने से इनकार
24 जनवरी को परिवार वालों ने दस्तावेज (बीएचटी) देखा तो उसमें मेल चाइल्ड (बेटा) लिखा हुआ था। इसपर अधिकारियों से शिकायत की, लेकिन उनकी नहीं सुनी गई। जिसके बाद बच्ची को लेने से इनकार कर दिया। पुलिस ने मामले की जानकारी सीएमओ डॉ. अशोक कुमार शुक्ला को दी है।
सीएमओ ने कहा, कराया जाएगा डीएनए टेस्ट
सीएमओ डॉ. अशोक कुमार शुक्ला ने कहा कि मामला संज्ञान में आया है। अस्पताल के दस्तावेज देखने के बाद बच्ची का डीएनए टेस्ट कराया जाएगा। डीएनए रिपोर्ट आने के बाद ही सही बात पता चलेगी।