
अनुराग शुक्ला
अयोध्या: महंत योगी आदित्यनाथ दूसरी बार यूपी की सत्ता के सिंघासन पर विराजमान हुए है। भारतीय जनता पार्टी (BJP) अयोध्या आंदोलन के बाद ही तेजी से उठी। कारण रहा कि इसके अजेंडे में राममंदिर निर्माण मुख्य रूप से रहा। उसके बावजूद इस बार भी अयोध्या जिले की झोली मंत्री पद से खाली रही। इस बार जिले की 5 विधानसभा में 3 सीटें ही मिल सकी हैं। जिसमे सबसे अच्छा परफॉर्मेंस रुदौली सीट का था। यहां पर रामचंद्र यादव ने तीसरी बार बीजेपी से जीतकर विधानसभा पहुंचे है। वैसे वर्ष 1998 और 2004 में मिल्कीपुर में हुए उपचुनाव में भी उन्हें विधायक चुना गया था। इस बार इनके वोटों की संख्या प्रति वर्ष के बढ़ते क्रम में ही रही। इसलिए इनके मंत्री बनने के कयास ज्यादा लगाए जा रहे थे।
अयोध्या सदर में जीत के अंतर घटनें से नाराज हुआ संगठन
बीजेपी के लिए अयोध्या सदर सीट प्रतिष्ठा का सवाल रही है। सूत्र बताते है इस बार संगठन को सीट जीतने के लिए काफी जद्दोजहद करनी पड़ी। संत, संघ और वीएचपी तीनो संगठनो को सड़क पर उतरना पड़ा। उसके बावजूद पिछले चुनाव की तुलना में जीत का अंतर 30 हजार से भी कम हो गया। संगठन मानता है कि अगर योगी आदित्यनाथ की रैली नहीं होती तो इस बार इस सीट पर दिक्कतों का सामना करना पड़ता। इसलिए वेद प्रकाश गुप्ता को मंत्री पद नहीं मिला। साथ ही पिछले चुनाव में बीजेपी ने पांचो विधानसभा जीती थी। लेकिन इस बार तीन ही सीट मिली।
1991 के बाद बीजेपी का कोई विधायक नही बना मंत्री
इतिहास के पन्नों को पलट कर देखें तो मंदिर आंदोलन का हाई पीक वर्ष 1991 में हुए चुनाव में विधायक के रुप में जनता ने लल्लू सिंह को चुना था और इसी वर्ष उन्हें पार्टी ऊर्जा मंत्री का दायित्व सौंपा। इसके बाद बीजीपी केवल 2012 में केवल एक बार हारी। फिर भी पार्टी ने आज तक किसी को मंत्रिमंडल में जगह नही दी। जबकि बसपा की सरकार में आर के चौधरी और सपा की सरकार में अवधेश प्रसाद लगातार मंत्री रहे। यही नही पहली बार 2012 में सपा पार्टी से तेजनारायण पांडेय ने चुनाव लड़ा और जीत कर मंत्री बने।
अयोध्या मंडल को मिले दो राज्य मंत्री
अयोध्या मंडल से दो राज्य मंत्री बने हैं। इसमें अमेठी जिले के तिलोई विधानसभा क्षेत्र से पांचवी बार जीते मयंकेश्वर शरण सिंह और बाराबंकी के दरियाबाद विधानसभा क्षेत्र से दूसरी बार जीते सतीश शर्मा शामिल हैं। इस बार मंडल के 5 जिलों अयोध्या, अंबेडकर नगर, सुल्तानपुर, अमेठी व बाराबंकी के कुल 25 सीटों पर भाजपा को 12 सीटें ही जीतने में सफलता मिली है। 2017 के चुनाव में की अपेक्षा इस बार खराब परफारमेंस रहा।
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