कौन है 20 लोगों का हत्यारा वलीउल्लाह जिसे 16 साल बाद हुई फांसी की सजा, वकीलों ने कहा था- नहीं लड़ेंगे इसका केस

2006 में वाराणसी में हुए सीरियल बम धमाकों के आरोपी वलीउल्लाह को गाजियाबाद कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई है। बता दें कि इन धमाकों में 20 लोगों की मौत हुई थी जबकि 35 से ज्यादा लोग घायल हुए थे। 

Varanasi Blasts Terrorist Waliullah: वाराणसी में 16 साल पहले 2006 में हुए सीरियल बम ब्लास्ट के दोषी वलीउल्लाह को गाजियाबाद कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई है।  इस मामले में आतंकी वलीउल्लाह उर्फ टुंडा पहले ही दोषी करार दिया जा चुका है। वलीउल्लाह इस वक्त गाजियाबाद की डासना जेल में बंद है। गाजियाबाद कोर्ट ने कहा है कि दोषी को तब तक फांसी के फंदे पर लटकाया जाए, जब तक उसकी मौत न हो जाए। 

आखिर कौन है वलीउल्लाह?
आतंकी वलीउल्लाह प्रयागराज जिले के फूलपुर का रहने वाला है। 7 मार्च, 2006 को वाराणसी में हुए सीरियल ब्लास्ट में करीब 20 लोगों की मौत हुई थी, जबकि 35 से ज्यादा लोग घायल हुए थे। इस दौरान संकटमोचन मंदिर और कैंट स्टेशन पर धमाके हुए थे। इसी दिन रात को दशाश्वमेध घाट पर भी विस्फोटक सामान बरामद हुए थे। पुलिस ने 5 अप्रैल, 2006 को इस मामले में प्रयागराज के फूलपुर निवासी वलीउल्लाह को लखनऊ के गोसाईंगंज से गिरफ्तार किया था। 

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इसलिए वलीउल्लाह का केस लड़ने को तैयार नहीं था कोई वकील : 
वलीउल्लाह पर वाराणसी के संकटमोचन मंदिर और कैंट स्टेशन पर बम धमाके करने और आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने का आरोप लगा था। यही वजह थी कि इस खूंखार आतंकी का केस लड़ने के लिए वाराणसी का कोई वकील तैयार नहीं था। इसके बाद हाईकोर्ट को यह मुकदमा गाजियाबाद डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में ट्रांसफर करना पड़ा था। 

4 जून को ही दोषी करार दिया गया था वलीउल्लाह : 
गाजियाबाद कोर्ट के जज जितेंद्र कुमार सिन्हा ने वलीउल्लाह को 4 जून को ही दोषी करार दिया था। उसे वाराणसी के दशाश्वमेध घाट और संकटमोचन मंदिर पर बम धमाके करने के अलावा कानून के विरुद्ध काम करने, दहशत फैलाने और विस्फोटक सामग्री का प्रयोग करने के साथ ही हत्या और हत्या के प्रयास के मामले में दोषी पाया गया। 

16 साल बाद भी पकड़ में नहीं आए ये तीन आरोपी : 
वाराणसी में हुए सीरियल बम ब्लास्ट केस में वलीउल्लाह ने तीन और लोगों के नाम लिए थे। ये मुस्तकीम, जकारिया और शमीम हैं। हालांकि, ये तीनों आरोपी अब तक नहीं पकड़े जा सके हैं। ये सभी उत्तर प्रदेश के रहने वाले थे। कहा जाता है कि ये तीनों बांग्लादेश से होते हुए पाकिस्तान भाग गए। 

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