Special Story: झोलाछाप पशु चिकित्सकों पर शिकंजा कसेगी योगी सरकार, तैयार हो रहा मसौदा

झोलाछाप चिकित्सकों के बाद अब योगी सरकार प्रदेश में पशु चिकित्सा के कार्य में लगे झोलाछापों पर शिकंजा कसेगी। इसके लिए उत्तर प्रदेश पशु चिकित्सा परिषद मसौदा तैयार कर रहा है। अगर यह विधेयक पारित हुआ तो फिर बिना डिग्री के कोई भी पशुओं की भी चिकित्सा नहीं कर पाएगा।

राजीव शर्मा
बरेली:
चिकित्सा कार्य करने वाले बिना डिग्री वाले झोलाछापों पर तो सरकारी कार्रवाई का प्रावधान पहले से ही है, अब उत्तर प्रदेश सरकार पशु चिकित्सा के लिए गांवों में काम कर रहे झोलाछापों पर भी कार्रवाई करेगी। मकसद है पशुओं की चिकित्सा भी डिग्री धारक पशु चिकित्सक ही करें। इसके लिए उत्तर प्रदेश पशु चिकित्सा परिषद मसौदा तय कर रही है। झोलाछाप पशु चिकित्सकों के खिलाफ कार्रवाई के लिए विधेयक बनाने का प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है। अगर यह विधेयक पारित हुआ तो फिर बिना डिग्री के कोई भी पशुओं की भी चिकित्सा नहीं कर पाएगा।

यह जानकारी उत्तर प्रदेश पशु चिकित्सा परिषद के अध्यक्ष और बरेली की मीरगंज विधानसभा क्षेत्र से भाजपा के विधायक डॉ. डीसी वर्मा ने दी। बताया कि झोलाछाप पशु चिकित्सा न कर सकें, इसका मसौदा तैयार करने पर उत्तर प्रदेश के बरेली में इज्जतनगर स्थित भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आईवीआरआई) में आयोजित उत्तर प्रदेश पशु चिकित्सा परिषद की 14 वीं सामान्य बैठक में विचार किया गया है। इसके लिए परिषद माइनर वेटरिनरी सर्विसेज को अधिसूचित भी करेगी।

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इसलिए लगाया जाएगा झोलाछाप पर प्रतिबंध
परिषद के अध्यक्ष डॉ. डीसी वर्मा का कहना है कि असल में, गांवों-नगरों में पशु चिकित्सा कार्य में लिप्त झोलाछाप अप्रशिक्षित तो होते नहीं हैं इसलिए वे गाव, भैंस, बकरी आदि पशुओं को ऐसी दवाएं खिला देते हैं और ऐसे इंजेक्शन लगा देते हैं, जिनसे पशु बांझ हो जाते हैं और उन्हें साइड इफेक्ट हो जाता है। नतीजतन, पशुपालक ऐसे पशुओं को आवारा छोड़ने को विवश होते हैं। नतीजतन, ये आवारा पशु फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं। डॉ. वर्मा ने कहा- उत्तर प्रदेश में आवारा पशुओं की बढ़ी समस्या का एक बड़ा कारण झोलाछापों की ओर से गलत तरह से किया जाने वाला इलाज भी है। ऐसे में, अगर झोलाछापों की चिकित्सा पर प्रतिबंध लगने से अवारा पशुओं की समस्या में भी कमी आएगी।

विधेयक लाने के लिए शासन को भेजेंगे प्रस्ताव
परिषद के अध्यक्ष ने बताया कि पशु चिकित्सा का कार्य करने वाले झोलाछापों पर प्रतिबंध लगाने के लिए उन पर कार्रवाई का प्रावधान भी किया जाना जरूरी है यानी बिना डिग्री के पशु चिकित्सा करना गैरकानूनी किया जाए, इसके लिए सरकार को विधेयक लाना होगा। इस विधेयक का प्रस्ताव परिषद की ओर से बनाकर शासन को भेजा जााएगा। अगर शासन इस विधेयक को पारित कर देता है तो यह कानून बन जाएगा और उसके जरिए बिना डिग्री के पशु चिकित्सा गैरकानूनी घोषित हो जाएगा। उन्होंने बताया कि यह प्रस्ताव जल्द से जल्द शासन को भेज देंगे।

हर जिले को दी जाएंगी मोबाइल वैन
बिना डिग्री के पशु चिकित्सा प्रतिबंधित होने की स्थिति में गांव-देहात में पशु चालकों के सामने अपने पशुओं की चिकित्सा का संकट खड़ा होने का अनुमान है, क्योंकि उत्तर प्रदेश में बिना डिग्री धारक पशु चिकित्सकों की कमी है। इस पर डॉ. डीसी वर्मा का कहना है कि वैसे तो पर्याप्त पशु चिकित्सक प्रदेश में हैं, जितनों की और जरूरत है, उनकी भर्ती भी की जा रही है लेकिन पशु चिकित्सा परिषद पशु चिकित्सा के क्षेत्र में एक बड़ा काम करने जा रही है। वह यह कि 530 मोबाइल वैन प्रदेश में जल्द उपलब्ध हो जाएंगी। ये हर जिलों को उपलब्ध कराई जाएंगी। एक निर्धारित नंबर पर कॉल करने पर पशुपालकों के पास यह वैन जल्दी से जल्दी पहुंचकर उनके पशुओं को चिकित्सा सुविधा मुहैया कराएंगी। डॉ. वर्मा ने बताया कि इन मोबाइन वैन पर चिकित्सक, कंपाउंडर के साथ ही दवाओं के समुचित इंतजाम होंगे।

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