नमस्कार हमारा नाम है इंटरनेशनल खबरी। आज है दिवाली तो हम बात करेंगे कुछ ऐसे ऐक्टिविस्ट लोगों के बारे में जो केवल दिवाली, होली जैसे त्योहारों पर ही जागते हैं। अब दिवाली है तो उन्हें वायु और ध्वनि प्रदूषण की चिंता सताने लगती है। ठीक वैसे ही जैसे होली पर उन्हें पानी की कमी की चिंता सताने लगती है। अरे मैं पूछता हूं कि साल के 364 दिनों पर जो कार, एसी और अन्य चीजों से जो प्रदूषण होता है वो किसी को नहीं दिखता। आखिर ये त्योहारों के पीछे ही क्यों हाथ धोकर पड़े रहते हैं।
नमस्कार हमारा नाम है इंटरनेशनल खबरी। आज है दिवाली तो हम बात करेंगे कुछ ऐसे ऐक्टिविस्ट लोगों के बारे में जो केवल दिवाली, होली जैसे त्योहारों पर ही जागते हैं। अब दिवाली है तो उन्हें वायु और ध्वनि प्रदूषण की चिंता सताने लगती है। ठीक वैसे ही जैसे होली पर उन्हें पानी की कमी की चिंता सताने लगती है। अरे मैं पूछता हूं कि साल के 364 दिनों पर जो कार, एसी और अन्य चीजों से जो प्रदूषण होता है वो किसी को नहीं दिखता। आखिर ये त्योहारों के पीछे ही क्यों हाथ धोकर पड़े रहते हैं।