रोमेंटिक अभिनय के सरताज ऋषि कपूर, बॉलिवुड इंडस्ट्रीज का एक ऐसा चेहरा जो आज भी किसी के लिए बॉबी का हीरो है तो किसी के लिए अकबर है। एक ऐसा अभिनेता जिसने हर किसी के दिल पर छाप छोड़ी वक्त भले ही गुजरता रहा हो लेकिन ऋषि कपूर का अंदाज वही रहा। एक के बाद एक हिट फिल्मों ने उन्हें रोमेटिंग हीरो का ताज दे
वीडियो डेस्क। रोमेंटिक अभिनय के सरताज ऋषि कपूर, बॉलिवुड इंडस्ट्रीज का एक ऐसा चेहरा जो आज भी किसी के लिए बॉबी का हीरो है तो किसी के लिए अकबर है। एक ऐसा अभिनेता जिसने हर किसी के दिल पर छाप छोड़ी वक्त भले ही गुजरता रहा हो लेकिन ऋषि कपूर का अंदाज वही रहा। एक के बाद एक हिट फिल्मों ने उन्हें रोमेटिंग हीरो का ताज दे दिया। सन 1973 से 2000 के बीच ऋषि कपूर ने करीब 92 फिल्मों के सिर्फ एक रोमेंटिक एक्टर की भूमिका अदा की। उनके अभिनय और कलाकारी से सिनेमा हॉल तालियों का गड़गड़ाहट से गूंज उठता था।
मेरा नाम जोकर से अपने करियर की शुरुआत
फिल्म मेरा नाम जोकर से अपने करियर की शुरुआत करने वाले कपूर खानदान के चिंटू आज हमारे बीच नहीं रहे गुरुवार सुबह अंतिम सांस ली। डॉक्टरों का कहना है कि वे अपनी अंतिम सांस तक हंसते और हंसाते रहे थे। बिल्कुल जिंदगी के एक रियल हीरो की तरह। मेरा नाम जोकर में एक स्टूडेंट की भूमिका नजर आए रिषी को नेशनल फिल्म अवॉर्ड से भी नवाजा। लेकिन उनकी सबसे हिट फिल्म रही बॉबी एक ऐसी फिल्म जिसने बॉलिवुड के इस उभरते सितारे को ऐसा नाम और शोहरत दी जो हर जुबां को याद रह गया। डिंपल कपाडिया के साथ इस फिल्म के बाद उन्हें फिल्मफेयर बेस्ट एक्टर का अवॉर्ड मिला।
8 बजकर 45 मिनट पर ली अंतिम सांस
बदलते वक्त के साथ साथ ऋषि कपूर के किरदार भी बदलते रहे। साल 2000 के बाद उन्होंने सपोर्टिंग रोल्स करना शुरू कर दिया। जिसमें अग्निपथ नमस्ते लंदन जैसी कई फिल्में शामिल हैं। उनके निधन से बॉलिवुड को एक बड़ी क्षति हुई है। जैसे ही 8 बजकर 45 मिनट पर उन्होंने अंतिम सांस ली। बॉलिवुड अभिनेता अमिताभ बच्चन ने ट्वीट कर कहा कि मैं टूट चुका हूं
मुस्कान के साथ मरना चाहते थे ऋषि
ऋषि कपूर की जिंदादिली को इस बात से ही समझा जा सकता है कि कैंसर से जूझते होने के बाद भी उन्होंने अपनी बीमारी को कभी खुद पर हावी नहीं होने दिया। उनके चेहरे की मुस्कुराहट हमेशा दूसरों को प्रेरित करती रही। साल 2018 में उन्हें कैंसर के बारे में पता चला वे इलाज के लिए 1 साल तक न्यूयॉर्क में रहे। जिसके बाद ठीक होकर वतन लौटे और फिर से एक नोर्मल जिदंगी जीने लगे। लेकिन कपूर खानदान का ये चिराग अब हमेशा के लिए बुझ गया। सबकी आंखों में आंसू जरूर हैं लेकिन उनकी फिल्में उनके डॉयलॉग चेहरे की मासूमियत और उनकी आंखे लोगों के चेहरों पर हंसी बिखेरती रहेंगी।