छत्तीसगढ़ के बलरामपुर जिले के उप स्वास्थ केंद्र के मैदानी कर्मचारियों को बरसात के चार महीने नदी पार कर गांवों में स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध करानी पड़ती है। चारों तरफ से महान नदी से घिरे इन बसाहटों तक पहुंचने के लिए अभी तक पुल-पुलियों का निर्माण नहीं कराया गया है। यही वजह है कि बरसात के दिनों में न सिर्फ ग्रामीणों को बल्कि फील्ड स्वास्थ्य कर्मचारियों को भी जान जोखिम में डालकर स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध करानी पड़ती है।
बलरामपुर. छत्तीसगढ़ के बलरामपुर जिले के उप स्वास्थ केंद्र के मैदानी कर्मचारियों को बरसात के चार महीने नदी पार कर गांवों में स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध करानी पड़ती है। चारों तरफ से महान नदी से घिरे इन बसाहटों तक पहुंचने के लिए अभी तक पुल-पुलियों का निर्माण नहीं कराया गया है। यही वजह है कि बरसात के दिनों में न सिर्फ ग्रामीणों को बल्कि फील्ड स्वास्थ्य कर्मचारियों को भी जान जोखिम में डालकर स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध करानी पड़ती है। महान नदी के दूसरी तरफ महंगई आंगन बाड़ी केंद्र है। जहां पर दवाइयों का वितरण, गर्भवती महिलाओं का टीकाकरण कार्य भी इनके द्वारा समयबद्घ तरीके से पूरा कराया जाता है। गर्भवती महिलाओं को संस्थागत प्रसव के लिए भी नदी पार करानी पड़ती है। स्वास्थ्य कर्मचारियों की कर्तव्यनिष्ठा के कारण पहुंचविहीन बसाहटों में भी लोगों को बुनियादी स्वास्थ्य सुविधाएं मिल जा रही हैं। स्वास्थ कर्मचारी का कहना है कि, 'नदी पार करने में डर तो लगता है लेकिन सुविधा उपलब्ध कराना हमारा फर्ज है'