सड़क के बीचोबीच आने लगे विदेशी को दौरे, आसपास के लोगों ने यूं दिखाई इंसानियत

विदेश में किसी पर मुसीबत आ जाए और उसकी तबीयत खराब हो जाए तो कम ही लोग ऐसे होते हैं जो मदद के लिए आगे आते हैं। मलेशिया के जोहर बाहरू शहर में एक नेपाली शख्स को अचानक दौरे आने लगे और वह बेहोश हो गया, तब आसपास के लोग तुरंत आए और उसकी मदद की।

हटके डेस्क। मलेशिया के जोहर बाहरू शहर में सुबह-सुबह एक कोपिटियम (ट्रेडिशनल कॉफी हाउस) में कुछ लोग ब्रेकफास्ट कर रहे थे, तभी उन्होंने देखा कि वहां बैठे एक शख्स को दौरा जैसा आ रहा है। उसे देख कर लग रहा था मानो उसे स्ट्रोक या हार्ट अटैक आ गया हो। वह भी नाश्ता कर रहा था, लेकिन उसी दौरान बेहोश होकर अचानक अपनी चेयर से फर्श पर गिर पड़ा। वहां मौजूद लोगों ने दौड़ कर उसे उठाया। लेकिन उस पर बेहोशी का दौरा आ गया था। इसके बाद लोगों ने एम्बुलेंस बुलाने के लिए फोन किया। यह घटना 27 नवंबर की है। 

नेपाली नागरिक के रूप में हुई पहचान
इल शख्स की पहचान एक नेपाली नगरिक के रूप में हुई। गिर जाने पर उसे उठाने वाले 67 वर्षीय एक शख्स यान ने बताया कि वह रोज उसे कुछ दोस्तों के साथ कोपिटियम  में ब्रेकफास्ट करते हुए देखता था, लेकिन उस दिन वह अकेला आया था और चिकेन खा रहा था। उसकी तबीयत बिगड़ने पर सबसे पहले यान ने ही उसे देखा था। यान ने बताया कि उसने देखा कि उस शख्स का सिर झुकता जा रहा है। पहले उसने सोचा कि शायद वह किसी से फोन पर बात कर रहा है, लेकिन जब वह उसके पास गया तो यह देख कर हैरान रह गया कि उस नेपाली व्यक्ति ने उसकी बातों का कोई जवाब नहीं दिया। उसका सिर एक तरफ लटक गया था और उसके मुंह से लार बह रही थी। 

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तत्काल एम्बुलेंस को बुलाया
उसकी इस हालत को देख कर किसी ने तुरंत एम्बुलेंस बुलाने के लिए कॉल कर दिया। इस बीच, एक प्रौढ़ व्यक्ति वहां आया और उसने नीडल की मांग की। किसी से उसे एक पिन दिया। उसने पिन उसकी उंगलियों, भौहों और कान में चुभाई, ताकि उसे स्ट्रोक से बचाया जा सके। यह इलाज का एक ट्रेडिशनल तरीका है। इसके बाद उसके शरीर में कुछ हलचल हुई और उसने चिकेन का वह टुकड़ा मुंह से निकाल कर फेंक दिया, जो कुछ देर पहले खाया था। इसी बीच, एम्बुलेंस आ गई और उसे हॉस्पिटल ले जाया गया। 

समय रहते मिल गई मेडिकल सहायता
समय पर मेडिकल हेल्प मिल जाने से उस शख्स की जान बच गई। कहा जाता है कि स्ट्रोक आने के बाद 4 घंटे बहुत ही महत्वपूर्ण होते हैं। इसे गोल्डन आवर कहा जाता है। इस दौरान अगर पेशेन्ट को मेडिकल हेल्प मिल गई तो उसकी जान बचाई जा सकती है। 

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