बांग्लादेश में फिर मंदिर में इस्लामिक कट्टरपंथियों का तांडव, दुर्गा पूजा के लिए तैयार हो रहीं मूर्तियां तोड़ीं

ये तस्वीर सेंट्रल बांग्लादेश के जिले मानिकगंज के हरिरामपुर थाने के अंतर्गत आने वाले एक गांव भटियाखोला के दुर्गा मंदिर की हैं। यहां संभवत: 25 अगस्त की रात 14 साल पुराने दुर्गा मंदिर में मूर्तियां तोड़ दी गई। यह मामला अब मीडिया की सुर्खियों आया है। 

ढाका. हिंदुओं के एक बड़े त्यौहार गणेश चतुर्थी(Ganesh Chaturthi 2022) से पहले बांग्लादेश में फिर हिंसा की तस्वीर सामने आई है। ये तस्वीर सेंट्रल बांग्लादेश के जिले मानिकगंज के हरिरामपुर थाने के अंतर्गत आने वाले एक गांव भटियाखोला के दुर्गा मंदिर की हैं। यहां संभवत: 25 अगस्त की रात 14 साल पुराने दुर्गा मंदिर में मूर्तियां तोड़ दी गई। यह मामला अब मीडिया की सुर्खियों आया है। आगामी दुर्गा पूजा के लिए यहां मूर्तियों का निर्माण हो रहा है। इस्लामिक कट्टरपंथियों ने उन्हें तोड़ दिया। शर्मनाक बात यह है कि पुलिस अब तक मंदिर में मूर्तियों की तोड़फोड़ में शामिल किसी की पहचान और गिरफ्तारी नहीं कर सकी है।

दुर्गा पूजा से पहले मूर्तियों की तोड़फोड़ से डर
हरिरामपुर थाने के ओसी सैयद मिजानुर रहमान ने कहा कि रैपिड एक्शन बटालियन (आरएबी), पुलिस ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन और डिटेक्टिव ब्रांच भी घटना की जांच कर रही है। हरिरामपुर पुलिस और मंदिर प्रबंधन समिति के सदस्यों के अनुसार, यह दुर्गा मंदिर लगभग 14 साल पहले उपजिला के बल्ला संघ के भाटियाखोला बाजार में बनाया गया था। शुक्रवार की सुबह(26 अगस्त) स्थानीय हिंदू श्रद्धालु मंदिर पहुंचे, तो वहां तोड़फोड़ देखी। इसके बाद मामले की सूचना पुलिस को दी। एसपी मोहम्मद गुलाम आजाद उस दिन दोपहर में मौके पर गए। 

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पुलिस ने मूर्तियों की मरम्मत कराई
मंदिर प्रबंधन समिति के सलाहकार विपुल चंद्र गुहा ने कहा कि मूर्तियों को आगामी दुर्गा पूजा के लिए बनाया जा रहा था। जिला हिंदू महागठबंधन के महासचिव तापस राजवंशी ने मांग की कि अधिकारी यह सुनिश्चित करें कि अपराधियों को दंडित किया जाए। ओसी सैयद मिजानुर रहमान ने कहा कि मूर्तियों की मरम्मत करा दी गई है। उन्होंने आश्वासन दिया कि पुलिस तोड़फोड़ में शामिल लोगों की पहचान करने की कोशिश कर रही है।

बांग्लादेश में घट रही अल्पसंख्यकों की आबादी
बांग्लादेश धार्मिक पूर्वाग्रहों से जूझ रहा है। यहां इस्लामिक कट्टरपंथियों ने अपने पैर जमा लिए हैं। बांग्लादेश की अल्पसंख्यक आबादी देश की आजादी के बाद से यानी पिछले 52 वर्षों में लगातार गिर रही है। मीडिया सूत्रों के अनुसार, आशंका यह तक जताई जा रही है कि क्या किसी सरकार ने खुले तौर पर अल्पसंख्यक विरोधी नीति अपनाई जिससे यह गिरावट आई? यहां जब बहुसंख्यक मुस्लिम आबादी बढ़ती है, तो यह एक प्राकृतिक जनसंख्या वृद्धि कहलाती है। लेकिन यह प्राकृतिक वृद्धि अन्य अल्पसंख्यकों की संख्या में क्यों नहीं दिखाई देती है? इनमें न केवल हिंदू, बल्कि ईसाई और बौद्ध भी शामिल हैं? पिछले 50 से अधिक वर्षों में बांग्लादेश में हिंदू जनसंख्या 1971 में 20% से लगातार गिरकर पिछल जनगणना 2011 में 9% से भी कम हो गई है। 

6 से 8 सितंबर को दिल्ली में रहेंगी शेख हसीना
यह घटना ऐसे समय में समाने आई है, जब बांग्लादेश की पीएम शेख हसीना भारत से अपने रिश्ते को और मजबूत करने 6 से 8 सितंबर को दिल्ली आ रही हैं। कृष्ण जन्मोत्सव यानी जन्माष्टमी (19 अगस्त) पर पड़ोसी देश बांग्लादेश से यह खबर आई मिली थी। बांग्लादेश में हिंदुओं पर बढ़ रहे अत्याचार को लेकर प्रधानमंत्री शेख हसीना सख्ती दिखाने की बात करती हैं। क्लिक करके पढ़ें-दोनों देशों के रिश्तों में होगी एक नई शुरुआत

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