सार
ये तस्वीरें बांग्लादेश में हावी हो रहे इस्लामिक कट्टरपंथियों की साजिशें दिखाती हैं। पहली दो तस्वीरें नरैल के सहपारा में हिंदू परिवारों पर हुए हमले की हैं। दूसरी तस्वीर उन जुड़वां मुस्लिम बच्चियों की है, जिनके नाम पहले पद्म ब्रिज पर रखे गए थे, लेकिन उन्हें इस्लामिक नामों में बदलवा दिया गया।
ढाका. बांग्लादेश में इस्लामिक कट्टरपंथियों के हिंदुओं पर हमले बढ़ते(Attack on Bangladesh Hindus) जा रहे हैं। पहली दो तस्वीरें 15 जुलाई को मुस्लिम कट्टरपंथियों की भीड़ द्वारा नरैल के सहपारा इलाके में रहने वाले हिंदू परिवारों पर किए गए हमले के बाद की हैं। हिंसक मुसलमानों ने भीड़ ने हिंदुओं के घरों और दुकानों को निशाना बनाया। आग लगा दी। महिलाओं के साथ बदसलूकी की। नरैल जिले में ईशनिंदा के बहाने इस्लामवादियों द्वारा दंगे कराए जाने के कुछ दिनों बाद यह हमला किया गया। दूसरी तस्वीर(बच्चियों) बताती है कि कैसे बांग्लादेश के इतिहास में बने सबसे बड़े ब्रिज पद्मा ब्रिज(Padma Bridge) को भी इस्लामिक कट्टरपंथियों की नजर लग गई है। कोमिला में जन्मी इन बच्चियों का नाम मां-बाप ने पहले ब्रिज के नाम पर पद्म और शेतु(हिंदी में सेतु) रखा गया था, लेकिन इस्लामिक कट्टरपंथियों ने दबाव डालकर नाम बदलवा दिए। पढ़िए दो मामले...
सरकार का कोई डर नहीं
नरैल में हुए हमले में भीड़ का नेतृत्व स्थानीय धार्मिक और राजनीतिक नेताओं ने किया। वे CCTV में अपने चेहरे आने के बावजूद निडर दिखे। स्थानीय लोगों के अनुसार, हमलावर अज्ञात नहीं थे। वे सभी आसपास के गांवों के सदस्य थे। एक सामाजिक कार्यकर्ता निर्मल चटर्जी पिछले दिनों हिंसाग्रस्त इलाके का दौरा करके लौटे हैं। उन्होंने एक भारतीय मीडिया को बताया कि दो हफ्ते पहले एक कथित विवादास्पद फेसबुक पोस्ट के बाद हिंदुओं पर हमला किया गया था। घरों को लूटा गया। महिलाओं से जेवरात उतरवा लिए। अक्टूबर 2021 में दुर्गा पूजा के दौरान हुए हिंसक हमले ने बांग्लादेश की किरकिरी करा दी थी। जहां हिंदुओं के इलाके अब तक सुरक्षित थे, अब वहां टार्गेट किया जा रहा है।
बांग्लादेश के 'पद्मा ब्रिज' पर रखे गए थे जुड़वां लड़कियों के नाम-पद्म और शेतू, लेकिन इस्लामिक कट्टरपंथियों ने करवा दिए-उम्मे हनी आयशा और आरोही अखी
बांग्लादेश की शान कहे जाने वाले इतिहास के सबसे बड़े ब्रिज पद्मा ब्रिज(Padma Bridge) की इस समय इस्लामिक कट्टरपंथियों के कारण चर्चा है। कोमिला(Comilla) में पैदा हुए जुड़वां बच्चों के नाम पहले पद्मा ब्रिज को समर्पित करते हुए पद्म और शेतु(हिंदी में सेतु) रखे गए थे, अब उन्हें उम्मे हनी आयशा और आरोही अखी( Umme Honey Aisha and Arohi Akhi) में बदल दिया गया है। बच्चों की मां सबिकुन नाहर झुमुर के मुताबिक उनके रिश्तेदार इन नामों से नाराज थे। उपजिला हेल्थ वर्कर डॉ. कमरुल हसन सोहेल ने 21 जून को जन्म के बाद दो लड़कियों का नाम पद्मा और शेतू रखा था। बाद में उन्हें 27 जून को इस्लामी नाम दिया गया। बच्चों के दादा शुकुर अली ने कहा कि उनके रिश्तेदारों ने इस्लामिक नाम बदलने पर जोर दिया था, इसलिए उनके पिता मोहम्मद शोहाग ने नए नाम चुने। शोहाग सऊदी अरब में रहते हैं। बरुआ उपजिला स्वास्थ्य परिसर के डॉक्टर कमरुल ने कहा कि परिवार की सहमति से उनका नाम पद्मा और शेतू रखा गया था। यह उन पर निर्भर है कि वे इसे बदलना चाहते हैं।
25 जून को हुआ था उद्घाटन
बांग्लादेश के इतिहास का सबसे बड़े इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट पद्मा ब्रिज(Padma Bridge) का 25 जून को प्रधानमंत्री शेख हसीना(Prime Minister Sheikh Hasina) ने एक भव्य कार्यक्रम के दौरान उद्घाटन किया था। 6.15 किलोमीटर लंबे इस पुल का उद्घाटन मुंशीगंज में मावा प्वाइंट पर हुआ था। अपनी स्पीच में प्रधानमंत्री शेख हसीना ने दावा किया था कि पद्मा ब्रिज की नींव अभी भी दुनिया में सबसे गहरी है। इस पुल के पिलर 122 मीटर की अधिकतम गहराई तक बिछाए गए हैं, जबकि भूकंप की रोकथाम के लिए अत्याधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया गया है। शेख हसीना ने उम्मीद जताई कि अपनी स्पेशलिटी के कारण इस पुलिस का निर्माण दुनियाभर के इंजीनियरिंग किताबों में शामिल होगा। शेख हसीना ने कहा कि तेज-तर्रार और घातक पद्मा नदी को नियंत्रित करना पुल के निर्माण की तरह ही एक चुनौती थी। क्लिक करके पढ़ें पूरी डिटेल्स..
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