'इस्लामोफोबिया' से पीड़ित हैं ब्रिटेन के नए PM, बुर्का पहनती महिलाओं को कहा था 'लेटरबॉक्स'

यूनाइटेड किंगडम को अपना अगला प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन के रूप में मिला। उन्होंने हाल ही में पीएम पद की रेस में विदेश मंत्री जेरेमी हंट को मात दी थी। बोरिस को कंजरवेटिव पार्टी ने अपना लीडर चुना। उन्हें 66% वोट मिले। बोरिस की तुलना अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से की जा रही है।

लंदन. यूनाइटेड किंगडम को अपना अगला प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन के रूप में मिला। उन्होंने हाल ही में पीएम पद की रेस में विदेश मंत्री जेरेमी हंट को मात दी थी। बोरिस को कंजरवेटिव पार्टी ने अपना लीडर चुना। उन्हें 66% वोट मिले। बोरिस की तुलना अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से की जा रही है। विवादित बयानों को लेकर चर्चा में रहने वाले बोरिस जॉनसन लंदन के मेयर रह चुके हैं। उन्हें ट्रंप ने बधाई देते हुए कहा- वे यूके में लोगों के बीच काफी फेमस हैं, क्योंकि उन्हें ट्रंप के तौर पर देखा जा रहा है। जॉनसन के नाम की घोषणा के बाद कंजरवेटिव पार्टी में 36 साल से रहे मोहम्मद अमीन ने इस्तीफा दे दिया है। 

इस्लामोफोबिया के शिकार

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बोरिस जॉनसन पर इस्लामोफोबिया का आरोप लगता रहा है। उन्हें लोग इस्लाम विरोधी मानते हैं। वे अक्सर विवादित बयानों को लेकर चर्चा में रहे हैं। उनके बयानों पर कई बार हंगामा भी हो चुका है। 


बयान नंबर 1: बुर्का पहने महिला बैंक लुटेरों की तरह लगती है

बेरिस ने साल 2018 में टेलीग्राफ में लिखे कॉलम में इस्लाम धर्म को मानने वाली महिलाओं पर टिप्पणी की थी। उन्होंने लिखा था- बुर्का पहनने वाली महिलाएं किसी लेटरबॉक्स या बैंक लुटेरों की तरह लगती हैं। इस तरह के लोग लेटर बॉक्स की तरह दिखते हुए सड़कों पर घूमना पसंद करते हैं।


बयान नंबर 2: इस्लाम की वजह से दुनिया पीछे

गार्जियन में लिखे लेख में बोरिस ने दुनिया के पीछे रहने की सबसे बड़ी वजह मुस्लिम को बताया था। उन्होंने कहा था कि इस्लाम की वजह से मुस्लिम पश्चिमी देशों से सदियों के लिए पीछे छूट गया। मुस्लिम दुनिया जितनी पीछे छूटती गई, उतना कड़वाहट और संशय बढ़ गया। आप वैश्विक स्तर पर सोच सकते हैं, बोस्निया से फिलिस्तीन, इराक से लेकर कश्मीर, सभी जगह मुस्लिमों की भूमिका रही है। 


बयान नंबर 3: 'द ड्रीम ऑफ' रोम किताब 

जॉनसन ने साल 2006 में एक किताब लिखी जिसका नाम द ड्रीम ऑफ रोम था। उसमें उन्होंने लिखा था, इस्लाम के बारे में कुछ ऐसा जरूर होना चाहिए, जिससे यह समझने में मदद मिल सके। मुस्लिम दुनिया में बु्र्जुवा, नवउदारवाद, और लोकतंत्र का प्रसार क्यों नहीं हो सका। उनका नजरिया था कि दुनिया की प्रगति रोकने में इस्लाम धर्म की भूमिका ज्यादा रही है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा था कि ऑटोमन साम्राज्य में 19वीं शताब्दी की शुरूआत तक प्रिंटिंग प्रेस नहीं आ सकी। कुछ तो ऐसा था जिससे यह लोग हमेशा पीछे रहे। 


बयान नंबर 3: 'एंड देन केम द मुस्लिम' लेख चर्चा में रहा

साल 2007 में लिखे अपने एक लेख में  'And then came the muslims' बोरिस ने विंस्टन चर्चिल की लाइन को कोड करते हुए लिखा- दुनिया में इस्लाम से ज्यादा पीछे धकेलने वाली कोई ताकत नहीं है। उन्होंने लिखा था- भरोसा है कि उन्हें इस्लामोफोबिया का आरोपी नहीं बनाया जाएगा। क्योंकि उनके परदादा मुस्लिम रहे हैं। उन्होंने लिखा था कि चर्चिल के धर्म के विश्लेषण में विचार काफी तथ्यात्मक थे। हमें सच्चाई के साथ दुनिया के पीछे रहने का कारण इस्लाम में खोजना पड़ेगा।


कौन हैं बोरिस जॉनसन

बोरिस जॉनसन 2008 से 2016 तक लंदन के मेयर रहे हैं। 2016 से 2018 तक वे विदेश मंत्री के पद पर रहे। बोरिस टेलीग्राफ अखबार में साप्ताहिक कॉलम भी लिखते हैं। उन्होंने करियर की शुरूआत बतौर पत्रकार की थी। उन्हें आर्थिक और सामाजिक तौर पर अपने स्वतंत्र विचारों के लिए जाना जाता है। 2001 में पहली बार बोरिस सांसद बने थे। 2015 से वह अक्सब्रिज और दक्षिण रूस्लिप से सांसद बने। अपनी गर्लफ्रेंड से रिलेशनशिप को लेकर भी खासे चर्चा में रहे थे। उन्होंने उदार और रूढिवादी नेता के तौर पर देखा जाता है। वो हमेशा अप्रवासियों के समर्थन में रहे हैं। वे एक बार अप्रवासियों के गौरव मार्च में भी शामिल हुए थे।

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