रूस की कैद से छूटे यूक्रेनी सैनिक ने बयां की क्रूरता की दास्तां: राष्ट्रगान बजाकर करते पिटाई, चाकूओें से पीठ..

असलिन ने बताया कि कैद में अत्याचार के दौरान एक दिन एक अधिकारी ने कहा कि उसे कैसी मौत चाहिए। उसने प्रताड़ना से तंग आकर कहा कि तुरंत मौत दे दो। तो उसने कहा कि उसे धीमी मौत मिलेगी। इसके बाद उसने उसके पीठ की ओर इशारा किया...

Dheerendra Gopal | Published : Sep 25, 2022 3:15 PM IST

Russia-Ukraine War: पूर्वी यूक्रेन में अदला-बदली के बाद कैद से मुक्त हुए एक ब्रिटिश नागरिक ने रूसी सैनिकों द्वारा किए गए अत्याचार की दास्तां बयां की है। ब्रिटिशर ने बताया कि कैसे उस पर हर पल अत्याचार किया जाता है। उसे कुत्तों से भी बदतर जीवन जीने को मजबूर किया जाता रहा। शारीरिक प्रताड़ना देकर उसे धीरे-धीरे मौत के मुहाने पहुंचाया जा रहा था। पीठ पर चाकूओं के जख्मों को दिखाते हुए उसने एक मीडिया हाउस को बताया कि उसे रोज रूसी राष्ट्रगान गाने के लिए बुरी तरह से पीटा जाता था।

दरअसल, रूस आक्रमण के पहले इंग्लैंड के नॉटिंघमशायर के रहने वाले 28 वर्षीय असलिन, यूक्रेन में रहकर मरीन सर्विस से जुड़े थे। रूसी आक्रमण के बाद उनको कैद कर लिया गया। वह यूक्रेन की ओर से लड़ रहे थे। जून में रूस समर्थित अलगाववादियों ने पूर्वी यूक्रेन में डोनेट्स्क में उनको मौत की सजा सुनाई।

कैद में रोज करते थे क्रूरतम अत्याचार

असलिन ने बताया कि कैद के दौरान उसे रोज-रोज डंडे से बुरी तरह से मारा जाता था। बुरी तरह मारने के बाद उसे बुरी से बुरी सजा दी जाती थी। कभी कोई अधिकारी आता तो उसे रूसी राष्ट्रगान कहने को कहता तो कभी कुछ आदेश देता। नहीं कर पाने पर पीठ पर चाकूओं से जख्म कर देता।

कैसी मौत चाहिए?

असलिन ने बताया कि कैद में अत्याचार के दौरान एक दिन एक अधिकारी ने कहा कि उसे कैसी मौत चाहिए। उसने प्रताड़ना से तंग आकर कहा कि तुरंत मौत दे दो। तो उसने कहा कि उसे धीमी मौत मिलेगी। इसके बाद उसने उसके पीठ की ओर इशारा किया। असलिन ने बताया कि उसके हाथों में चाकू देख मैं समझ गया कि उसने मेरी पीठ पर वार कर जख्म कर दिया है। उसने बताया कि उसके साथ एक कुत्ते से भी बदतर बर्ताव किया जाता था। उसे एक छोटे से अंधेरे कमरे में रखा गया था जहां कीड़े-मकौड़े थे जो दिन-रात परेशान करते थे।

पहले रूसी गाना बजाते, खड़ा होने को कहते, फिर पिटाई

कैद से छूटे ब्रिटेन के असलिन ने बताया कि उसकी पिटाई का आदेश देने वाला पहले रूसी राष्ट्रगान बजाता। फिर उसे खड़ा होने को कहता और इसके बाद पिटाई का आदेश देता था। जब पिटााई होती तो रूस की जय बोलने को कहते।

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