Taliban से ड्रैगन कायम रखेगा दोस्ताना, रूस अभी मंथन कर रहा, Britain ने की दुनिया से मान्यता न देने की अपील

तालिबान का अफगानिस्तान पर कब्जा के बाद पूरे देश में अफरातफरी मची हुई है। लोग देश छोड़ने को विवश हो रहे हैं। हर ओर अराजकता का माहौल है। उधर, चीन ने तालिबान सरकार को मान्यता देने के संकेत दिए हैं। रूस भी तालिबानी सरकार से हाथ मिला सकता है। 

नई दिल्ली। तालिबान का अफगानिस्तान पर कब्जा के बाद पूरे देश में अफरातफरी मची हुई है। लोग देश छोड़ने को विवश हो रहे हैं। हर ओर अराजकता का माहौल है। उधर, चीन ने तालिबान सरकार को मान्यता देने के संकेत दिए हैं। रूस भी तालिबानी सरकार से हाथ मिला सकता है। दोनों देशों के इस कदम से भारत को झटका लग सकता है। अफगानिस्तान में भारत का अरबों रुपयों का निवेश है। हालांकि, इस सबके बीच ब्रिटेन ने वैश्विक समुदाय को तालिबान को मान्यता न देने की अपील की है। 

चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा- वह अफगानिस्तान से दोस्ताना रिश्ता चाहता

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विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने मीडिया से कहा, 'चीन अफगानिस्तान के लोगों के स्वतंत्रतापूर्वक अपनी तकदीर चुनने के अधिकार का सम्मान करता है। अफगानिस्तान के साथ दोस्ताना और सहयोगपूर्ण रिश्ते विकसित करना जारी रखना चाहता है।' 

चीनी प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने कहा, 'तालिबान ने बार-बार चीन के साथ अच्छे रिश्ते की उम्मीद जाहिर की है और वे अफगानिस्तान के विकास और पुर्ननिर्माण में चीन की सहभागिता को लेकर आशान्वित हैं। हम इसका स्वागत करते हैं।' हुआ ने यह भी कहा कि काबुल में चीन का दूतावास अभी भी काम कर रहा है। 

चीन तालिबान के संपर्क में, अपनी सुरक्षा के लिए आर्थिक मदद करेगा

अफगानिस्तान से अमेरिका की वापसी के दौरान बीजिंग ने तालिबान के साथ अनौपचारिक संबंध बनाए रखने की इच्छा जाहिर की थी। चीन की 76 किलोमीटर सीमा अफगानिस्तान से मिलती है। बीजिंग को लंबे समय से यह डर था कि अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे से शिजियांग प्रांत में अल्पसंख्यक मुस्लिम समुदाय के अलगाववाद को बढ़ावा मिल सकता है। लेकिन पिछले महीने तालिबान के एक प्रतिनिधिमंडल ने चीनी विदेश मंत्री वांग यी से मुलाकात की थी और उनसे वादा किया था कि अफगानिस्तान को आतंकियों के बेस के रूप में इस्तेमाल नहीं होने दिया जाएगा। बदले में चीन ने आर्थिक सहयोग और निवेश का भरोसा दिलाया। 

रूस भी दे सकता है मान्यता

रूस ने काबुल में अपने दूतावास को खाली करने की किसी योजना से इनकार करके यह साफ कर दिया है कि तालिबान सरकार को मान्यता दी जा सकती है। विदेश मंत्रालय के अधिकारी ज़मीर काबुलोव ने सोमवार को कहा कि उनके राजदूत तालिबान नेतृत्व के संपर्क में हैं। काबुलोव ने यह भी कहा कि यदि तालिबान का आचरण ठीक रहता है तो इसके शासन को मान्यता दी जा सकती है। अफगानिस्तान में रूस के राजदूत दिमित्री झिरनोव की दूतावास की सुरक्षा को लेकर तालिबान के प्रतिनिधियों के साथ बैठक कर सकते हैं। 

ब्रिटेन बोला न दें कोई मान्यता

इस बीच ब्रिटेन ने वैश्विक समुदाय से अपील की है कि तालिबान की सरकार को मान्यता न दी जाए।

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