पाकिस्तान पर मंडरा रहा ब्लैक लिस्ट होने का खतरा, बचने के लिए 4 महीने के अंदर करना होगा यह काम

पाकिस्तान के ऊपर से अभी भी ब्लैकलिस्ट होने का खतरा टला नहीं है। टेरर फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग पर नजर रखने वाली अंतर्राष्ट्रीय संस्था फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स ने पाकिस्तान से 27 बिंदुओं वाले एक्शन प्लान पर पूरी तरह से काम करने को कहा है। 

Asianet News Hindi | Published : Feb 21, 2020 3:12 PM IST / Updated: Feb 21 2020, 08:51 PM IST

इस्लामाबाद. पाकिस्तान के ऊपर से अभी भी ब्लैकलिस्ट होने का खतरा टला नहीं है। टेरर फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग पर नजर रखने वाली अंतर्राष्ट्रीय संस्था फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स ने पाकिस्तान से 27 बिंदुओं वाले एक्शन प्लान पर पूरी तरह से काम करने को कहा है। पहले ही इस संस्था ने यह एक्शन प्लान पाकिस्तान की सरकार को सौंपा था और इस पर अमल करने को कहा था। जिसके बाद पाकिस्तान सरकार ने अगली मीटिंग तक 27 में से 14 बिंदुओं पर काम करने का दावा किया। अब उसे 4 महीने के अंदर बाकी के 13 बिंदुओं पर भी अमल करने को कहा गया है। अगर पाकिस्तान ऐसा नहीं कर पाता तो उसे ब्लैक लिस्ट किया जा सकता है। 

गुरुवार को ही एफएटीएफ ने पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में बनाए रखने की जानकारी दी थी। इसके बाद डॉन न्यूज ने बताया कि पाकिस्तान ने 27 में से 14 बिंदुओं पर काम करने का दावा किया। इसी वजह से उसे ग्रे लिस्ट से बाहर होने के लिए अतिरिक्त समय दिया गया। अब 4 महीने के अंदर उसे बाकी के 13 बिंदुओं पर काम करना होगा। 

बैठक में पाक को सिर्फ तुर्की का समर्थन 
एफएटीएफ की मौजूदा बैठक में सिर्फ तुर्की ने पाकिस्तान का समर्थन किया, जबकि चीन सहित बाकी सभी देश पाकिस्तान में हो रही आतंकी गतिविधियों के खिलाफ नजर आए। अब अगली बैठक में पाकिस्तान को हर हाल में एक्शन प्लान के सभी 27 बिंदुओं पर काम करके दिखाना होगा। बैठक की समीक्षा में अगर एफएटीएफ पाकिस्तान सरकार के प्रयासों से खुश नहीं होता है तो उसका ब्लैकलिस्ट होना तय है। अगली बैठक में पाकिस्तान पर इस बात का खासा दबाव होगा।

बैठक से बाहर आकर चीन ने बदला रंग
एफएटीएफ की बैठक में चीन ने भले ही पाकिस्तान का समर्थन ना किया हो पर बैठक से बाहर आते ही चीन के विदेश मंत्रालय ने एक ट्वीट किया जिससे उसकी कूटनीतिक रणनीति साफ हो गई। इस ट्वीट में लिखा था "आतंक पर लगाम लगाने के लिए पाकिस्तान ने जो भी प्रयास किए हैं वो तारीफ के योग्य हैं। पेरिस में हुई बैठक में भी कई देशों ने इस बात को स्वीकार किया है। चीन और बाकी देश इस मामले में पाकिस्तान की मदद करते रहेंगे।"
 

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