पाकिस्तान : मुंबई हमले के मास्टरमाइंड जकीउर रहमान लखवी को टेरर फंडिंग केस में 15 साल की सजा

मुंबई हमलों के मास्टरमाइंड में शामिल आतंकी जकीउर-रहमान लखवी को पाकिस्तान की एक कोर्ट ने 15 साल की सजा सुनाई। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, टेरर फंडिंग के मामले में ये सजा सुनाई गई। लखवी को हाल ही में पंजाब प्रांत के आतंकवाद-रोधी विभाग (CTD) ने गिरफ्तार किया था। 

Asianet News Hindi | Published : Jan 8, 2021 10:08 AM IST / Updated: Jan 08 2021, 03:43 PM IST

इस्लामाबाद. मुंबई हमलों के मास्टरमाइंड में शामिल आतंकी जकीउर-रहमान लखवी को पाकिस्तान की एक कोर्ट ने 15 साल की सजा सुनाई। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, टेरर फंडिंग के मामले में ये सजा सुनाई गई। लखवी को हाल ही में पंजाब प्रांत के आतंकवाद-रोधी विभाग (CTD) ने गिरफ्तार किया था। 

लश्कर-ए-तैयबा के ऑपरेशंस कमांडर लखवी को साल 2008 में मुंबई में हुए हमलों के बाद संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा काउंसिल (यूएनएससी, UNSC) के प्रस्ताव के तहत संयुक्त राष्ट्र के जरिए इंटरनेशनल टैरेरिस्ट के तौर में नामित किया गया था। मुंबई आतंकी हमले के मामले में लकवी 2015 से जमानत पर है। लखवी पर आरोप था कि वह कारोबार के नाम पर मिली रकम का इस्तेमाल आतंक फैलाने में करता था। 

भारत ने 2019 में लखवी को किया आतंकी घोषित
भारत ने सितंबर 2019 में यूएपीए के तहत लखवी को आंतकी घोषित कर दिया था। यूएपीए में संशोधन से पहले सिर्फ संगठनों को ही आतंकवादी संगठन घोषित किया जा सकता था। लेकिन अब ऐसा नहीं है। आतंकी गतिविधियों में शामिल किसी भी शख्स को आतंकी घोषित किया जा सकता है।

दिखावा हो सकती है लकवी पर कार्रवाई
लकवी को हाल ही में गिरफ्तार किया गया था। पाकिस्तान का यह कदम दिखावा लगता है। इसकी वजह है कि अगले महीने फाइनेंशियल टास्क फोर्स (FATF) की मीटिंग होने वाली है। पाकिस्तान लंबे वक्त से FATF की ग्रे लिस्ट में है। नवंबर में हुई मीटिंग में सरकार की रिपोर्ट से FATF संतुष्ट नहीं था। तब संगठन ने कहा था, सरकार ने अब भी कई शर्तों को पूरा नहीं किया है। टेरर फाइनेंसिंग पर क्या कार्रवाई की गई, इसके सबूत देने होंगे। माना जा रहा है कि लखवी पर कार्रवाई इसी दबाव के चलते की गई। 

लखवी को हर महीने मिलते हैं डेढ़ लाख रु
पाकिस्तान सरकार लखवी को हर महीने डेढ़ लाख रुपए देती है। दरअसल, पाकिस्तान सरकार ने यूनाइटेड नेशन्स सिक्योरिटी काउंसिल से लखवी को मानवीय आधार पर खर्च देने की अपील की थी। यूएनएससी ने इसे मंजूर कर लिया था। सिक्योरिटी काउंसिल ने प्रतिबंधित आतंकियों और आतंकी संगठनों पर कुछ नियम बनाए हैं। अगर वे जेल में हैं तो उन्हें बुनियादी सुविधाओं के लिए खर्च दिया जा सकता है। इमरान सरकार इसी का फायदा उठा रही है।

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