रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन उत्तर कोरिया की यात्रा कर रहे हैं। उनकी यात्रा पर पश्चिमी पर्यवेक्षकों का कहना है कि इसके परिणाम यूक्रेन के युद्धक्षेत्र से कहीं आगे तक जाएंगे।
नई दिल्ली। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन दो दशक से अधिक समय के बाद पहली बार उत्तर कोरिया पहुंचे हैं। यूक्रेन के साथ रूस की चल रही लड़ाई के बीच इस यात्रा पर पूरी दुनिया की नजर है।
जंग के चलते रूस को हथियारों की जरूरत है। ऐसे में पुतिन ने उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन से करीबी संबंध बनाए हैं। पिछले साल सितंबर में किन जोंग रूस गए थे। दोनों नेताओं के बीच ऐतिहासिक शिखर सम्मेलन हुआ था। कहा जाता है कि इसके बाद से उत्तर कोरिया रूस को हथियार और मिसाइल दे रहा है। हालांकि रूस और उत्तर कोरिया ने इससे इनकार किया है।
यूक्रेन के युद्धक्षेत्र से कहीं आगे तक जाएंगे पुतिन-किम के मुलाकात के परिणाम
उत्तर कोरिया विश्व स्तर पर अलग-थलग देश है। इसकी राजधानी प्योंगयांग में पुतिन और किम जोंग इस बात पर चर्चा करने जा रहे हैं कि आपसी सहयोग को कैसे बढ़ाया जाए। पश्चिमी पर्यवेक्षकों का कहना है कि इसके परिणाम यूक्रेन के युद्धक्षेत्र से कहीं आगे तक जाएंगे। पुतिन की यात्रा को पश्चिम और उसके सहयोगियों के प्रति साझा शत्रुता पर आधारित साझेदारी की दिशा में महत्वपूर्ण कदम के रूप में देखा जा रहा है। कहा जा रहा है कि इससे दोनों नेता मजबूत होंगे और वैश्विक मतभेदों को और गहरा करेंगे।
रूस के अनुसार पुतिन की यात्रा के दौरान उत्तर कोरिया के साथ नए रणनीतिक साझेदारी समझौते पर साइन होने की उम्मीद है। पुतिन ने यात्रा से पहले कहा था कि वे "यूरेशिया में समान और अविभाज्य सुरक्षा की संरचना को आकार देंगे"। यूके के ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में राजनीति के लेक्चरर एडवर्ड हॉवेल ने कहा कि यह रिश्ता सिर्फ जरूरत के बारे में नहीं है। हम दोनों देशों को अमेरिका और पश्चिम के खिलाफ गठबंधन बनाते हुए देख रहे हैं।
यह घटना ऐसे समय में हुई है जब उत्तर कोरिया ने अमेरिका और उसके सहयोगी दक्षिण कोरिया और जापान के बीच बढ़ते सुरक्षा सहयोग के खिलाफ आवाज उठाई है। यह अभी तक सार्वजनिक रूप से पता नहीं है कि युद्ध में रूस को समर्थन देने के बदले उत्तर कोरिया को क्या मिल रहा है। दक्षिण कोरिया से लेकर अमेरिका तक की सरकारें इस बात पर बारीकी से नजर रह रहीं हैं कि पुतिन किम जोंग का समर्थन करने में किस हद तक जाने को तैयार हैं।
रूस और उत्तर कोरिया एक दूसरे से क्या चाहते हैं?
सितंबर में पुतिन के साथ ऐतिहासिक शिखर सम्मेलन के लिए किम जोंग अपनी बख्तरबंद ट्रेन से रूस गए थे। इस यात्रा के बाद के महीनों में उत्तर कोरियाई हथियार रूस में घुसते दिखाई दिए। इन्हें यूक्रेन के खिलाफ इस्तेमाल किया गया।
एक अमेरिकी अधिकारी के बयान के अनुसार, रूस को सितंबर से उत्तर कोरिया से 10,000 से अधिक शिपिंग कंटेनर मिले हैं। इनमें 260,000 मीट्रिक टन गोला-बारूद हो सकते हैं। एक अमेरिकी अधिकारी ने मार्च में यह भी कहा कि रूसी सेना ने सितंबर से यूक्रेन पर कम से कम 10 उत्तर कोरिया में बनी मिसाइलें दागी हैं।
पश्चिमी देशों के पर्यवेक्षकों का कहना है कि ये हथियार रूस के अपने हथियारों से कम गुणवत्ता वाले हो सकते हैं, लेकिन इससे रूस को अपने घटते भंडार को फिर से भरने और यूक्रेन को पश्चिम से मिल रहे हथियारों के समर्थन के साथ तालमेल बनाए रखने में मदद मिली है। वहीं, इससे उत्तर कोरिया को अपने हथियारों की कार्यप्रणाली के बारे में रियल वर्ल्ड जानकारी प्राप्त करने और निर्यात बढ़ाने में भी सक्षम बना सकती है।
यात्रा से पहले उत्तर कोरिया की सरकारी मीडिया में प्रकाशित एक लेख में पुतिन ने यूक्रेन में रूस के युद्ध के लिए “अटूट समर्थन” दिखाने के लिए प्योंगयांग को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि दोनों देश “सामूहिक पश्चिम की महत्वाकांक्षा का सामना करने के लिए तैयार हैं।”
उत्तर कोरिया को मिल रही रूस से मदद
व्यापक रूप से यह माना जा रहा है कि पुतिन अपनी इस यात्रा का इस्तेमाल उत्तर कोरिया का निरंतर समर्थन प्राप्त करने के लिए करेंगे। इस बारे में कम ही जानकारी है कि बदले में उत्तर कोरिया को रूस क्या दे रहा है। दक्षिण कोरियाई अधिकारियों ने कहा है कि उत्तर कोरिया को रूस से अनाज और अन्य जरूरतों की खेप मिल रही है। उत्तर कोरिया की अर्थव्यवस्था प्रतिबंधों के चलते बेहद खराब स्थिति में है। यहां भोजन के अलावा ईंधन और कच्चे माल की कमी है। इसके बाद भी यह देश यह अपने अंतरिक्ष, मिसाइल और परमाणु कार्यक्रमों को आगे बढ़ा रहा है।
पुतिन ने सितम्बर में किन जोंग के साथ अपनी बैठक के दौरान उत्तर कोरिया को उसके अंतरिक्ष और उपग्रह कार्यक्रम के विकास में सहायता देने की इच्छा व्यक्त की थी। इसके बाद से ऐसे संकेत मिले हैं कि उत्तर कोरिया को रूस से इस तरह की सहायता मिली है। इससे उत्तर कोरिया ने सैन्य टोही उपग्रह "मैलीगयोंग-1" का सफल प्रक्षेपण किया। ऐसे उपग्रह उत्तर कोरिया को अपनी जमीनी सैन्य क्षमताओं को बेहतर बनाने में मदद कर सकते हैं। वह अपनी मिसाइलों से विरोधियों की सेनाओं पर अधिक सटीकता से निशाना साध सकेगा।
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संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों पर उत्तर कोरिया के मिसाइल कार्यक्रमों में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से सहायता करने पर प्रतिबंध है। इसे हथियार देने या इससे खरीदने पर भी रोक है। विशेषज्ञों का कहना है कि किम की नजर रूसी एडवांस हथियारों की एक श्रृंखला के लिए तकनीकी जानकारी तक पहुंच पर है। इसके साथ ही वह रूस से यूरेनियम संवर्धन, रिएक्टर डिजाइन या पनडुब्बियों के लिए न्यूक्लियर प्रोपल्शन से जुड़ी टेक्नोलॉजी भी चाहते हैं।