सोवियत संघ के आखिरी नेता मिखाइल गोर्बाच्योब का 91 साल की उम्र में निधन, पढ़िए उनसे जुड़ी रोचक डिटेल्स

दुनियाभर के तमाम मशहूर राजनेताओं में शुमार और सोवियत संघ के आखिरी नेता मिखाइल गोर्बाच्योब का मंगलवार 30 अगस्त को निधन हो गया। उन्होंने शीत युद्ध को समाप्त कराने में अहम रोल अदा किया था। वह नोबेल पुरस्कार से सम्मानित थे। 

Asianet News Hindi | Published : Aug 31, 2022 9:47 AM IST / Updated: Aug 31 2022, 03:40 PM IST

सोवितय संघ। नोबेल पुरस्कार से सम्मानित मिखाइल गोर्बाच्योव का मंगलवार, 30 अगस्त को निधन हो गया। वह सोवियत संघ के अंतिम नेता थे और उनकी उम्र  91 वर्ष थी। मिखाइल गोर्बाच्योव ने शीत युद्ध को समाप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इसके अलावा, उन्होंने सोवियत संघ के विघटन, साम्यवाद के खात्मे में अहम रोल अदा किया और सोवियत संघ में कुछ और महत्वपूर्ण सुधार कराए। हालांकि, बाद में उनकी स्थिति कमजोर पड़ने लगी थी और वर्ष 1996 के चुनाव  में उन्हें बुरी हार का सामना करना पड़ा था। इस चुनाव में उन्हें सिर्फ एक प्रतिशत वोट मिला था। 

बता दें कि मिखाइल गोर्बाच्योब ने सोवियत संघ में सुधार के लिए बहुत सारी कोशिशें की थीं। लंबी बीमारी से जूझ रहे गोर्बाच्योब का 91 साल की उम्र में मास्को के सेंट्रल क्लिनिकल हॉस्पिटल में इलाज के दौरान निधन हो गया। उनकी मौत को लेकर या अंतिम वक्त में इलाज और परेशानियों को लेकर रूस सरकार की ओर से अभी और कोई जानकारी नहीं दी गई है। अमरीकी राष्ट्रपति जो बिडेन ने मिखाइल गोर्बाच्योब के निधन पर दुख व्यक्त किया है और उन्हें दुर्लभ नेता बताया। 

Latest Videos

अच्छे काम का उन्हें बुरा नतीजा मिला, करियर खत्म हो गया 
उन्होंने करीब सात साल तक सत्ता संभाली और इस दौरान कई बड़े बदलाव किए। उनके फैसलों की वजह से सोवियत संघ टूटा। पूर्वी यूरोपीय राष्ट्र रूस के प्रभुत्व से अलग हो गए। इसके अलाव सबसे अहम बात ये कि पूर्व और पश्चिमी यूरोप  के बीच लंबे समय से चला आ रहा परमाणु टकराव भी खत्म हो गया। हालांकि, इस अच्छे काम का उन्हें खामियाजा भी भुगतना पड़ा। इस वजह से उनका राजनीतिक करियर बुरी तरह दांव पर लग गया।  

करना चाहते थे कुछ.. हो गया कुछ और 
उनका पूरा नाम मिखाइल सर्गेइविच गोर्बाच्योब था। उनका  जन्म 2 मार्च, 1931 को रूस के प्रिवोलनोय सिटी में हुआ था। उनकी पढ़ाई-लिखाई मास्को स्टेट से हुई। इसे रूस की सबसे अच्छी यूनिवर्सिटी का दर्जा हासिल है। यहीं पर पढ़ाई के दौरान उनकी मुलाकात राइसा मैक्सीमोवना से हुई। राइसा से पहले उन्हें प्यार हुआ और बाद में दोनों ने शादी कर ली। इसके बाद वह राजनेता बने और कम्युनिस्ट पार्टी में शामिल हो गए। सात साल तक सत्ता में रहने के बाद जो काम किए उसका बदला जनता ने उन्हें 1996 में राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव में केवल एक प्रतिशत वोट के साथ दिया। यही उनका इनाम था। वह खुद सोवियत प्रणाली खत्म करने के पक्ष में नहीं थे बल्कि, इसमें सुधार करना चाहते थे। मगर नियति को कुछ और ही मंजूर था। 

हटके में खबरें और भी हैं..

पार्क में कपल ने अचानक सबके सामने निकाल दिए कपड़े, करने लगे शर्मनाक काम 

किंग कोबरा से खिलवाड़ कर रहा था युवक, वायरल वीडियो में देखिए क्या हुआ उसके साथ  

Share this article
click me!

Latest Videos

चुनाव मेरी अग्नि परीक्षा, जनता की अदालत में पहुंचे केजरीवाल #Shorts #ArvindKejriwal
पितरों को करना है प्रसन्न, घर में ही कर सकते हैं ये 10 उपाय । Pitra Paksh
PM Modi ने बाइडेन को गिफ्ट की चांदी की ट्रेन, फर्स्ट लेडी को दी पश्मीना शॉल, जानें क्या है खास
'क्या बेटा इतना बड़ा हो गया जो मां को आंख दिखाए' मोहन भागवत से Arvind Kejriwal ने पूछे 5 सॉलिड सवाल
कोलकाता केसः डॉक्टरों के आंदोलन पर ये क्या बोल गए ममता बनर्जी के मंत्री