जिस्मफरोशी और संगठित अपराधों के गढ़ बने सबसे बड़े रोहिंग्या रिफ्यूजी कैम्प पर ये लोग खर्च करेंगे $1.38 मिलियन

रोहिंग्या मुसलमानों एक बार फिर मीडिया की चर्चा में है। इधर जब भारत में उन्हें EWS फ्लैट देने को लेकर फैले भ्रम पर सरकार सफाई दे रही थी, उधर, बांग्लादेश में स्विट्जरलैंड और UNFP ने एक बड़ा ऐलान कर दिया। पढ़िए क्या है मामला...
 

नई दिल्ली. म्यांमार से खदेड़े गए रोहिंग्या मुसलमान फिर से दुनियाभर की मीडिया के चर्चा में हैं। इधर जब भारत में उन्हें EWS फ्लैट देने को लेकर फैले भ्रम पर सरकार सफाई दे रही थी, उधर, बांग्लादेश में स्विट्जरलैंड और UNFP ने एक बड़ा ऐलान कर दिया। पहले बता दें कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बुधवार को स्पष्ट किया कि केंद्र सरकार ने नई दिल्ली के बक्करवाला में रोहिंग्या शरणार्थियों (Rohingya refugees)  को आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) के लिए बने फ्लैट उपलब्ध कराने का कोई निर्देश नहीं दिया है। पढ़िए बांग्लादेश में क्या हुआ?

स्विट्जरलैंड रोहिंग्याओं पर खर्च करेगा $1.38 मिलियन  
बांग्लादेश के कॉक्स बाजार में रोहिंग्या का सबसे बड़ा शरणार्थी शिविर(refugee camp) है। यह कैम्प बांग्लादेश के लिए भी एक चुनौती है। सिर्फ असामाजिक गतिविधियां नहीं, जिस्मफरोशी और एड्स जैसी बीमारियों के लिए भी रोहिंग्याओं को जिम्मेदार माना जाता रहा है। बहरहाल, इस कैम्प में रहने वाले रोहिंग्या मानसिक स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियों का सामना कर रहे है। उन्हें इससे उबारने यूनाइटेड नेशनल पॉपुलेशन फंड(UNFPA)  अगले 2 वर्षों के लिए एक प्रोजेक्ट शुरू कर रहा है। इस पर करीब $1.38 मिलियन का खर्च किया जाएगा। UNFPA और स्विट्जरलैंड ने बुधवार(17 अगस्त) को रोहिंग्या शिविरों और मेजबान समुदायों(खासकर रोहिंग्या कम्युनिटी) में मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर करने के लिए एक नई साझेदारी शुरू की है।

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जानिए क्या है ये प्रोजेक्ट‌‌?
बांग्लादेश में स्विट्जरलैंड के दूतावास के मिशन के उप प्रमुख सुज़ैन मुलर और UNFPA  के एशिया-प्रशांत क्षेत्रीय निदेशक, ब्योर्न एंडरसन की उपस्थिति में ढाका में इसे लेकर एक साइन(signing ceremony) किया गया। इस प्रोजेक्ट का मकसद शिविरों और आसपास के मेजबान समुदायों में उपलब्ध पर्याप्त मानसिक स्वास्थ्य और मनोसामाजिक सहायता सेवाओं की कमी को दूर करना है। इन चुनौतियों का समाधान करने के लिए UNFPA और स्विस एजेंसी फॉर डेवलपमेंट एंड कोऑपरेशन (SDC) ने कॉक्स बाजार में एक नई समुदाय-आधारित मानसिक स्वास्थ्य और मनोसामाजिक सहायता परियोजना(community-based mental health and psychosocial support project ) शुरू की है।

UNFPA के एशिया-प्रशांत क्षेत्रीय निदेशक ब्योर्न एंडर्सन ने कहा-"रोहिंग्या शरणार्थियों के लिए अपने लिए एक नया भविष्य बनाना शुरू करने के लिए यह आवश्यक है कि हम सभी दशकों से पीड़ा झेल रहे लोगों की मदद करें।

स्विट्जरलैंड द्वारा प्रदान किए गए $ 1.38 मिलियन के बजट के साथ यह प्रोजेक्ट अगले दो वर्षों में शरणार्थी शिविरों और उखिया और टेकनाफ के आसपास के दो मेजबान समुदायों में समुदाय-आधारित मानसिक स्वास्थ्य और मनोसामाजिक सहायता सेवाओं को मजबूत करेगी। इसके अलावा, परियोजना मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों के बारे में जागरूकता बढ़ाने और लिंग आधारित हिंसा को भी रोकने की दिशा में काम करेगी।

आखिर ये कॉक्स बाजार क्या है?
कॉक्स बाजार बांग्लादेश के दक्षिण-पूर्वी तट पर स्थित एक शहर है। यह अपने बहुत लंबे रेतीले समुद्र तट के लिए जाना जाता है। यह उत्तर में सी बीच से लेकर दक्षिण में कोलाटोली बीच तक फैला हुआ है। यहां अग्गामेदा ख्यांग मठ में कांस्य की मूर्तियां और सदियों पुरानी बौद्ध पांडुलिपियां हैं। शहर के दक्षिण में हिमचारी नेशनल पार्क के उष्णकटिबंधीय वर्षावन में झरने और कई पक्षी हैं। उत्तर में समुद्री कछुए पास के सोनादिया द्वीप पर प्रजनन करते हैं। कॉक्स बाजार चटगांव से 150 किमी दक्षिण में स्थित है। (फोटो क्रेडिट-Allison Joyce/Dhaka Tribune)

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