टेरर फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग रोक पाने में नाकाम रहे पाकिस्तान के सामने बड़ा संकट खड़ा हो गया है। उसे अप्रैल 2022 तक FATF की ग्रे लिस्ट में डाल दिया गया है। साथ ही अफगानिस्तान को लेकर भी चिंता जताई गई है।
नई दिल्ली. अफगानिस्तान में तालिबान की सरकार बनने के बाद आतंकवाद फिर एक बड़ा मुद्दा बन गया है। आतंकवादी संगठनों को आर्थिक मदद (terror funding)और मनी लॉन्ड्रिंग(money laundering) रोकने में नाकाम पाकिस्तान के साथ एक संकट खड़ा हो गया है। उसे अप्रैल 2022 तक फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की ग्रे लिस्ट में डाल दिया गया है। यानी उसे अब दुनिया से मदद नहीं मिलेगी। FATF की तरफ से पाकिस्तान को 27 प्वाइंट वाला एक एक्शन प्लान दिया गया था। बता दें कि पाकिस्तान को पहले से ही अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (IMF), वर्ल्ड बैंक, एशियन डेवलपमेंट बैंक और यूरोपियन यूनियन से मदद नहीं मिल पा रही है। FATF ने कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान का साथ देने वाले तुर्की को भी ग्रे लिस्ट में रखा है।
तीन दिन चली मीटिंग के बाद लिया गया फैसला
FATF की मीटिंग फ्रांस की राजधानी पेरिस में तीन दिन यानी गुरुवार तक चली। इसके बाद पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में डालने का निर्णय लिया गया। पाकिस्तान को सबसे पहले जून 2018 में इस लिस्ट में डाला गया था। तब से वो लगातार लिस्ट से बाहर निकलने की कोशिश कर रहा है। पाकिस्तान को अक्टूबर 2019 तक FATF की तरफ से दिए गए पॉइंट पर एक्शन लेना था।
अफगानिस्तान को लेकर चिंता
FATF के अध्यक्ष मार्कस प्लेयर ने कहा-फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स अफगानिस्तान में मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फंडिंग के माहौल पर अपनी चिंता व्यक्त करता है। हम मांग करते हैं कि अफगानिस्तान का इस्तेमाल आतंकवादी गतिविधियों के लिए योजना बनाने या उन्हें फंडिंग करने के लिए न किया जाए।
आतंकवादी संगठनों का ठिकाना है पाकिस्तान
FATF ने जो पॉइंट दिए थे, उनमें 4 पर पाकिस्तान कभी काम नहीं कर सका। इसमें यूनाइटेड नेशंस(UN) की तरफ से घोषित आतंकी संगठनों के लीडर्स की जांच भी शामिल थी। बता दें कि इसमें लश्कर-ए-तैयबा का चीफ हाफिज सईद और जैश-ए-मोहम्मद का सरगना मसूद अजहर भी शामिल है। ये भारत में आतंकी घटनाओं में शामिल रहे हैं। हाफिज सईद 2008 में मुंबई में हुए आतंकी हमलों, जबकि मसूद अजहर 2016 में पठानकोट और फिर 2019 में पुलवामा में हुए आतंकी हमलों का मास्टरमाइंड है। ये दोनों दुनिया के लिए सिरदर्द हैं।
पाकिस्तान को 34 पॉइंट दिए गए थे
पाकिस्तान को राजनीतिक नहीं, बल्कि तकनीकी आधार पर FATF की ग्रे लिस्ट में डाला गया है। पाकिस्तान ने 34 में से 30 पॉइंट पर ही एक्शन लिया। जबकि सबसे बड़ा मुद्दा आतंकवाद था। जून 2021 में FATF ने पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में रखने का फैसला किया था। इसमें कहा गया था कि पाकिस्तान को अगले 3-4 महीने में बाकी पॉइंट पर काम करना है, लेकिन ऐसा नहीं हो सका।
12 आतंकी संगठन लिस्टेड
पिछले दिनों अमेरिकी कांग्रेस की आतंकवाद पर एक रिपोर्ट ‘Terrorist and Other Militant Groups in Pakistan’ जारी की गई है। इसमें 12 ऐसे आतंकी संगठन हैं, जिन्हें अमेरिका ने विदेशी संगठनों के तौर पर सबसे खतरनाक माना है। इनमें से 5 भारत के लिए चिंता का विषय हैं। पाकिस्तान इन आतंकवादी संगठनों का मददगार रहा है।
अफगानिस्तान का मददगार है पाकिस्तान
अफगानिस्तान इस समय आतंक का एक बड़ा गढ़ बन गया है। पाकिस्तान तालिबानी सरकार का मददगार है। बता दें कि पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी (Shah Mehmood Qureshi) और आईएसआई चीफ लेफ्टिनेंट जनरल फैज हामीद 21 अक्टूबर को काबुल पहुंचे हैं। यहां दोनों अफगानिस्तान के कार्यवाहक विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी और अन्य नेताओं से मुलाकात करेंगे। 15 अगस्त को अफगानिस्तान पर कब्जे के बाद से तालिबान अपनी सरकार के लिए मान्यता को लेकर परेशान है।