कर्मचारियों को सैलरी देने के लिए भी नहीं हैं पैसे, संकट से जूझ रहा UN

आर्थिक संकट से जूझ रहा है UN, जोखिम में कर्मचारियों के वेतन। अमेरिका सहित कई सदस्य देशों ने अपने अपेक्षित वित्तीय योगदान का भुगतान नहीं किया है जिस वजह से UN को इसका सामना करना पड़ रहा है।

संयुक्त राष्ट्र: मानवीय सहायता कार्यो से लेकर निरस्त्रीकरण जैसे मुद्दों पर अहम फैसले लेने वाली दुनिया की सर्वोच्च संस्था संयुक्त राष्ट्र (UN),जिसका खुद का वार्षिक बजट कई अरब डॉलर का है, वह आज गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहा है। हालत यह है कि उसे अपने कर्मचारियों को इस महीने के वेतन देने में भी मुश्किल हो रही है।सवाल यह उठता है कि आखिर संयुक्त राष्ट्र का 14.25 अरब रुपये से अधिक का कोष कैसे समाप्त होने की कगार पर है? तो इसका उत्तर है अमेरिका सहित कई सदस्य देशों ने अपने अपेक्षित वित्तीय योगदान का भुगतान नहीं किया है।

UN में गंभीर आर्थिक संकट 

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संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने आगाह किया था कि यह वैश्विक संस्था दशक के सबसे गंभीर घाटे के दौर से गुजर रहा है और अगले महीने की तनख्वाह देने के लिए भी उसके पास पर्याप्त धन नहीं होंगे। संयुक्त राष्ट्र की वित्तीय स्थिति के बारे में चेतावनी देते हुए गुतारेस ने सभी 193 सदस्य देशों से अपनी वित्तीय देनदारियों का समय पर भुगतान करने की अपील की। गुतारेस ने संयुक्त राष्ट्र की पांचवी समिति के समक्ष टिप्पणी की, ‘‘... संगठन गंभीर आर्थिक संकट का सामना कर रहा है। और स्पष्ट करूं तो वह नकदी संकट से गुजर रहा है। स्पष्ट है कि बिना नकद राशि के बजट का सही ढंग से क्रियान्वयन नहीं हो सकता।’’ यह समिति संयुक्त राष्ट्र के प्रशासनिक और वर्ष 2020 के प्रस्तावित बजट से जुड़े मामलों को देखती है। गुतारेस ने कहा, ‘‘...नवंबर महीने में इतनी राशि भी नहीं होगी कि वेतन का भुगतान किया जा सके।’’

भारत का 3.8 करोड़ डॉलर UN पर बकाया 

उल्लेखनीय है कि भारत उन गिने चुने देशों में शामिल है जिसने समय पर अपना पूरा अंशदान संयुक्त राष्ट्र में किया है। इसके उलट भारत का 3.8 करोड़ डॉलर संयुक्त राष्ट्र पर बकाया है। यह संयुक्त राष्ट्र की किसी देश के लिए सबसे अधिक देनदारी है जो मार्च 2019 के शांति अभियानों के लिए दी जानी है। संयुक्त राष्ट्र में 1.3 अरब अमेरिकी डालर के बकाए भुगतान पर भारत ने गहरी चिंता व्यक्त की है। यह तब है जब नियमित बजट वित्त वर्ष तीन महीने में खत्म हो रहा है। महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने चेतावनी दी थी कि उनके पास अक्टूबर के अंत में अपने कामकाज के संचालन के लिए पैसा खत्म हो सकता है क्योंकि विश्व निकाय 23 करोड़ डॉलर के घाटे से जूझ रहा है।

संगठन के पास नहीं है बजट 

संयुक्त राष्ट्र सचिवालय में 37,000 कर्मचारियों को भेजे गए एक पत्र में गुतोरस ने इसको लेकर चिंता जताई। पत्र का प्रति एएफपी के पास भी उपलब्ध है। गुतारेस ने पिछले साल भी चेतावनी जारी की थी और कहा कि संगठन के पास अपने बजट के लिए धन की अभूतपूर्व कमी है और सदस्य राष्ट्र भुगतान नहीं करते हैं तो उसे अतिशीघ्र अपने कामकाज में कटौती करनी पड़ेगी।

यह देश हैं संकट के मुख्य जिम्मेदार

संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थाई मिशन में प्रथम सचिव ने कहा, “हम यह जानकर चिंतित हैं कि मौजूदा नियमित बजट वित्त वर्ष तीन महीने में खत्म हो रहा है और इस साल तथा पिछले साल करीब की मिलाकर करीब 1.3 अरब डॉलर की रकम बकाया है। इस बकाए भुगतान का असर सत्र के दौरान समिति के कामकाज पर भी होगा।” संयुक्त राष्ट्र सार्वजनिक रूप से उन देशों को उजागर नहीं करेगा, लेकिन सूत्रों ने एएफपी को बताया कि इस संकट का मुख्य जिम्मेदार अमेरिका, ब्राजील, अर्जेंटीना, मैक्सिको और ईरान हैं। कुल मिलाकर, 64 देशों पर संयुक्त राष्ट्र का पैसा बकाया है। इसके अलावा देनदारों की सूची में वेनेजुएला, उत्तर कोरिया, दक्षिण कोरिया, लोकतांत्रिक गणराज्य कांगो, इजराइल और सऊदी अरब शामिल हैं। संयुक्त राष्ट्र के प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने मंगलवार को अपने दैनिक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि भुगतान करने वाला अंतिम देश सीरिया है।

एक बयान के मुताबिक, गुतारेस ने भुगतान करने वाले 129 सदस्य देशों को धन्यवाद दिया और जिन्होंने अब तक भुगतान नहीं किया है, उनसे तत्काल भुगतान करने का आग्रह किया।

(यह खबर समाचार एजेंसी भाषा की है, एशियानेट हिंदी टीम ने सिर्फ हेडलाइन में बदलाव किया है।)

 

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