गांबिया के बाद अब उज्बेकिस्तान ने भारत में बनी दवा पर उठाए सवाल, कहा- सिरप पीने से हुई 18 बच्चों की मौत

उज्बेकिस्तान ने दावा किया है कि 18 बच्चों की मौत भारत की कंपनी मैरियन बायोटेक प्राइवेट लिमिटेड की दवा सिरप डॉक-1 मैक्स सिरप पीने से हो गई। इस दवा में एथिलीन ग्लाइकॉल नाम का जहरीला पदार्थ है। 

Vivek Kumar | Published : Dec 28, 2022 4:51 PM IST

ताशकंद। पश्चिम अफ्रीकी देश गांबिया के बाद अब उज्बेकिस्तान ने भारत में बनी दवा पर सवाल उठाए हैं। उज्बेकिस्तान के स्वास्थ्य मंत्रालय ने दावा किया है कि एक भारतीय दवा कंपनी द्वारा बनाई गई दवाओं का सेवन करने से कम से कम 18 बच्चों की मौत हो गई है। इस कंपनी का नाम मैरियन बायोटेक प्राइवेट लिमिटेड है। यह 2012 में उज्बेकिस्तान रजिस्टर्ड हुई थी। 

उज्बेकिस्तान के स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि मरने वाले बच्चों ने मैरियन बायोटेक द्वारा बनाए गए डॉक-1 मैक्स सिरप (Dok-1 Max Syrup) का सेवन किया था। अब तक सांस की गंभीर बीमारी वाले 21 में से 18 बच्चों की मौत इस सिरप के कारण हुई है। हॉस्पिटल में भर्ती होने से पहले बच्चों को 2 से 7 दिनों तक दिन में 3-4 बार सिरप दिया गया। बच्चों को एक बार में 2.5-5 मिली सिरप दिया गया। यह बच्चों के लिए दवा की मानक खुराक से अधिक है।

पेरासिटामोल है डॉक-1 मैक्स सिरप का मेन कम्पोनेंट 
स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि डॉक-1 मैक्स सिरप का मेन कम्पोनेंट पेरासिटामोल है। दवा दुकानदारों की सलाह पर बच्चों के माता पिता ने सिरप को सर्दी से बचाने वाली दवा मानकर गलत तरीके से बच्चों को दिया। उन्होंने डॉक्टर की सलाह के बिना ही बच्चों को दवा दी। इसके चलते बच्चों की स्थिति बिगड़ गई। स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया है कि लैब में की गई शुरुआती जांच में पता चला है कि डॉक-1 मैक्स सिरप में एथिलीन ग्लाइकॉल होता है। यह जहरीला पदार्थ है। 95% कॉन्सेंट्रेटेड घोल का लगभग 1-2 मिली/किग्रा रोगी के सेहत को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है। इससे उल्टी, बेहोशी, ऐंठन, हृदय संबंधी समस्याएं और किडनी फेल्योर हो सकता है। 

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बच्चों की मौत के बाद उज्बेकिस्तान की सरकार ने सात जिम्मेदार कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया है। कई विशेषज्ञों पर भी कार्रवाई की गई है। वर्तमान में डॉक-1 मैक्स दवा के टैबलेट और सिरप को देश के सभी फार्मेसियों में बिक्री से वापस ले लिया गया है। मंत्रालय ने माता-पिता से भी कहा है कि वे अपने बच्चों के स्वास्थ्य के प्रति चौकस रहें और फार्मेसियों से केवल डॉक्टर के पर्चे पर ही दवाएं खरीदें।

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