वाशिंगटन। अमेरिका के राष्ट्रपति चुने गए डोनाल्ड ट्रम्प ने काश पटेल को जांच एजेंसी FBI (Federal Bureau of Investigation) का अगला प्रमुख नियुक्त किया है। पटेल तथाकथित "डीप स्टेट" के खिलाफ अपने आक्रामक रुख के लिए जाने जाते हैं। वह FBI और अन्य सरकारी एजेंसियों के मुखर आलोचक रहे हैं। उन्होंने इन एजेंसियों पर राष्ट्रपति के एजेंडे को कमजोर करने के आरोप लगाए थे।
काश पटेल के माता पिता गुजरात से अमेरिका आए थे। उनका जन्म 25 फरवरी 1980 को न्यूयॉर्क के गार्डन सिटी में हुआ था। पटेल ने रिचमंड यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन किया है। इसके बाद पेस यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ लॉ से ज्यूरिस डॉक्टर की उपाधि प्राप्त की। 44 साल के पटेल ने संघीय लोक अभियोजक के रूप में अपने करियर की शुरुआत की थी। बाद में संघीय अभियोक्ता के रूप में काम किया।
उन्होंने पूर्व हाउस इंटेलिजेंस कमेटी के अध्यक्ष डेविन नून्स के सहयोगी के रूप में काम किया था। इस दौरान पटेल ने राष्ट्रपति चुनाव में रूसी हस्तक्षेप, ट्रम्प अभियान और मॉस्को के बीच कथित संबंधों की 2016 की जांच में FBI की कार्यप्रणाली की जांच का नेतृत्व किया था। इस जांच ने उनकी छवि ट्रम्प समर्थक के रूप में बनाई। उन्होंने FBI की कार्रवाई को चुनौती देकर सुर्खियां बटोरी थी।
ट्रम्प के पहले महाभियोग के दौरान FBI की पटेल की आलोचना नए स्तर पर पहुंच गई थी। उन पर ट्रम्प के हितों को आगे बढ़ाने के लिए यूक्रेन के साथ गुप्त रूप से संवाद करने का आरोप लगाया गया था। पटेल ने आरोपों से इनकार किया था। खुफिया एजेंसी के प्रति उनके टकरावपूर्ण रवैये ने ट्रम्प के राजनीतिक एजेंडे के कट्टर रक्षक के रूप में उनकी स्थिति को मजबूत किया।
पटेल ने गवर्नमेंट गैंगस्टर्स नाम की किताब लिखी थी। इसमें उन्होंने राष्ट्रपति के एजेंडे को कमजोर करने वाले सरकारी कर्मचारियों को नौकरी से निकालने के आह्वान का समर्थन किया था। ट्रम्प ने किताब को "व्हाइट हाउस वापस लेने का खाका" कहा था। पटेल ने जुलाई में कंजर्वेटिव पॉलिटिकल एक्शन कॉन्फ्रेंस में कहा था, "हमें सरकार में बैठे उन लोगों की पहचान करनी होगी जो हमारे देश को कमजोर कर रहे हैं।"
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