WHO ने चेताया Omicron को ना समझें 'Mild', आ सकती है संक्रमण की सुनामी

WHO ने कहा कि ओमिक्रॉन डेल्टा वैरिएंट की तुलना में कम घातक जरूर है, लेकिन इसे माइल्ड नहीं कहा जा सकता है। ओमिक्रॉन और डेल्टा वैरिएंट के मिले जुले संक्रमण के चलते कोरोना की सुनामी आ सकती है।

Asianet News Hindi | Published : Jan 7, 2022 12:41 AM IST / Updated: Jan 07 2022, 06:26 AM IST

जेनेवा। भारत में कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर (Corona Third Wave) फैल गई है। 24 घंटे में मिलने वाले नए मरीजों की संख्या एक लाख के पार पहुंच गई है। हालांकि राहत की बात है कि अभी तक अधिकतर मरीज या तो बिना लक्षण या हल्के लक्षण वाले मिल रहे हैं। ज्यादातर मरीज बिना अस्पताल में भर्ती हुए स्वस्थ्य हो रहे हैं। देश में कोरोना की नई लहर के लिए कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन (Omicron) को जिम्मेदार माना जा रहा है। इसके साथ ही पुराने वैरिएंट डेल्टा के मरीज भी मिल रहे हैं। 

कई स्वास्थ्य विशेषज्ञ ओमिक्रॉन को कोरोना के पुराने वैरिएंट की तुलना में कम घातक बता रहे हैं। इस पर विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने चेतावनी दी है। गुरुवार को WHO ने कहा कि ओमिक्रॉन डेल्टा वैरिएंट की तुलना में कम घातक जरूर है, लेकिन इसे माइल्ड नहीं कहा जा सकता है। इसकी वजह से लोग अस्पतालों में भर्ती हो रहे हैं और उनकी जान भी जा रही है। ओमिक्रॉन और डेल्टा वैरिएंट के मिले जुले संक्रमण के चलते कोरोना की सुनामी आ सकती है।

आ सकती है ओमिक्रॉन और डेल्टा संक्रमण की सुनामी
WHO के चीफ टैड्रॉस एडहेनॉम घेबरेयेसस ने कहा कि डेल्टा की तुलना में ओमिक्रॉन कम गंभीर नजर आता है। खासकर उन लोगों में जिन्होंने वैक्सीन लगवाई है। इसका मतलब यह नहीं कि इसे 'माइल्ड' के तौर पर वर्गीकृत किया जाए। जिस तरह से केस पूरी दुनिया में बढ़ रहे हैं उस हिसाब से ओमिक्रॉन और डेल्टा की सुनामी आ सकती है। इससे स्वास्थ्य सेवाओं पर भारी दबाव पड़ सकता है और सरकारों को इसे काबू करने में काफी मशक्कत करनी पड़ सकती है।

टैड्रॉस एडहेनॉम ने कहा कि दुनिया में वैक्सीन को लेकर समानता की बेहद जरूरत है। विभिन्न देशों में वैक्सीन की उपलब्धता और लोगों के टीकाकरण के मौजूदा आंकड़े बताते हैं कि करीब 109 देश विश्व स्वास्थ्य संगठन के उस लक्ष्य से पिछड़ जाएंगे, जिसके तहत जुलाई तक 70 प्रतिशत वैक्सीनेशन का टारगेट रखा गया है। कम देशों में बूस्टर के बाद फिर बूस्टर लगा दिया जाए तो भी यह महामारी खत्म नहीं होगी, क्योंकि करोड़ों लोग असुरक्षित रह जाएंगे।

 

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