World's Biggest Killer: कोरोना नहीं, हर साल दुनिया में 41 मिलियन लोगों की जान ले रहा NCDs, जानिए पूरा मामला

WHO का कहना है कि NCDs हर साल 41 मिलियन लोगों की जान लेती है, जिसमें 70 साल से कम उम्र के 17 मिलियन लोग शामिल हैं। हृदय रोग, कैंसर, शुगर और सांस की बीमारी अब संक्रामक रोगों से अधिक खतरनाक हो गई है। 

Amitabh Budholiya | Published : Sep 22, 2022 5:41 AM IST / Updated: Sep 22 2022, 11:12 AM IST

हेल्थ डेस्क. विश्व स्वास्थ्य संगठन(WHO) ने बुधवार(21 सितंबर) को एक गंभीर चेतावनी देते हुए कहा कि हृदय रोग, कैंसर और मधुमेह( heart disease, cancer, and diabetes) जैसी गैर-संचारी बीमारियां(Non-communicable diseases) ग्लोबल लेवल पर 74 फीसदी मौतों के लिए जिम्मेदार हैं। रिस्क फैक्टर को कंट्रोल करके लाखों लोगों की जान बचाई जा सकती है। गैर संचारी बीमारियों से आशय संक्रामक बीमारियों जैसे-कोरोना आदि से है। यानी पीढ़ी-दर-पीढ़ी ट्रांसफर होने वाले रोग संक्रामण बीमारियों से अधिक खतरनाक साबित हो रहे हैं। ये वो बीमारियां हैं, जो इंफेक्शन एजेंट्स से नहीं होतीं। ये लांग ड्यूरेशन की बीमारियां हैं। आमतौर पर ये धीमी प्रगति के साथ जेनेटिक, फिजिकली और एनवायरमेंटल बर्ताव से जन्मती हैं।

अनहेल्दी लाइफस्टाइल के कारण बढ़ रहीं ये बीमारियां
संयुक्त राष्ट्र की स्वास्थ्य एजेंसी( UN health agency) की एक रिपोर्ट से पता चलता है कि तथाकथित NCDs जो अक्सर रोके जा सकते हैं और एक अनहेल्दी लाइफस्टाइल या ऐसी ही जीवनशैली में रहने की स्थिति के कारण होते हैं। NCDs हर साल 41 मिलियन लोगों को मारते हैं, जिसमें 70 साल से कम उम्र के 17 मिलियन लोग शामिल हैं। हृदय रोग, कैंसर, मधुमेह और सांस की बीमारी अब संक्रामक रोगों से आगे निकल गई है, क्योंकि ग्लोबल लेवल पर टॉप किलर 'अदृश्य संख्या-Invisible Numbers' टाइल वाली रिपोर्ट में इसका खुलासा किया गया है।

इस तरह की बीमारियों की देखरेख करने वाले विश्व स्वास्थ्य संगठन के डिवीजन के प्रमुख बेंटे मिकेलसन(Bente Mikkelsen) ने जिनेवा में मीडिया से कहा, "हर दो सेकंड में 70 साल से कम उम्र का कोई व्यक्ति NCDs से मर रहा है। फिर भी NCDs पर घरेलू और इंटरनेशनल वित्तपोषण( domestic and international financing) की न्यूनतम राशि खर्च की जाती है। यह वास्तव में एक त्रासदी(This is truly a tragedy) है।"

world's biggest killers: ये भी जानिए
NCDs न केवल दुनिया के सबसे बड़ा हत्यारे हैं, बल्कि उन पर भी गंभीर प्रभाव पड़ता है कि कैसे लोग संक्रामक रोगों का सामना करते हैं, जैसा कि COVID-19 महामारी ने प्रदर्शित किया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि मोटापे या मधुमेह जैसे NCDs के साथ रहने वाले लोगों के गंभीर रूप से बीमार होने और वायरस से मरने का खतरा अधिक था।

गरीब देश सबसे ज्यादा प्रभावित
रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है, यह डेटा एक स्पष्ट तस्वीर पेश करता है। समस्या यह है कि दुनिया इसे नहीं देख रही है। आम धारणा के विपरीत, ये "जीवन शैली" रोग मुख्य रूप से धनी देशों की समस्या नहीं हैं। स्टडी में कहा गया है कि NCDs मौतों में से 86 फीसदी लोअर और लोअर-मिडिल आय वाले देशों में होती हैं। मिकेल्सन ने कहा, गरीब देशों में बहुत से लोगों को उनकी रोकथाम, उपचार और देखभाल की आवश्यकता नहीं है।

WHO द्वारा बुधवार को लॉन्च किया गया एक नया NCDs डेटा पोर्टल इस वर्ल्ड बिगेस्ट किलर का अफगानिस्तान और मंगोलिया जैसे देशों में कार्डियोवैस्कुलर बीमारी(दिल से संबंधी) से होने वाली मौतों का सबसे अधिक प्रसार(highest prevalence) दिखाता है। डब्ल्यूएचओ ने जोर देकर कहा कि यह काफी हद तक ठीक करने योग्य समस्या है, क्योंकि NCDs के लिए मुख्य रिस्क फैक्टर हमें पता हैं।

ये हैं बिगेस्ट किलर यानी NCDs 
तंबाकू का सेवन, अनहेल्दी फूड्स, शराब का हानिकारक उपयोग, फिजिकल एक्टिविटी मे कमी और वायु प्रदूषण को NCDs  की बढ़ती संख्या के मुख्य कारणों के रूप में देखा जाता है। अकेले तंबाकू का सेवन हर साल 80 लाख से अधिक मौतों के लिए जिम्मेदार है। NCDs के लिए WHO के प्रमुख टेड्रोस एडनॉम घेब्येयियस(WHO chief Tedros Adhanom Ghebreyesus) के सीनियर एडवायजर डग बेट्चर(Doug Bettcher) ने मीडिया से कहा, "इन मौतों में से एक लाख से अधिक निर्दोष लोग धूम्रपान न करने वाले, तंबाकू न खाने वाले शामिल हैं।"

रिपोर्ट में कहा गया है कि अन्य आठ मिलियन मौतें अनहेल्दी फूड्स के कारण होती हैं, जिसका अर्थ है बहुत कम, बहुत अधिक या बहुत खराब क्वालिटी वाला भोजन। हानिकारक शराब का उपयोग अन्य बीमारियों के अलावा लीवर सिरोसिस और कैंसर का कारण बनता है। इससे हर साल लगभग 1.7 मिलियन लोगों की मौत होती है। जबकि शारीरिक निष्क्रियता(physical inactivity) अनुमानित 830,000 मौतों के लिए जिम्मेदार है। लेकिन WHO ने अपनी रिपोर्ट में तर्क दिया कि उन रिस्क फैक्टर्स को कम करने के कई क्लियर और अचूक तरीके हैं। अगर सभी देशों ने उन्हें लागू किया, तो अगले 7 वर्षों में 39 मिलियन लोगों की जान बचाई जा सकती है। मिकेल्सन ने कहा, "डब्ल्यूएचओ सभी सरकारों से उन हस्तक्षेपों को अपनाने का आह्वान कर रहा है, जो 2030 तक 39 मिलियन मौतों को रोकने में मदद करने के लिए जाने जाते हैं।"

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