धर्म ग्रंथों के अनुसार, वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को अक्षय तृतीया (Akshaya Tritiya 2022) कहते हैं। इस तिथि का विशेष महत्व कई ग्रंथों में बताया गया है। अक्षय का अर्थ है जिसका कभी नाश न हो। उसी के अनुसार इस दिन किए गए पूजा, मंत्र जाप, उपाय आदि का संपूर्ण फल प्राप्त होता है।
27 अप्रैल से शुक्र ग्रह राशि बदलकर कुंभ से मीन में आ चुका है। ये शुक्र की उच्च राशि है यानी इस राशि में होने से शुक्र के शुभ फलों में वृद्धि होगी। इस राशि में ये शुक्र 23 मई 2022 तक रहेगा इसके बाद मेष राशि में प्रवेश कर जाएगा।
इस बार 3 मई, मंगलवार को अक्षय तृतीया (Akshaya Tritiya 2022) है। इस दिन का महत्व अनेक धर्म ग्रंथों में बताया गया है। अक्षय यानी जिसका क्षय न हो, इसलिए ऐसा माना जाता है कि इस दिन किए उपाय, मंत्र जाप, दान, पूजा, खरीदी आदि का पूरा फल मिलता है।
उज्जैन. हिंदू धर्म में कुछ खास तिथियों को बहुत ही शुभ माना जाता है। वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि भी इनमें से एक है। इसे अक्षय तृतीया (Akshaya Tritiya 2022) कहते हैं। अक्षय का अर्थ है जिसका क्षय यानी नाश न हो। इस बार ये तिथि 3 मई, मंगलवार को है।
हिंदू पंचांग के हर महीने के मध्य में अमावस्या तिथि आती है। इस तिथि का विशेष महत्व धर्म ग्रंथों में बताया गया है। जब ये तिथि शनिवार को आती है तो शनिश्चरी अमावस्या (Shanishchari Amavasya 2022) का योग बनता है।
खगोल शास्त्र के अनुसार सूर्य (Surya grahan April 2022) और चंद्रग्रहण समय-समय पर होते रहते हैं। ये एक आम खगोलीय घटनाएं हैं, लेकिन भारत में इसे धर्म और ज्योतिष से जोड़कर देखा जाता है।
शनि ग्रह ढाई साल बाद 29 अप्रैल को राशि परिवर्तन कर मकर से कुंभ राशि में प्रवेश करेगा। ये शनि की स्वामित्व की ही राशि है। ज्योतिष शास्त्र में शनि के राशि परिवर्तन को बहुत ही महत्वपूर्ण माना गया है क्योंकि ये ग्रह सबसे लंबे समय तक एक ही राशि में रहता है।
ज्योतिष शास्त्र में शुक्र ग्रह को धन, वैभव और ऐशो-आराम देने वाला ग्रह माना गया है। जिसकी कुंडली में ये ग्रह बलवान होता है, उसे अपने जीवन में हर तरह की सुख-सुविधाएं मिलती हैं और एसे व्यक्ति को कभी किसी चीज की कमी नहीं होती।
आज (16 अप्रैल, मंगलवार) वैसाख मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि है। इस दिन वरुथिनी एकादशी का व्रत किया जाएगा। मंगलवार को सूर्योदय शतभिषा नक्षत्र में होगा, जो सुबह 6.45 तक रहेगा। इसके बाद पूर्वा भाद्रपद नक्षत्र रात अंत तक रहेगा।
हमारे सौर मंडल में चंद्रग्रहण और सूर्यग्रहण जैसी घटनाएं होती रहती हैं। हमारे देश में इन घटनाओं को धर्म और ज्योतिष से जोड़कर भी देखा जाता है। इनसे जुड़ी कुछ मान्यताएं व परंपराएं भी हमारे समाज में प्रचलित हैं।