सावरकर के अनुसार अखंड भारत को देशों में बांटा जाना चाहिए, पर उन दोनों देशों का कानून एक ही होना चाहिए। सावरकर किसी भी समुदाय विषेश को खास अधिकार देने पर विश्वास नहीं करते थे।
अब हमारी जिम्मेदारी है कि हम महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करें ताकि वो देश में कहीं भी कभी भी सड़क पर बिना समय की परवाह किए बेखौफ होकर चल सकें।
भारत के जिन हिस्सों में लोग गांव के छोर से दूसरे छोर तक एक दूसरे को नहीं जानते थे, वहां आज डिजिटल क्रांति आ चुकी है। यह सब कुछ संभव हो पाया है उड़ान की वजह से। उड़ान अपने B2B मॉडल के जरिए छोटे उद्योगों को सशक्त बना रहा है
गैस त्रासदी के बाद मामले की पूरी जांच के लिए कई कदम उठाए गए पर इनमें से कोई भी प्रयास पूरे मन से नहीं किया गया। UCC ने पूरी घटना के लिए एक असंतुष्ट कर्मचारी को जिम्मेदार ठहरा दिया और मामले से अपना पल्ला झाड़ लिया
UCC ने दावा किया कि उनके पास गैस आपदा से निपटने के लिए इमरजेंसी प्लान था, जबकि हादसे के बाद लोग सड़कों पर इधर-उधर बेतहासा अपनी जान बचाने के लिए भाग रहे थे।
भोपाल गैस प्लांट 1980 से ही अपने अशुभ लक्षण दिखाने लगा था। दिसंबर 1981 में हुए हादसे में एक वर्कर की मौत हो गई थी
1966 में UCIL और भारत सरकार के बीच एक समझौता हुआ, जिसके तहत भारत में सेविन का उत्पादन शुरू किया जाना था और प्लांट मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में बनना था।
1984 में 2 दिसंबर की रात जब भोपाल सोया तो सब कुछ सामान्य था। पर 3 दिसंबर की सुबह अपने साथ मौत का पैगाम लेकर आई।
हमारी आत्मा हमारे शरीर, दिमाग और इंद्रियों को नियंत्रित करती है। आत्मा कभी नष्ट नहीं होती है, वह सिर्फ शरीर बदलती रहती है। शरीर नस्वर है, पर आत्मा अमर है। जन्म और मृत्यु सिर्फ आत्मा द्वारा शरीर बदलने की प्रकिया का हिस्सा है।
गीता के आखिरी अध्याय में कृष्ण अर्जुन को सन्यास के बारे में बताते हैं। वे सन्यास और त्याग के बीच का अंतर भी समझाते हैं। सन्यास अपनी इच्छाओं को खत्म कर देना है और त्याग अपने कर्म से मिलने वाले फल को अस्वीकार करना है।