भाजपा की सत्ता को आए पांच साल से ज्यादा वक्त हो गया। लेकिन अभी भी हिंदू राष्ट्रवादी अपने ही देश में असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। उन्हें उस जमीन पर अभी भी खतरा महसूस होता है, जिसे श्री राम ने उन्हें रहने और घर बनाने को दी।
शायद हिंदू ही अकेले ऐसे हैं, जिन्होंने राष्ट्रहित के आधार पर अन्य किसी देश पर कोई हमला नहीं किया। साथ ही, हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि किस तरह से इस्लाम और ईसाई उत्पीड़न के 1100 से ज्यादा साल तक हिदुंत्व ने अपना बचाव किया।
किसी को भी कष्ट न पहुंचाने वाले शब्द बोलना, सत्य बोलना, प्रिय लगने वाले हितकारी शब्द बोलना और वेद-शास्त्रों का उच्चारण करते हुए अध्यन करना, वाणी सम्बन्धी तप कहा जाता है।
अहंकार, बल, घमण्ड, कामना और क्रोधादि के परायण और दूसरों की निन्दा करने वाले पुरुष अपने और दूसरों के शरीर में स्थित मुझ अन्तर्यामी से द्वेष करने वाले होते हैं।
जिस परम पद को प्राप्त होकर मनुष्य लौटकर संसार में नहीं आते उस स्वयं प्रकाश परम पद को न सूर्य प्रकाशित कर सकता है, न चन्द्रमा और न अग्नि ही, वही श्रीकृष्ण का परम धाम है॥
यदि कोई इंसान बिना लगाव के सत्वता हासिल कर लेता है तो उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है और वह जन्म और मृत्यु के चक्र से बाहर निकल जाता है।
इस अध्याय में कृष्ण अर्जुन को आत्मा और शरीर के बीच का अंतर समझाते हैं। कृष्ण के अनुसार शरीर एक वस्तु है जिसे आत्मा संचालित करती है।
जो सभी के प्रति द्वेष से मुक्त हैं और हर इंसान के लिए दया और दोस्ती का भाव रखते हैं, वे कृष्ण के प्रिय हैं। ऐसे लोग सभी प्रकार के मोह और अहंकार से मुक्त हैं।
कृष्ण स्वयं को अरबों सिर, नुकीले दांत और हथियारों के साथ प्रकट करते हैं। यह दृश्य काफी डरावने हैं। इन दृश्यों को देखकर अर्जुन जागृत हो उठता है और एक विनम्र भाव धारण कर लेता है।
गीता को एक पौराणिक कथा कहा जाता रहा है, लेकिन लोग यह नहीं समझ पाते कि 3200 साल पहले भी, कृष्ण सितारों की सटीक स्थिति बता सकते थे। गीता निश्चित रूप से मिथक नहीं है।